Thursday, 20 July 2023

भाव बढ़िस बंगाला के*

 *भाव बढ़िस बंगाला के*


           भोरहा मा झन रबे बाबूजी समय आथे न तब घुरवा के दिन घलो बहुर जथे। काली तक मोला कोनों सोजबाय पूछत नइ रिहिस। आज मोर नाँव लेके खीसा मा जड़कला अमावत हे। खीसा मा हाथ डारत हाथ काँपत हे। काबर कि आज मँय हर मूँड़ ऊँचा करके चलत हवँ। भले मोर ठाठ बाठ ठसन कतको दिन बर रहय। फेर मोला मँउका मिले हे तब तो अँटियावत रेंगबेच करहूं। मोला अइसे लागत हे कि कइयो साल बाद मोर अवकात ला जनता जानिन हे। अरे भाई ये बात ला मँय हर निहीं। वो बजार के बंगाला माने टमाटर उर्फ पताल हर कहत हे। ओकर कारन अतके हे कि हुरहा कुछ दिन ले बंगाला के भाव सब साग भाजी ले जादा हो गेहे। इँहा तक कि अस्सी नब्बे के तीर चलत हे।

             ओकर ठसन ला देख के चेंच भाजी जेकर तारी बंगाला सँग कभू पटबे नइ करिस। ताना मारत कहत रहय। मेंछरा ले रे बंगाला दुवे चारे दिन मेंछराले। आगू के दुकान ले गोंदली कहे मा लगगे---- तोर हश्र हाल ला जानत हन बंगाला। अभी चार महिना पहिली रायगढ़ पत्थलगाँव वाले मन तोला सड़क के बाजू मा कइसे घोंडाय रिहिस। जे किसान मन तोला पालिन पोसिन ओकरो मया नइ मिलिस भरे खेत मा टेकटर चला के रउँदे रिहिन। अउ तँय घर के रेहेन घाट के। ये तो सरकार के नाइन्साफी के सेती हम बैपारी मनके कालाबाजारी जमाखोरी ले बोचक के सफेद बजार मा फटेहाल डालर के भाव मा जावत रथन। बंगाला कथे - - - - कभू काल आज मोर भाव उपर होइस ते सबके आँखी गड़त हे। आज मँय रोज बजार अखबार अउ मनखे के जबान मा खुसरे हवँ त सब जलन मरत हव। जेन दिन मोर हाल सरहा भाजी के लाइक नइ रिहिस, दस रुपिया के चार अउ पाँच किलो रेहेंव तब कोनो मोर तीर मोर आँसू पोछे बर नइ आयेव। हारे नेता के तीर मा मनखे तो का माछी नइ झूमे अइसे मोर लाल रिहिस। कोनो उजबक मन मंच मा फेंके बर सरहा के जगा टाटक ला फेंके। तब मँय अपन तकदीर मा आँसू बोहावत खुद ला कोसवँ। तब मोर हाल पूछे बर कोनों नइ आयेव। फेर आज मोर सौभाग्य हे कि तुंहर मन ले उँचहा जगा मा बइठे हवँ।

     ताना मारे के मिले मँउका ला कड़हा भाँटा गँवाना नइ चाहत रिहिस। कथे-----अतको ऊँचा का काम के जेला देखे के मन नइ करे। मुँहूँ अँइठत गोंदली ला देखके बंगाला कथे----जादा भाव खाना छोड़दे गोंदली। जतका आदर मान सम्मान मनखे समाज मा मोर हे ओतके तोर हे। फेर तैं कहूँ जमाखोरी मुनाफाखोर बैपारी के हाथ लगबे तब तोला जबरन ऊँचा करे जाही। एकर ले साफ हे कि तोर खुद के कुछू औकात नइये। सरत परे रथस तब रेंगइया मुँहूँ तोप के रेंगथे। मोर अपन पहिचान हे। चाहे मँय दस रुपिया किलो रहवँ, दस के चार रहवँ, या फेर सौ रुपिया के। मोर पहिचान अउ स्वाभिमान ला तँय नइ गिरा सकस। मोर उमर भले कमती रथे  चरदिनिया रथे। फेर कोनों बनिया के गोदाम मा कैद होके नइ रहवँ। हम चलत फिरत ये दुनियादारी के बजार ला देखत रथन। अउ वो तोर बाजू मा टेंड़गा घेंच करके  बइठे देखत आलू मोर सँग का गोठियाही। जइसे बिना गठबंधन के सरकार नइ चले, उही किसम के बिना काकरो ले गठबंधन के ओकर साँस नइ चले। मँय मानथ हवँ कि चाल चलन सुभाव अउ व्यक्तित्व अटल आडवानी गाँधी मोदी असन हे। फेर ओहू अकेला सरकार चलाय मा सामर्थ नइये। हम हारबो तभो बहुमत मा रबो। निर्दली रबो तभो टक्कर मा रबो। एकरे सेती कथों आलू अपनो दिन ला गिन।हम छेल्ला रहने वाला आवन। राजनीतिक लफड़ा ले दूर। अउ तोर नाँव  लेके संसद असन मा हल्ला होवत रथे। पियाज जमाखोरी कालाबाजारी मा फँसगे कहिके। चिरकुट असन नेता मन धरना धरे बर जोमत रथे। हमर भाव कतको रहय। आम जनता के आँसू नइ गिरान। फेर तोर ला तैं जान काकर कुरसी गिराबे काकर आँसू बोहाबे अउ कतका झन के खीसा फुलोबे तेला। आज मोर खुशी के बेरा मा दाँत झन कटर।


 राजकुमार चौधरी "रौना"

टेड़ेसरा राजनांदगांव।

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