श्रीमती गीता साहू
कोरबा ( छ.ग.)
09.07.23
लाल-पताल
जेठ के दुपहरी म पड़राय पताल, सावन के लगत लाल-बाल होगे , इही पताल किसान घर ले आवत बेरा जुड़ाय-शीताय बजार अमरत सड़क के पूरतीन होगे रहिस,तब काकरो कान म जूंआ तक नइ रेंगिस , अब कोल्ड स्टोरेज ले निकल , अइसे तमतमाय हवे कि थारी ले लेके सोशल मीडिया तक जित देखूं-तित लाल बरोबर सबो मुड़ा लाल पताल के लालिमा ह हाहाकार मचाय हवे । ऐकर ट्रेन्ड म रशिया के उलट-फेर ह घलो पानी-पूरा कस बोहा गे त, कश्मीर के गुलाबी गाल बरोबर लाल सेब तक ह लजा के लुकाय ल लग गिस। अइसन पावरफुल पताल ल पा के कोंहो -कोंहो ल प्याज के सेती आय ऑंसू ल सुरता करके सरकार गिरे के सपना घलो आय लगिस ,त सिरतोन म देख लेबो के धमकी-चमकी घलो चलत हवे ।
ऐकर सुरक्षा बर बेचइया मन ह बाउंसर राख ठठ्ठा करत हे ,त इतरावत रंग-रंग के विडियो ह नवा पीढ़ी बर आपदा म अवसर लावत हे । हद तो तब होवत हे , जब इही मन ला देख जेड प्लस सुरक्षा के मांग घलो उठत हे ।
ऐकर प्रभाव म तिलमिलाए मनखे मन मे ,कोई कोसत हे ,त कोई भोगत हे ,पर सोचत कोंहो ह नइ हे ,अइसन स्थिति तो इही बेरा हर साल बनथे तभे तो वैपारी मन फेंकाय बरोबर पाताल ल कोल्ड स्टोरेज म रख के नफा कमाथे ,अउ हमन तो कोल्डस्टोरेज त दूर के कौड़ी आय ,खुला या सॉस पर काम नइ करके ,या तो खेत म छोड़ देबो या गरवा ल खवा देबो , जबकि अइसने दिन बर ही हमर पुरखा मन कतिक सुंदर जोरा करे रहे कि ,पानी बादर के ये दिन ह भी सुघ्घर खात-खवात निकल जाय ।
कोंहो -कोंहो मन करत भी हे त विज्ञापन के आकर्षण म बंधें आज के लइका मन ल वोमा स्वाद नइ आय या कोंहो करना भी चाहत हे ,त समय नइ हे या फिर कोन अतिक मेहनत करे ,पइसा म तो सबे जिनीस ,सबे समय मिल जात हे ।अउ पताल खरीदे के लाइक पइसा तो सबे कमा लेवत हे ,पर सौ रुपया ले आगर पताल भजिया के प्लेट ले भी गधा के सींग बरोबर का गायब होईस सबे के दिमाग ह फिर गे हे ।
महंगाई डायन के जाल म फंसे पताल आज सोशल मीडिया के सरताज बन गे हे ,फेर विज्ञान ह मौसमी साग-पान ल ही शरीर के अनुकूल मानथे , बारहों महीना के साग-पान ह ,नवा साग के सुवाद ल तो मिटा ही दे हे ,नवा-नवा बीमारी के घर घलो ये शरीर म बना दे हे । ऐकरे सति जानकार मन ह सीजन के साग-पान ल सीजन म ही खाथे ,न रोग बाढ़े न महंगाई ,बस अतकिच , चलों न हमु मन कर लेथन जी , इही ह बजार के सार आय अउ शेष महंगाई ल नि:सार करना हे ,त आठे दिन मत खरीद ,देख कइसे येहा जमीन म आही , तेन ल जी ।।
गीता साहू
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