Thursday, 20 July 2023

चातुर्मास म देव-बिहाव

 चातुर्मास म देव-बिहाव

    हमर देश के सांस्कृतिक पटल म विविधता के गजब अकन रूप देखे ले मिलथे. जेन ह एक-दूसर के विपरीत घलो जनाथे.

    अभी हमर छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक स्वरूप ल ही देख लेवौ, एक डहार जिहां कतकों साधू बैरागी मन चातुर्मास के नियम म बंधाय एक जगा बइठ के जप-तप अउ ज्ञान चर्चा म दिन पहावत हें, त दूसर डहार इहाँ के पारंपरिक संस्कृति ल जीने वाला मन अपन-अपन देवता के बर-बिहाव के जोखा मढ़ावत हें

     सुने म अलकर जना सकथे के चातुर्मास के जेन चार महीना म बर-बिहाव जइसन बुता ल अशुभ अउ प्रतिबंधित बताए जाथे, उहिच प्रतिबंधित महीना म छत्तीसगढ़ म देवी-देवता मन के बिहाव के परब मनाए जाथे.

    ए ह सांस्कृतिक विविधता के गजबे सुग्घर रूप आय, जे ह ए बात के घलो आरो कराथे, के छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति म चातुर्मास जइसन व्यवस्था लागू नइ होवय.

   अभी बरसात के मौसम म बस्तर अंचल म बरखा के देवी देवता के रूप म चिन्हारी करइया भीमा अउ भीमिन के बिहाव के उत्सव या जगार मनाए जावत हें, त हमर एती चातर राज म कातिक अंधियारी पाख के अगोरा होवत हे, जब गौरा-ईसरदेव के बिहाव के परब ल गौरी-गौरा पूजा के रूप म मनाए जाही.

    बस्तर म भीमा भीमिन ल साल पेंड़ के लकड़ी के बनाए जाथे अउ स्थायी रूप ले स्थापित करे जाथे, जबकि एती चातर राज म गौरा-ईसरदेव ल हर बछर माटी के बनाए जाथे अउ बिहाव परब कातिक अमावस के बिहान भर कोनो तरिया नंदिया म विसर्जित कर दिए जाथे.

    जेन बछर पानी के गिरई थोकिन कमती असन जनाथे ते बछर तो गाँव गाँव म भीमा भीमिन के पूजा अउ बिहाव परब मनाए जाथे. वइसे भीमा भीमिन के पूजा तो लोगन हमेशा करत रहिथें, काबर ते इनला बरखा के देवता के संगे-संग गाँव के कुल देवता घलो माने जाथे, एकरे सेती इनला सुख समृद्धि के देवता के रूप म घलो माने-गौन करे जाथे. 

    गौरा-ईसरदेव के बिहाव परब ह कातिक अंधियारी पाख के पंचमी तिथि ले फूल कुचरे के नेंग संग चालू होथे. कोनो कोनो गाँव म फूल कुचरे के नेंग ल एकादशी के दिन करे जाथे. 

    पंचमी के फूल कुचरे के नेंग करे के संग इहाँ सुवा नाच के परंपरा घलो चालू हो जाथे. नोनी मन बिहनिया बेरा कातिक नहाए ले जाथें अउ संझा बेरा सुवा नाचे ले जाथें.

    मैं हमेशा ए बात ल गोहरावत रहिथौं के छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक चिन्हारी ल इहाँ के मूल संस्कृति के मापदंड म लिखे अउ बताए जाना चाही, आने अंचल ले लाने गे संस्कृति अउ ग्रंथ मन के मापदंड म नहीं, तेन ह अइसने विरोधाभासी प्रसंग मनला देख के ही आय. 

     इहाँ कतकों अइसन परब तिहार हे जे मन आज बताए जावत प्रसंग मन ले अलगे रहिथे, हमला इही मनला जांच-टमड़ के छत्तीसगढ़ के वास्तविक रूप के चिन्हारी दुनिया के आगू म करवाना हे.

-सुशील भोले

संजय नगर, रायपुर

मो/व्हा. 9826992811

No comments:

Post a Comment