Saturday, 8 January 2022

उधारी

 उधारी


      मोतीराम के गाँव के इस्कूल ले छोटे शहर मा बदली होगे। इहाँ आय के पाछू शहर के बूड़ती डहर एक ठन किराया के घर मा परिवार संग रहे लगिस। नवा नवा आय ले कोनों दुकान मा चीन पहिचान नई होय रहय। जौन जिनिस चाही वो दुकान मा जातिस अउ नगदी बिसा के ले आवय। छे महिना बीतगे......साल भर बीतगे फेर मोतीराम कभू कोनों दुकान मा पाँच रुपया के उधारी नइ करिस। शहर मा निशंक घुमय। ओखरे इस्कूल के एक झन  देवाँगन मास्टर जौन ओखर ले तीन महिना पहिलीच आय रहिस, ओहा जब शहर के रद्दा नइते दुकान के आगू ले निकलतिस ता आजू बाजू के दुकान वाला मन ओला रोज नमस्ते करतिस।एक दिन मोतीराम ओखर संग सदर मा पइदल घूमत रहिस।सबो दुकान वाले मन ओला नमस्ते गुरुजी...नमस्ते गुरुजी कहय अउ मोतीराम ला कुछू नइ कहय। मोतीराम एला देख के वोला कहिस - देवाँगन जी! दुकानदार मन तोर अबड़ मान करथे जी, अइसन काय करे हस। मोला तो कोनों नइ चिनहय।

         देवाँगन मास्टर हा बताइस-अइसन कुछू नइ हे  साहू जी! महू ला इहाँ के दुकान वाला मन छे महिना ले नइ चिनहत रहिस। मोर मितान हा बताइस कि अइसन तैंहा दसो बच्छर ले नगदी लेवत रहिबे ता कोनों दुकानदार तोला नइ चिनहय।एखर बर तोला उधारी करे बर परही, भले तोर करा पइसा रहय। तब ले मँय अब दुकान मा नगदी कम उधारी जादा जिनिस बिसाथँव। उधारी ला घेरी बेरी सुरता कराय बर ओमन नमस्ते करथे। मोतीराम घलो अपन चीन पहिचान बढ़ायबर देवाँगन संग जा जा के दुकान मन मा उधारी मा जिनिस बिसाय लगिस फेर उधारी ला जादा दिन तक राखे बर ओखर जी नइ धँसय।दस पन्द्रा दिन मा उधारी ला जमा कर देवय। तीन चार महिना मा सब दुकानदार वहू ला चिन्हे लगिन, फेर ओला ईमानदार गुरुजी समझे लगिन।अब मोतीराम अकेल्ला घलो बजार जावय ता दुकान वाला मन नमस्ते करके बलावय अउ देवाँगन के उधारी ला अबड़ दिन होगे हावय कहिके बतावत कहँय.... ओखर उधारी हा अबड़ दिन हो गे हावय ...सरेख देतेव गुरुजी!.... देवा देतेव गुरुजी! मोतीराम अब ओखर उधारी मँगइया मन के सेती घर ले नइ निकलय नइते दूसर डहर ले आवय जावय, अउ मने मन मा कहय... चीन पहिचान बनाय खातिर अपने गोड़ मा उधारी के टंगिया मार परेंव।



हीरालाल गुरुजी"समय"

छुरा,जिला गरियाबंद

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