*अंग्रेजी के बुखार*
आज जेन मनखे ला देख तेन ला अंग्रेजी के बुखार चढ़े हे।गोठियावत हे तेनो अंग्रेजी,धमकावत हे तेना अंग्रेजी,पहिरत ओढ़त हन तेनो अंग्रेजी अउ ते अउ संझौती बेरा में धड़कावत हे तेनो अंग्रेजी।माने मनखे ला अब देशी नी भावत हे तभे सोझ अंग्रेजी में झपावत हे।
वाह रे मनखे के चरित्तर।तइहा समय में खान-पान अतेक बढ़िया रिहिस हमर देश के कि मनखे सौ साल तक स्वस्थ मस्त नानी नतरा देख के परान तियागे।अब तो भरे जवानी में मनखे निपट जावत हे।लइका अनाथ हो जावत हे।मोमोज,चाऊमिन,बर्गर अउ पिज्जा के दुकान मन में लोगन के भीड़ देखके अचरित लागथे।सादा सर्वदा खान-पान ल छोड़ के अरबन चरबन खावत मनखे अपन स्वास्थ्य के सत्यानाश करत हे।
कलाकार, खिलाड़ी अउ नेता मन गिटपिट अंग्रेजी गोठियाव में गरब महसूस करथे।पहिरई ओढ़ई में आज के नवा पीढ़ी विदेशी पहिनावा के नकल करत हवै।
पढ़ाई लिखाई के मामला में घलो लोगन अपन लइका मन ला अंग्रेजी माध्यम में पढाय बर तरी ऊपर होवत रथे। इहां तक कि हमर छत्तीसगढ़ में शासन घलो अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोल डरिस कि गरीबहा मनखे मन घलो अपन लोग लइका ल अंग्रेजी माध्यम में पढ़ा सके।फेर का करबे ये स्कूल में गरीब मनखे के लइका कम पैसावाले मनखे मन के लइका मन ज्यादा पढ़थे।देखब में आथे कि अइसन मनखे मन फीस के पैसा बचाय बर अपन लइका मन ला नीजी अंग्रेजी स्कूल ले निकाल के सरकारी अंग्रेजी स्कूल में भर्ती करवा डरिन अउ गरीबहा मनखे के लइका मन ला ओतका लाभ नी मिलिस जतका मिलना रिहिस या शासन के जेन मंशा रिहिस वो पूरा होवत नइ दिखत हे।शिक्षा के बैपार मनमाने फलत फूलत हे।जे जतका पैसा लगात हे वतकी मनमाने कमात हे।पहिली पढ़े रेहेन विद्यार्थी ला सुख नहीं अउ सुखार्थी ला विद्या नहीं। आजकल सुखियार लइका के सुख सुविधा के पूरा ध्यान रखे जावत हे।नीजी स्कूल वाले मन एयरकंडीशन कक्षा के विज्ञापन देवत रथे।जेकर कना जतेक ज्यादा पैसा वो वतकी महंगा स्कूल में अपन लइका मन ला पढ़ावत हे।आजकल के देखावा मा जम्मो झपात हे।
अंग्रेजी विषय के उपयोगिता ला नकारे नइ जा सके।आजकल बहुत जरुरी है हवै।फेर अपन बोली भाखा ला घलो उचित सम्मान देना चाहिए।अंग्रेजी माध्यम में पढाय के भेंडि़या धसान घलो ठीक नोहय।
रीझे यादव
टेंगनाबासा(छुरा,)
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