Thursday, 20 July 2023

तुतारी चन्द्रहास साहू

 तुतारी

                                           चन्द्रहास साहू

                                         8120578897


      हा.. हा.. तो.. तो.. के  आरो के संग खेत जोतत हावय सियनहा हा । बइला मन घला आज अब्बड़ मेछराइस फेर सियनहा के हाथ के तुतारी हा कच्च ले बाखा म परे तब तरमरा के रेंगें। सियान के जी घला कउवागे आज। अगास ला देखे सादा करिया गुंगवा कस बादर हा रेंगत रहाय फेर भुइंया म नइ गिरीस । 

"चिरीरिरी फट्.....!''

अब्बड़ आरो संग गरजिस घुमरिस बादर हा फेर बूंद भर पानी नइ बरसिस । कभू अगास कोती ला कभू नांगर कोती ला देखे अउ नांगर के पड़की ला धर के कुंड म कुंड मिलाये परदेसी हा । फेर भुंइया मा बरोबर पानी दरपाये नइ हावय तब कइसे नांगर हा गड़ही ...? बइला हा घला तुतारी के डर म रेंगे , सामरथ करे। बइला लाहकगे । 

अब्बड़ बिनती करिस परदेसी हा गिर जा गंगा मइया गिर जा। फेर.. पानी नइ गिरिस। काया के पसीना हा गिरे लागिस तरतर - तरतर । परदेसी के नांगर फेर चभकगे । हला डोला के अटेसीस अउ फेर चमकाइस बइला ला। "हर्रे ..हर्र.. तता ... तता...त त....।''

बाखा म फेर तुतारी मारिस। बइला बमियागे। ताकत नस नस मा दउड़े लागिस जइसे  दस हाथी के बल समागे । दुनो बइला संघरा ताकत लगाइस जुड़ा मा... फेर नागर तो टस ले मस नइ होइस अतका सामरथ मा।  फेर जुड़ा हा सुलरागे,नोई टूटगे अउ बइला मन बारा हाथ आगू कोती दउड़े लागिस । परदेसी मुड़ी ला धर के बइठगे का करंव ? भगवान पानी के बेवसथा कहां ले करंव..? एक- एक पइसा ला जोर के बोर खोदवाये हव। पानी घला हावय फेर बिन बिजली अभिरथा होगे हाबे। अब्बड़ दउड़े भागेंव घला। कतको झन साहब मन आइस गिस जम्मो कोई ला तो पइसा देये हव फेर बोर मा बिजली कनेक्शन  नइ खिंचाइस। 

            परदेसी तरमराये लागिस का करंव मेंहा.. हफरगे । कुंदरा ले टूटहा साइकिल ला निकालिस अउ डंडिल मा बांस के कमचील बांध के दुनो चक्का मा हवा भरिस । परदेसी के आरो ला पाके कलवा कुकुर हा घला आगे अउ राख माटी मा घोण्डइया मारे लागिस । 

“ नानजात ”

बखानत नानकून ढ़ेला मा फेंक के मारिस परदेसी हा कुकुर ला । कु.कु... करत भागगे ओहा । लकड़ी के बोझा ला बोहो के आवत रिहिस परदेसी के गोसाइन दमयंतीन हा।

“कहां जावत हस, मार तरमिर. तरमिर.....? "

बोझा ला पटकत किहिस । अउ पसीना ला गुड़री मा पोछे लागिस ।

"जात हव उही डाहर .... तहू जाबे ते चल ।” 

परदेसी किहिस । गड़गड़- गड़गड़  एक लोटा पानी ला पियिस दमयंतीन हा अउ नानकून पोटरी मा कुछू ला धरत साइकिल के केरियल मा बइठगे ।

                       अब शहर हबरगे अउ शहर ले बिजली ऑफिस। अब्बड़ सइमो- सइमो करत रिहिस ऑफिस हा। ऑफिस के एक कोती बिगड़ाहा टासफारमर, तार केबल अउ दुसर कोती पावर हाऊस बड़का- बड़का बिजली खम्बा । संगमरमर लगे ऑफिस के डेरउठी ला जइसे खुंदिस कान ला ततेरे कस आरो आइस।

“फरस ला मइलाहा झन कर डोकरा ।”

चपरासी आए तमकत रिहिस । परदेसी सावचेती होगे।  पनही ला हेरके खनखोरी म चपक लिस अउ दुसर हाथ मा तुतारी ला धरे रिहिस । 

"बड़का साहेब ले भेंट करना हे बाबू ।"

परदेसी के गोठ ला सुनके चपरासी हा भभकत रिहिस। अंगरी देखा के बड़का साहब के कुरिया ला देखा दिस ।  

    “ राम राम साहेब”

परदेसी जोहार भजन करिस । गोटारन कस आँखी हा चश्मा ले देखिस अउ फेर फाइल मा गड़गे । 

"मइलाहा घोंघटाहा ओन्हा पहिरके आ जाथो कोन जन के दिन के नहाये नइ हावस ते..? पसीना के बस्सई छीः छीः...।"

साहब फुसफुसाइस अउ मुहूँ ला करू- करू करे लागिस । 

"स ..स.. साहेब मोर फारम  ?“

गोटारन कस आँखी वाला हा फेर देखिस दुनो  परानी ला अउ फेर फाइल मा आँखी गडि़या दिस । दुनो परानी भुइंया मा फसकराके बइठगे। आगू के गद्दा वाला खुरसी मे बइठे के सामरथ नइ करिस । 

“भागवत” 

साहब के आरो ला सुनके चपरासी आगे।

“बरा भजिया अउ चाहा लानबे  गरमा गरम जा।’’

” हव, जी सर ! "

चपरासी हुकारू दिस अउ ठाड़े रिहिस।

” दे दे पइसा ताहन तोर फारम ला देखहू ।"

साहब किहिस । परदेसी अउ गोसाइन एक दूसर ला देखे लागिस । सलूखा के खिसा ले चिपटी कस मुड़े पचास रूपिया ला दिस ।

“अतकी मा का होही डोकरा...!"

चपरासी मुचकावत किहिस

“पच्चीस पचास अउ दे दे। ”

गोटारन कस आँखी ला रमजत साहब किहिस अउ दमयंतीन हा पोलखा के खिसा ले पंदरा परत ले चिपटाये बीस रूपया ला हेर के दिस । 

“बिन पइसा के आ जाथो। ”

चपरासी हा फुसफुसावत किहिस अउ रेंग दिस । 

                   अब साहब के नजर हा दमयंतीन के उपर ठाढ़े होगे झुंझी चुंदी मुड़ी ,बजरहा खिनवा फुली चिरहा लुगरा अउ चिरहा पोलखा के ओ पार...। 

         टेबल मे परदेसी के फाइल माड़े रिहिस । बड़का-बड़का कागज नकसा खसरा बी वन । परदेसी झटकुन चिन्ह डारिस अपन अंगठा के चिन्हा अउ संरपच के ठप्पा ला। चश्मा ला उठा उठाके अपन आँखी ला एक- एक पन्ना मा गडि़याइस ,कभू करिया पेन मा,कभू लाल पेन मा कागजात मा चिन्हा लगाये लागिस अउ अपन गुड़गुड़ी वाला खुरसी ला आगू तिरत साहब हा कहिथे।

  ’’परदेसी तोर इस्टीमेट बने नइ  हे। टांसफारमर  ले तोर खेत हा सात पोल के दुरिहा हावय अउ ऐमा पांच पोल देखावत हे। ’’

  “कोन जन साहेब नाप जोख तो तुमन ला आथे हमन तो अड़हा आवन। ”

परदेसी किहिस। एखर आगू कभू नकसा खसरा बिगड़गे हावय कहे रिहिन आने साहब मन। तब कभू फारम मा सरपंच के दसकत नइ हे कहिके अब्बड़ दउड़ाये रिहिन आने साहब मन। कब बिजली लगही भगवान ..?

.परदेसी संसो करे लागिस । 

"तोर ले आगू वाला साहब ला चार हजार देये रेहेंव। ओखर आगू वाला ला तो पंद्रा सौ देये रेहेंव साहेब बछवा ला बेचके।" 

परदेसी अब हाथ जोड़ डारे रिहिस।

’’ये जस के बुता तोरे हाथ मा होही अइसे लागथे साहेब ! मोर बनौती बना दे । हाथ जोरत हव साहेब, मोर बनौती बना दे।’’ 

दमयंतीन घला हाथ जोर के किहिस । 

"बन तो जाही परदेसी फेर तोला खरचा करे ला परही पचीस तीस हजार।’’ 

साहेब हा जुड़ सांस लेवत किहिस अउ बरा भजिया ला झड़के लागिस । 

‘कहां ले लानहू साहेब ! अतका पइसा ला।''

परदेसी किहिस । साहेब के आँखी दमयंतीन के बांहा के पहुची मा जामगे । 

"तोर घरवाली हा बाहा मा पहिरे हावय ते का गहना आए परदेसी...? "

दमयंतीन बांहा  ला अचरा मा तोपे लागिस

“पहुची आए साहेब ।”  

सुघ्घर दिखत रिहिस पहुची हा। चांदी के चमकत जोखी भराये सांप कस सलमिल- सलमिल करत हे , सुघ्घर  फुल छप्पा अउ सोनार के कलाकारी घात सुघ्घर हे । 

"साहब मोर दाई हा चिन्हा देये हे। अब्बड़ मया करे साहेब। एक दिन मलेरिया के बुखार होइस अउ एके दिन मा ताला बेली होगे , पान परसाद घलो नइ खवा सकेन ।''

दमयंतीन ऐके सांस मा गोठियाइस। ओखर आँखी जोगनी कस बरिस अउ बुता घला गे। आँखी के कोर के आंसू ला पोछिस दमयंतीन हा । 

"एक ठन उदीम हावय परदेसी तोला पइसा नइ लागे ।''

साहेब अब दुसर रद्दा बताए लागिस।

“का साहेब ?’’ 

परदेसी अउ तीर मा जाके पुछिस। 

"सरकार हा एक ठन योजना बनाये हावय जेखर लाभ देवाहू अउ योजना कोती ले पइसा जमा हो जाही । तोला एको पइसा नइ लागे फेर ... ।"

साहब  काहत- काहत अतरगे । अब चपरासी भागवत चाहा लान डारे रिहिस। चाहा ला ढोक्कोम- ढोक्कोम पीये लागिस ।

"परदेसी मेंहा मोर घर मा छत्तीसगढ़ महतारी के मुरती बनवाथव ओहा तोर गोसाइन के पहुची ला पहिरही तब सुघ्घर लागही। सौहत छत्तीसगढ़ महतारी लागही। अब जमाना घलो बदलगे कोनो नारी परानी अइसन गहना जेवर नइ पहिरे ....।"

साहेब अपन चतुराई मा मुचकाये लागिस अउ दुनो परानी एक दुसर के चेहरा ला बोक खाए देखे लागिस । 

  ’’इनाम तो मांगत हव परदेसी , कतको किसान हा अंकाल मा मरत  हावय। मेंहा तोला बचाये के उदीम बतावत हांवव । तोर बोर मा बिजली अमरही तभे तो भक्कम पानी निकलही अउ अंकाल के मुहुँ ला नइ देखस ...। 

“ देख ले परदेसी तोर गोसाइन के बांहा के पहुची हा मोर घर मा पहुंचही तभे तोर खेत मा बिजली पहुंचही परदेसी इमान से।” 

साहेब हा किरिया  खाइस अउ पान घला । 

’’इमान से मेंहा घूस नइ लेवत हव ,ओ तो छत्तीसगढ़ महतारी के मुरती के सवांगा बर मांगत हव। "

साहब अउ आगू किहिस । 

परदेसी के आँखी मा उज्जर भविस दिखे लागिस । दमयंतीन घला अंकाल के परछो ले  निकले के रद्दा देखे लागिस अउ पहुची ला हेर के दे दिस । छाती म पथरा लदके सुल्हर डारिस पहुची ला । आँखी ले झर- झर आंसू आवत रिहिस। अपन पहेलात नोनी ला गवाइस तब के दुख अउ अब के दुख दुनो बरोबर रिहिस। कतको बड़का दुख आ जावय परदेसी ठाढ़े रहिथे पहार कस । कोनो आँधी धुंका झन आये अइसे । सिरतोन आज के धुंकी तो अधमरहा कर दिस दुनो कोई ला। साहब मुचकाये लागिस जइसे कुबेर के खजाना ला पोगरा डारिस अइसे । कोन जन  ओखर बोर के पानी कब बोहाही ते फेर दमयंतीन के आँखी ले पानी बोहाय लागिस । हाथ गोड़ टूटे कस लागिस । झिमझिमासी लागिस अउ परदेसी के खांध ला धरके थामिस । 

“ए एक महीना पाछू आके आरो कर लिहू।” 

साहब किहिस अउ खिड़की कोती ले पच्च ले पान के पीक ला थूकिस । 

चपरासी हा कोल्ड्रिक के गिलास धरके ठाढ़े रिहिस। साहब झोकिस। 

"लेवव तहू मन पी लेव कोल्ड्रिक।'' 

परदेसी अउ दमयंती दुनो कोई ला किहिस।

"न ...नही साहेब, हमन ला नइ सहे आनी बानी के जिनिस हा .., तूही मन पीयो....।''

परदेसी के अंतस मा अंगरा बरत रिहिस फेर जुड़ाके किहिस । 

साइकिल के मुठा मा सामरथ फबे लागिस। नस- नस मा लहू दउड़े लागिस। साइकिल उत्ता धुर्रा दउड़े लागिस । दमयंतीन केरियल मा बइठे रिहिस अउ पोटरी के फुटे चना ला खवावत गिस परदेसी ला । फुटे चना के संग डुरू चना ला मसक डारिस परदेसी हा अउ कभू-कभू तो गोटी- माटी ला घला खटरंग ले चाबिस। लीम के जुड़ छाव मा अतरके पानी पियिस अउ फेर रेंगे लागिस अपन रद्दा। पेट के भभकत आगी ला कतका बुताइस चना ते उही जाने फेर कोनो डाहर आथे जाथे तब अइसना चना ला धर लेथे दमयंतीन हा ।

             बटकी भर बासी अउ चुटकी भर नून के खवइया परदेसी हा कोनो जिनिस के लालच नइ करिस फेर अगास ला देखथे तब संसो हो जाथे । सावन भादो मा आगी सुलगत सुरूज देवता अउ अइलावत खेत के धान । पानी के मारे पियासे भुइंया अउ मरत मछरी कोतरी...। बटकी भर बासी के बेवस्था  कइसे होही भगवान.....? तहू ठगत हावस का लबरा बादर ...? बिजली वाले साहब कस लबरा । दू महीना होगे आज ले बिजली के दउहा नइ हावय,पइसा पहुची जम्मो गवागे । परदेसी बियाकुल होगे साइकिल ला निकालिस तुतारी ला धर के रेंग दिस शहर के रद्दा ... अकेला । 

            "कइसे साहेब मोर खेत मा बिजली कब लगही ...? अउ लगही कि नही वहू ला बता ...? परदेसी बिजली ऑफिस के बड़का साहब के कुरिया मा खुसरत किहिस।  ओखर आँखी मा लहू उतरे कस लाल रिहिस , चुन्दी छतराये , माथा मा लाल टीका अउ हाथ मा तुतारी चिरहा सलूखा अउ नानकुन पटका । कोठ मा टगाये भगवान  भोलेनाथ के रौद्र रूप देखे साहब हा तब परदेसी के बरन ला।

“ल लग जाही न परदेसी संसो झन कर ।” 

साहब डर्रावत किहिस।

"इही गोठ ला तो सुनत जोजन होगे साहेब ! फेर कब लगही ते ..? महू जानथव सुचना के अधिकार ,लोक सेवा गारंटी अधिनियम ला । जान डारेव तुहरे आफिस मा लगे सी0सी0 टी0वी0 केमरा के आगू मा मोर गोसाइन के पहुची ला नगाये हस तौन ला । सी0डी0 घला बनवा डारे हव इमानदार बाबू जेखर टरासफर करवाये हस तेखर ले मिलके।’’

परदेसी किहिस मेछा ला अइठत। 

    साहब थरथराये लागिस अउ टेबल के तरी मा कही ला खोजे के उदीम करिस ।

’’साहेब कतका लबारी मारथस तौन ला अब घला जान डारेंव । साहेब खेत जोतथन अउ बइला मेंछराए लागथे तब बाखा मा तुतारी परथे तब सोझिया जाथे ।"

परदेसी फेर किहिस ।

   परदेसी के हाथ के तुतारी ला देखे लागिस साहब हा डेढ़ दु हाथ के पातर लउठी अउ आगू कोती खिला लगे सुचकी ....। कच्च ले गड़े कस लागिस साहब ला अउ लाइनमेन ला बला के कागज मा दसकत करत बिजली खंभा तार अउ आने जिनिस ले भरे ट्रक ला पठोय बर किहिस परदेसी संग। टेबल मा माड़हे पहुची ला धर लिस परदेसी हा अपन गोसाइन के अउ गरेरा कस बाहर कोती आगे । 

  साहब हा पसीना पोछे लागिस अड़हा परदेसी हा अब सब ला जानथे .......फुसफुसाइस  अपने अपन ...तुतारी लागे सही कच्च ले गडि़स साहब के अब..।        

                     

                            

   चन्द्रहास साहू

  द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब रोड श्रध्दा नगर धमतरी

जिला धमतरी (छ.ग.)

मो. नं 8120578897

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