Saturday, 29 January 2022

व्यंग्य-खुरसी के कीमत

 खुरसी के कीमत 


                हमर गाँव के एक झन मनखे के घर म जुन्ना पुराना ददा पैती के खुरसी हा पठँउहा म गरू माढ़े रहय । कोठी ले धान हेरे के बेर .. नौकर मन घला .. घेरी बेरी खुरसी ला एती ले वोती टारत असकटागे रहय । घर के मन हा जइसे सुनिन के खुरसी घला बेंचावत हे .. वहू मन खुरसी ला बेंचे के सोंच डरिन । सियान सियानिन हा कतको मना करिस फेर बहू बेटा मनके आगू म नइ चलिस । सियान हा अतका तक किहिस के ओला कोन बिसाही गा तेमा ? बेंचना हे त .. हमन ला मरन दव तहन बेंच लेहू .. । घर के मन नइ मानिन । खुरसी के नाव म .. घर म रात दिन हरहर कटकट होय के आशंका म सियान के जिव धकधकागे .. ओहा खुरसी ला बेंचे बर हामी भर दिस । खुरसी बहुतेच सुघ्घर रिहिस । अबड़ दिन ले पठँऊहा म माढ़हे माढ़हे मइलागे रिहिस । धुर्रा माटी ला फरिया गुड़ी म रगड़ रगड़ के पोंछ डरिस अऊ धो धुवा के घर के बाहिर परछी म निकाल के मढ़हा दिस । केऊ दिन तक बाहिर म माढ़हे रहि गिस फेर कोई बिसइया नइ अइस । कोन्हो खुरसी ला हिरक के तको नइ देखिस ।

               घर म आपस म सबो झन चरचा करिन के अतेक दिन होगे खुरसी ला बाहिर म माढ़हे .. कन्हो लेवाल आबेच नइ करिस । सियान किहिस – मेहा तो पहिलिच केहे रेहेंव के कोन हमर घर के खुरसी ला बिसाही .. फेर तूमन तो मानबेच नइ करेव । ओकर नाती हा किथे – बेंचाही बबा । फेर कन्हो ला बताये बर परही के हमन खुरसी बेंचत हन .. तभे तो लेवाल आही । दूसर ला कइसे पता चलही के तूमन खुरसी ला बेंचे बर राखे हाबव । दूसर दिन खुरसी के तिर म एक ठिन बोर्ड टँगागे – खुरसी बेचना हे .. इच्छुक बिसइया सम्पर्क करव ... । बोर्ड हा टँगाये टँगाये थकगे । बोर्ड के गोड़ टुटगे फेर कोई मनखे तिर म नइ ओधिन । 

               घर के सदस्य मन के बीच बइसका सकलागे । चारों मुड़ा चाँव चाँव होय लगिस । बहू बेटी मन खुरसी ला रोज रोज झाड़ धो पोंछ के तंग आ चुके रिहिन । ओमन खुरसी ला टोर फोर के आगी बारे के सलाह दे लगिन । बेटा मन वापिस पठँऊहा म टाँगे के बात करिन । नाती मन खुरसी ला क्रिकेट के समान बनाये के जिद करे लगिन । सियान किथे – में जानत हँव बेटा .. कोन हमर खुरसी ला बिसाही .. फेर तूमन नइ मानेव । तेकर ले .. रहन देव एला .. तुँहरे मन के बइठे के काम आही । नाती टुरा मन भड़कगे – अइसन खुरसी म बइठबो त हमर तो धंधा चौपट हो जही बबा । एमा कोन्हो ला बइठना नइहे कहिके तो बाबू मन एला पठँउहा म टाँग के राखे रिहिन । येहा नइ टँगाये रहितिस .. त हमन अभू घला खाये बर तरसत रहितेन । 

               सियानिन किथे – अइ पठँउहा म टाँगे म जब हमर धन दोगानी म अतेक बढ़होत्तरी होइस तब येला घर ले निकाल के बेंचे म अऊ कतेक हो जहि .. गऊकिन हम नइ जानत रेहे हन बेटा .. । तोर बबा हा तो फायदा के बात तो मोला कभूच नइ बतइस । अब तो हमर मरे के पहरो आगे हे बेटा । हमर काये .. आज के रेहे कल के गे .. । तूमन जइसे उचित समझव कर डरव ... ।  

               नाती किथे – येकर पाया ला बदल देबो तहन जरूर बेंचाही .. डोकरी दई । कुछ दिन म पाया बदलगे । बहुत जल्दी ओकर बाबू हा सरपंच बनगे । खुरसी ला बिसाये बर घर म लइन लगगे । जइसे जइसे खुरसी के बोली लगत गिस तइसे तइसे ओकर कीमत बाढ़त गिस । एक दिन नाती हा विधायक बन गिस । खुरसी के रेट महँगाई कस सनसनऊँवा बाढ़े लगिस । नाती हा विधायक ले उपर अऊ चार कदम ओ पार नहाकगे । खुरसी के रेट हा आसमान छुये ला धर लिस । खुरसी के कीमत ला सियान ला अभू तक समझ नइ अइस । ओहा पठँउहा भितरि म वापिस राखे के जुगत म लगे रहय .. एती नाती मन खुरसी ला अतेक वजनदार बना डरे रहय के .. ओला उचा सकना सियान के बस के बाहर के बात रिहिस । जनता के खुरसी ला कोन बिसाही ... ओला बेंचे बर ईमानदारी के जुन्ना पाया ला निकालके .. ईमानदार लिखाये नावा पाया धराये ला परथे ... वजनदार बनाये बर परथे ... बपरा सियान अइसन बात ला अभू तक नइ समझ पइस । 


हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन , छुरा .

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