*भाव पल्लवन*
जिहाँ राम रमायेन, तिहाँ कुकुर कटायेन
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आध्यात्मिक दृष्टि ले बताये जाथे के जम्मों जीवधारी मन जेमा मानव , पशु-पक्षी ,पेड़-पौधा सब शामिल हें एक समान आयँ ।संत-महात्मा ,चिंतक मन के कहना हे-- सब के जीवात्मा एक ईश्वर के अंश आयँ तेकर सेती सब एके समान आयँ,भले सबके रूप-रंग ,खान-पान,रहन-सहन, बोली-बतरा,आदत-व्यवहार जइसे कई जिनिस अलग-अलग हो सकथे।इही परम आत्मज्ञान के शिक्षा देवत संत गुरु घासीदास जी हा मनखे-मनखे एक समान कहिके ,सब संग अपने जइसे इंसानियत के व्यवहार करे के अलख जगाये रहिन हें।
मानव के आदत व्यवहार ला देखे जाय ता अनगिनत प्रकार के मिल जहीं।भगवान गौतम बुद्ध हा मोटी-मोटा चार प्रकार के मनखे बताये हें--अँधियार ले अँधियार कोती जवइया,उजियार ले अँधियार कोती जवइया, अँधियार ले उजियार कोती जवइया अउ उजियार ले उजियार कोती जवइया। ये मनखे मन मा पहिली दू प्रकार हा तो पतन के अउ आखिरी के दू प्रकार हा उन्नति के रस्ता मा चलइया आँय।
ये गढ़ाये कलजुग मा पतन के रद्दा मा रेंगइयाँ अबड़े मनखें जगा-जगा दिख जथें। इही मा विघ्न संतोषी मनखें मन तको शामिल हें।आजकल इँकर संख्या दिन दूनी,रात चौगुनी बाढ़त हे। ये मन ला कोनो मेर भी शुभ काम,अच्छा काम होवत हे वो मेर बाधा डाल के,रंग मा भंग डार के आनंद लेवत पा जहू।आजकल तो ये मन मंद-मउहा चढ़ाके जबरदस्ती उलझ के कुकुर जइसे भूँक-भूँक के सब आनंद ला चौपट कर देथें।अइसे तो देखेच मा आथे के जेन मेर रमायेन-भागवत कथा-कहानी होवत हे तेन मेर दू चार ठन कुकुर मन झगरा होवत --भूँकत अइ जथें।तभे हमर सियान मन सिरतो कहे हें--"जिहाँ राम रमायेन ,तिहाँ कुकुर कटायेन।" ये कुकुर कटायेन मन ले कइसे बाँचे जाय तेन गुने के बात हे।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद,छत्तीसगढ़
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