आलेख- खैरझिटिया
*********उपरछवां(देखावा)********
जब ले सेल्फी के दौर आये हे, तब ले उपरछवां जइसे शब्द भारी मोटावत अउ मेछरावत हे, पहली घलो मोठ डाँट रिहिस, फेर अब तो झन पूछ,,, जे नही ते चाहे कुछु भी होय धन, बल, गुण, ज्ञान, मया, पीरा, कपड़ा, लत्ता सबे ल अपन उपर मा छाय बरोबर लपेटथे ताहन निकाल के फेक देवत हे। उपरछवां माने भीतर ले कुछ अउ, अउ बाहिर ले कुछ अउ। गदहा ल बघवा के खाल ओढ़ा देय ले गदहा बघवा नइ बने, येला तो हम तुम सब जानथन, फेर फोटू खिचइयाँ कैमरा थोरे जानथे, अउ फोटू खींचे के बाद में हमू मन कोनो नइ जान सकन कि वो सही मा बघवा ये कि गदहा, बिल्कुल अइसने उपरछवां चलत हे, सबे कोती। मनखे मन आप ला खुद जान सकत हे, कि वो भीतर ले का हे, आन तो ओखर ऊपरी हाव भाव ला ही देख पढ़ सकथे।कतको बेर ओखर उपरछवां पकड़ा जथे ता कतको बेर चल जथे। फेर सोसल मीडिया बपुरा ओला, मनखे मन कस थोरे परख पाही, कि अमुख आदमी ज्ञानी, गुनी, सन्यासी,चोर, पुलिस, हितैषी बनके फोटू खीचाय हे, तेन असल मा कइसन हे। अउ उही सोसल मीडिया के माध्यम ले दुरिहा दुरिहा मा रहवइया मनखे मन घलो नइ जान पावयँ।
मन के भाव मया, पीरा, इरखा, बैर ये तो दिखे नही, ते पाय के सब भोरहा खा जाथन अउ जेला बने बने समझत रहिथन उही कहूँ दगा दे देथे, त सहज मुँह ले निकल जथे कि, वाह रे तोला भल जानत रेहेंन, फेर तोर मया पीरा तो उपरछवां निकलिस। ना मया देखे जा सके ना पीरा ला, येखर परख तो बखत परे मा ही होथे, अउ कहूँ उपरछवां हे ता परख पाना मुश्किल घलो हे। कोई पीरा के देखावा करत मिलथे, ता कोई मया के। पेट भीतर के दाँत ला देखे के ताकत काखर में हे? दगा देय बर ना सगा लगत हे ,ना आन। सब आज दया, मया, दुख, पीरा, गुण ज्ञान ला कोनो ओन्हा बरोबर अरोथे अउ बखत परे उतार देखे। खैर ये तो बनेच दिन ले चलत आवत हे। हद तो तब हो जावत हे, जब मनखे मोबाइल मा फोटू खींच के ये भाव ला मीडिया मा परोसत हे- जइसे कोनो गरीब ला रोटी, कपड़ा देवत सेल्फी, कखरो मरनी हरनी मा शामिल होय के सेल्फी, कोनो मरीज ले मिलत सेल्फी, कखरो कुछु अटके बूता टारत सेल्फी। खैर आज जमाना उपरछवां के हे, अइसन नइ करही ता नाम कइसे होही, फेर आम जन ला नेता मन कस नाम कमाय के का भूख, जे खेवन खेवन अइसने सेल्फी ला जगजाहिर करत फिरथे। अमुख पार्टी के नेता निच्चट गरीब घर भात खाइस, फलाँ ला पइसा बाँटिस, फलाँ के मदद करिस आदि आदि। ये सब ओखर वोट बटोरे के उदिम आय, चाहे मन मा सेवा भाव होय चाहे झन होय। अइसन करना उंखर मजबूरी घलो आय। नेता व्यपारी या जेला अपन काम बूता टरकाना हे उन मन अइसन करत हे ता कोनो ताज्जुब के बात नइहे, फेर सगा सोदर, यार दोस्त अउ करीबी मन घलो अइसने देख देखावा करें लगिन,ता तो गय। उन मन ले दया, मया सेवा सत्कार के उम्मीद नइ करबों ता काखर ले करबों, अउ कहूँ उहूँ मन सेल्फी लेके सोसल मीडिया मा पठोइस ता तो गय। गाँव ले कका आइस तेला खीर पूड़ी खावत हमर मेहरारू,,, बबा ला अस्पताल लेगत बेरा के फोटू,,,,भतीजा मन ला मया के मारे पइसा धरवत फोटू, गाय गरुवा ला पैरा देवत फोटू,,, शायद मैं पिछ्वागे हँव, सेल्फी के दौर मा ये सब होवत हे। खावत पीयत उठत बइठत घूमत फिरत कुछु भी होय, मनखे के उपरछवां सेल्फी के रूप मा सोसल मीडिया मा दिख जावत हे। मरनी हरनी, पान प्रसादी खावत घलो सेल्फी ''' हद नइहे। दाई अपन लइका ला दुलारत सेल्फी लेवत हे, ददा अपन लइका ला पीठ मा चघाय सेल्फी लेवत हे, किसान नांगर जोतत सेल्फी लेवत हे, मजदूर पथरा फोड़त सेल्फी लेवत हे, दूधवाला दूध बाँटत सेल्फी लेवत हे, गुरुजी पढ़ात सेल्फी लेवत हे, लइकामन पढ़त सेल्फी लेवत हे, पण्डित। जी पूजा पढ़त सेल्फी लेवत हे,,,,,, अउ झन पूछ का का सेल्फी दिखथे। एको दूध वाला दूध मा पानी मिलावत सेल्फी खींचे ता जानबों, फेर अइसन ना व्यपारी करे ना नेता ना कोनो आम आदमी। अब जे बूता मनखे के रोजमर्रा के काम आय, ओला सेल्फी लेके देखाय के का काम, फेर होवत हे, हाथ मा मोबाइल हे ता तो होबे करही। पहली नेकी कर दरिया मा डार चलत रिहिस, फेर आज तो सोसल मीडिया के दौर मा कुछु चीज भी तोपय नइहे, सब तुरते बगर जावत हे। दया,मया, ममता, काम,बूता, फर्ज, सबे उपरछवां बरोबर होगे हे।
डिमांड अउ सप्लाई के नियम अनुसार- जे जिनिस बाजार मा जादा हो जथे ओखर किम्मत घलो घट जथे, आज मनखे के उपरछवां ला देखत दया,मया, ममता, सेवा सत्कार,गुण, ज्ञान जइसे अमोल मनोभाव के मोल खतरा मा हे। कपड़ा, लत्ता , रंग रोगन, साज सज्जा देखाय के चीज आय, फेर जिनगी के नेव दया, मया, ममता, सेवा, सत्कार,गुण ज्ञान थोरे। घर के जमकरहा बने छत ला देखात हन चलही, चमकत दीवाल, दरवाजा, टाइल्स ला देखाबों तहू चलही अउ कहू नेव ला देखा देबों ता--- । फेर आज मनखे कोन कोती जावत हे, देखावा के दौर मा काला काला नइ परोस देवत हे। लोक लाज, पद- प्रतिष्ठा, सही गलत,,,, कखरो परवाह नइहे। सेल्फी ले घलो आघू मनखे रोजमर्रा के बूता काम, अउ कहूँ घुमई फिरई ला स्टेटस बना के डारत हे। कई बखत अइसने लुकलुकावत सेल्फी काल घलो हो जथे। एक झन संगवारी सपरिवार गोवा घूमे के प्लान करिस। घर ले निकले नइहे अउ स्टेटस चालू- दस दिनों के लिये गोवा टूर फिक्स, बस से एयरपोर्ट जाते हुए, हवाई जहाज में सफर, गोवा का एयरपोर्ट, आलीशान होटल गोवा में, गोवा में पहली सुबह समुंदर किनारे, दूसरा दिन-----, तीसरा दिन---, फलाँ जघा, ढेकाँ जघा, ये मॉल, वो मॉल -------- बाप रे। जा कतको करीबी जर भूँजा गे, कि भारी आनंदमय समय बितावत हे। जब सब ऑनलाइन बिजी हे, ता चोर ढोर घलो रही। चोर मन स्टेटस देखिस कि फलाना दस दिन के टूर मा सपरिवार गोवा जावत हे, पहली दिन ले उंखर घर मा पहुँच गे। पास परोसी ला काहत हे, हमन ओखर ममा जे लइका आन, घर के देख रेख बर रेहेल केहे हे। चोर मन मस्त खाय पीये अउ एक एक समान ला देख ताक के निकाले लग गिन, कोनो देख डरे ता कहै-टीवी बिगड़ गेहे, बनवाय बर लेगत हन। ओती गोवा मा आखरी दिन के स्टेटस चिपकिस अउ इती चोर मन चेन्द्रा तक ला लेके फरार। घर पहुँचिस ता काटो तो खून नही, सबे चीज चोरी होगे रहय। पड़ोसी मन किहिस, कि तुम्हर ममा के लइका मन देख रेख बर आय रिहिस, अउ तुम्हर गोवा के फ़ोटो ला घलो देखावत रिहिस, काली तो घर गिस हवे। पता करिस ता कहाँ के कोनो रिस्तेदार----- आँखी खुले के खुले रहिगे। महँगा पड़गे स्टेस्टस अउ सेल्फी हा। फेसबुक वाट्सअप मा कोन काखर फ्रेंड हे, तेला कह पाना मुश्किल हे। सावधानी जरूरी हे, गोवा टूर के बाद घलो स्टेटस हो जातिस, फेर मनखे मन मा देख देखावा अतका हे कि कोनो एको क्षण दम नइ धरे।
हाथी, घोड़ा, गाय गरवा, पेड़, पहाड़, नदी, नरवा,गाड़ी, मोटर-------डहर चलत का का संग मनखे मन सेल्फी नइ लेवत हे, खैर लेना भी चाही, अउ सोसल मीडिया मा चिपकाना भी, काबर देखावा के जमाना हे। फेर कोनो अचेत, लाँघन, घायल, मजबूर मनखे या जीव जंतु संग सेल्फी लेके सोसल मीडिया मा चिपका देना नइ जमे। थोरिक गुण गियान धरके अपने मुँह मिया मिट्ठू बनना घलो बने बात नोहे। पहली मनखे के गुण ज्ञान कभू पेपर मा खबर बनत रिहिस, आजो बनथे फेर सेल्फी के रूप मा जादा दिखथे। मन के भाव(दया मया ममता सेवा सत्कार गुण ज्ञान) जेला देखे नइ जा सके वोला सेल्फी मा उतार देना अशोभनीय हे, ये सब तो उपरछवां ले घलो जादा बेकार हे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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