*संस्मरण*
*शीर्षक - मनेमन अब्बड़ हाँसथँव*
ये घटना सतरा बछर पहिले के आये। मँय अउ मोर संगवारी राजेश, दुनों झिन अक्सर एक फल्ली ठेला वाला तीर फल्ली खाये बर जावन। ओ फल्ली वाला ले हमर मन के बने संबंध बन गे रिहिस हें। ओ दिन घलो हमन ओकर ठेला मा फल्ली खाये बर गे रेहेन। ओ बड़ खुश लगत रिहिस ता हमन पूछेन “का बात हे, बड़ मुस्कावत हस?" ता ओ बताइस कि महूँ हा मोबाइल बिसो डरे हँव। तब हमन केहेन देखा तोर नवा मोबाइल ला। ओ हर अपन नवा मोबाइल ला हमन ला दिखावत रिहिस ता राजेश हा ओकर मोबाइल ला मांग के मोबाइल ला कोचके बर शुरू कर दिस। कुछ देर बाद ओला मोबाइल वापस घलो कर दिस।
बड़ दिन बाद फल्ली वाला तीर गे रेहेन ता हमन फल्ली खावत-खावत ऐती ओती के गोठ-बात मा भुलाये रेहेन। तभे अचानक ओ फल्ली वाला “ऐ दाई ओ... ऐ दाई ओ...“ चिचयावत खड़े-खड़े कूदे बर शुरू कर दिस।
हमन ये देख के अकचका गेन, अउ ओला पूछेन “का हो गे, तँय काबर अतका कूदत-फाँदत हस?” तब ओ हर अपन खिसा ले मोबाइल ला निकाल के ठेला मा रख दिस अउ घबरावत-घबरावत बोलिस “मोर मोबाइल हा झटका मारत हे।” अउ तहान गुसिया के पूछिस “तुमन का करे हव मोर मोबाइल सन?”
राजेश हा ओकर मोबाइल ला चलाये रिहिस ता मँय ओकर कोती देखेंव ता ओ कहिस “भाई! मँय तो येकर मोबाइल के वाइब्रेशन वाला ऑप्शन भर ला चालू करे रेहेंव अउ कुछु नइ करे हँव।”
पूरा मामला मोला समझ मा आ गिस। मँय फल्लीवाला ला वाइब्रेशन मोड के बारे मा विस्तार ले बतायेंव ता ओकर गुस्सा शांत होइस।
ओ दिन के बाद जब भी मँय ओ फल्लीवाला ले मिलथँव या ओ घटना ला सुरता करथँव ता मँय मनेमन अब्बड़ हाँसथँव। नवा टेक्नोलॉजी के बारे मा जब हम नइ जानन ता कइसे अलकरहा स्थिति उत्पन्न हो जाथे।
✍️ श्लेष चन्द्राकर,
महासमुन्द (छत्तीसगढ़)
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