Saturday, 8 January 2022

जंगल राज-1*

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                 *जंगल राज-1*

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             *( छत्तीसगढ़ी लघुकथा )*


            चितवा हर बघवा ल कहिस- कइसे  भईराम ! महुँ घलव तोरे असन बलखरहा हंव ।...चल मान लेंय ,तोर ल रंच-मंच कमसल होंहा ,फेर अतकी भर ले मोर हिस्सा -बाँटा नई ये का जी ।


      येला सुनके बघवा तो एक पईत गुर्राइस , तब फेर देश -काल -परिस्थिति ल समझ के ,अपन बुद्धि -विवेक...अकिल ल बउर के ,बड़ मीठ भाखा म कहिस-दउ चितवा ! तँय तो मोर मंत्री रह !


        बातचीत चलते रहिस कि वोमन के आगु म कोलिहा आ गय ।वोला देखके चितवा ,प्रश्नवाचक नंजर ले बघवा कोती ल देखिस, तब बघवा कहिस -येहर हमर स्थानीय नेता आय । येहर हमर प्रवक्ता आय । येहर हमर भेदिया-मुखबिर घलव आय ।


         तभे आगु म एकठन खरगोश -खरहा हर  दिख गय ,  तब चितवा के आँखी म वोइच प्रश्न मन फेर तँउरिस...

"अरे , येहर तो वोटर भर आय, कभु साले चुनाव हो जाही, तब येहर हमन ल वोट दिही।" बघवा हर हाँसत कहिस ।


*रामनाथ साहू*


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