*रील के ऊपर निबंध*
(व्यंग्य)
ननपन म हिंदी विषय म निबंध लिखन,गाय विषय के ऊपर।गाय एक पालतू जानवर है...ये वाक्य ले निबंध के शुरुआत होवय अऊ अबड़ अकन विशेषता बताय के बाद लिखन.... इसलिए गाय को गौमाता भी कहा जाता है।आज मोला रील अऊ रील बनैय्या महान कलाकार मन ऊपर निबंध लिखे के मन होवत हे।त आज्ञा होही त शुरू करन...!
रील बनाना आज के जमाना के एकदम जरुरी बुता आय।ये हर लोगन मन के भीतरी उम्हियावत कलाकारी ला दुनिया ला जनवाय अउ देखवाय के जरुरी माध्यम हरै।वइसे तो ए बुता म बचपन से पचपन तक के भयंकर कलाकार मन माते हवै,फेर नवजवान नोनी बाबू मन विशेष रुप से अतलंग करत हे।
लोगन के भीतर के कलाकार ल उभारे मा टीकटाक नाम के एक विदेशी बीमारी के विशेष योगदान रिहिस जेकर कोरोना काल में राम नाम सत्य होगे।
एकर बाद इंस्टाग्राम नांव के नवा बीमारी बगरिस जेकर चपेट में पूरा देश आय हे।नदिया-नरवा,मंदिर-देवाला,रेल स्टेशन से बस स्टेशन तक ए बीमारी के मरीज मन दिखत रहिथे।जेकर देख तेकर रील बनैय्या नचकार दिख जथे।शादी बिहाव, छट्ठी बरही, स्कूल कालेज सबो जघा एमन पर्याप्त मात्रा में पाए जथे।एसो राजिम मेला मा एकझन गोल चकरी वाले घलो आय रिहिस जेहर एक गाना के रील बनाय बर पचास रुपया लेवय अऊ शौकीन मनखे मन झपाय परत रिहिन।हम रील के शौकीन नो हन फेर फोकट के नाचा गम्मत देखे मा विशेष रुचि लेथन।
रील बनाय के बहुत अकन फायदा हे अउ भविष्य में एकर विशेष उपयोग हो सकथे अइसे मोर बिचार हे।रील बनाय से कलाकार मन के चिन पहिचान बढ़थे अउ लोगन ला जानबा होथे कि फलाना ढेकाना घलो दिखब मा घुरघुरहा घुरघुरही टाईप लगथे फेर तगड़ा कलाकार हरै। रील बनैय्या कलाकार मन ला लाईक मिले से उही प्रकार के खुशी मिलथे जइसे अंधरा मनखे ला आंखी मिले के बाद मिलथे।भविष्य में लोगन ला रिश्ता जोरे मा घातेच सुविधा होही। गांव गांव टुरी टुरा खोजे बर भटकना नी परही अइसे मोर अनुमान हे।फलाना इंस्टा आईडी वाले छोकरा अउ फलाना आईडी वाली छोकरी के जानकारी घर बइठे मिले से भटकना नी परै। कुंडली मिलान के जघा आईडी मिलान से कारज बनही।बिहाव कार्ड में घलो गोत्र के जघा आईडी नंबर लिखाय रही।
रील बनाय के फायदा होय के संगे संग नुकसान घलो होवत हे यहू समाचारपत्र मन में पढ़े बर मिलथे।कोनो कलाकार नदिया के मझधार में रील बनावत बोहा जाथे त कोनो रेल के चपेट में आवत हे।कोनो डोंगरी ले खसल के मरत हे त कोनो सड़क में रौंदा जावत हे।अइसन जघा में कलाकारी देखाय से रील बनाने वाले मन ला बचना चाहिए।जब जिनगी रही तब उमर भर रील बनाय जा सकथे।जब नांव बुता जही त कोन रील बनाही।
रील बनावत कलाकार मन ला थोरिक मान मर्यादा के ध्यान घलो रखना चाहिए।कलाकारी के नांव मा कुछ भी कचरा परोसना ठीक नोहै।
रील बनाना अब के पीढ़ी के मौलिक अधिकार हे ओमन ला एकर भरपूर सदुपयोग दुरुपयोग करे अधिकार हे।आजकल छट्ठी के दिन ले लइका मन मा रील बनाय के संस्कार डारे जावत हे।राम रमायन अउ सोहर गीत वाले छट्ठी नंदावत हे।ढमक ढमक नाच वाले गाना बजाना के दिन आय हे।ननपन के दे संस्कार हा जवानी मा रील कलाकारी ले जगजाहिर होवत हे।इही प्रकार ले आजकल के घेंच मा सूंता कस ईयरफोन ओरमाय वाले कलाकार पीढ़ी ला वंदन करत रील बनाय के घेरी बेरी शुभकामना ....
रीझे यादव टेंगनाबासा
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