Monday, 31 January 2022

क्रांतिकारी वीर, छत्तीसगढ़ के मंगल पांडे, ठाकुर हनुमान सिंह



 

*क्रांतिकारी वीर, छत्तीसगढ़ के मंगल पांडे, ठाकुर हनुमान सिंह*

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क्रांतिकारी कहे म उन देशभक्त वीर मन के छवि, मानस पटल म उभरे ल धर लेथे जे मन भारत माता के परतंत्रता के बेड़ी ल काटे बर अत्याचारी ब्रिटिश हुकूमत संग अपन जान के बाजी लगाके, मूँड़ म कफन बाँध के लड़िन। क्रांतिकारी मन के सीधा सिद्धांत रहिस--''जिन्ह मोहि मारा,ते मैं मारे"।ईंट के जवाब पत्थर ले देना चाही--इँकर मूल मंत्र रहिसे। अत्याचारी मन के निर्मम हिंसा के जवाब,हिंसा ले देये म इन पीछे नइ हटत रहिन हे। ब्रिटिश शासन के अत्याचारी गोरा मन ल रद्दा ले हटा के ,आजादी के मारग ल इन चतवारना चाहत रहिन हें।धन्य हें ये क्रांतिकारी मन।

        हमर देश म आजादी के लड़ाई जेकर से जइसे बन परिस तइसे--कई मोर्चा म लड़े गिस। ये लड़ाई म पढ़ईया लइका, सरकारी नौकरी करइया, वकील, किसान, गृहणी, साहित्यकार, राजनैतिक दल, क्रांतिकारी युवा अउ अंग्रेजी सेना के भारतीय सैनिक मन के अनमोल योगदान रहिसे।

     छत्तीसगढ़ महतारी के भुँइया म तको आजादी के लड़ाई के कतकोन इतिहास भरे हे। सन् 1857 के गदर ल प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भले कहे जाथे फेर इहाँ के आदिवासी मन अलग-अलग कारण ले एकर पहिलीच ले ब्रिटिश हुकुमत ले विद्रोह करके अपन प्राण न्योछावर करें हें।

      इही क्रांतिकारी मन में एक झन सोनाखान के शेर सपूत छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह रहिसे। जब वोला पकड़के 10 दिसम्बर 1857 के रायपुर (वर्तमान जय स्तंभ चौक ) म अंग्रेजी शासन ह सरे आम फाँसी दे दिस त सरु छत्तीसगढ़िया मन के आत्मा खउलगे। जगा-जगा विरोध होइस।चारों कोती अशांति फइलगे।ये विरोध के आगी ल लेफ्टिनेंट स्मिथ के फौज ह बंदूक के नोक म लटपट म बुझाइस फेर चिंगारी तो  दहकते रइगे--भारतीय सिपाही मन के छाती म।

        इही म रायपुर के अंग्रेजी हुकुमत के सैनिक छावनी के बहादुर सिपाही ठाकुर हनुमान सिंह के छाती के चिंगारी ह धधकत दावानल बनगे।जब ले वो सुने रहिस के क्रांतिकारी ,गरीब मन के हितवा जमींदार वीर नारायण सिंह ल फाँसी दे दे गेहे ,तब ले वो व्याकुल होगे रहिस।वोकर हिरदे अँग्रेज मन बर नफरत अउ गुस्सा ले भरगे रहिस।वो ह दाँव खोजत रहिस के कब लेफ्टिनेंट जनरल स्मिथ जेन ह वीर नारायण ल पकड़ के लाये रहिस अउ वोकर अंग्रेज आफीसर मन ल काट के कुढ़ो दवँ। वो ह मौका के तलाश म रहिस।

    कहिथे न - ' चहाँ चाह है वहाँ राह है '।  हनुमान सिंह ल वीर नारायण सिंह के फाँसी के 40 दिन पाछू वो अवसर मिलगे। साँझ के गहिरावत अँधियार म 18 जनवरी 1858 के उही लगभग 7:30 बजे तलवार धरे लेफ्टिनेंट  सार्जेट मेजर सिडवेल के बंगला म धावा बोल के वोला कुटी-कुटी काट के कुढ़ो दिस तहाँ ले खून म सनाये तलवार ल लहरावत शस्त्रागार कोती दउँड़गे। उहाँ जाके सैनिक मन ले विद्रोह बर पुकार करिस, देखते देखत 17 झन आजादी के परवाना सैनिक जिंकर नाम--शिवनारायण(गोलची), पन्नालाल (सिपाही), मतादीन(सिपाही), ठाकुर सिंह(सिपाही), बल्ली दुबे(सिपाही), ल ल्ला सिंह(सिपाही), बुद्धु सिंह (सिपाही),परमानंद(सिपाही),शोभाराम (सिपाही), गाजी खान(हवलदार),अब्दुल हयात(गोलची), मल्लू(गोलची), दुर्गा प्रसाद(सिपाही),नजर मोहम्मद(सिपाही), देवीदास(सिपाही)अउ जय गोविंद(सिपाही) मन भारत माता के जै बोलावत दउँड़ के आगें तहाँ ले जम्मों झन बंदूक अउ कारतूस मन ला अपन कब्जा म कर लिन।अगर कहूँ अँगरेजी फौज के जम्मों भारतीय सिपाही आ जतिन त छत्तीसगढ़ ले उही दिन अँग्रेज मन के नामो निशान मिट जतिस फेर कुछ डरपोकना अउ घुचपुचिया मन गोरा मन के पाछू म जाके लुकागें।

       इही बीच सिंडवेल के हत्या अउ सैनिक विद्रोह के खबर पूरा छावनी म फइलगे।लेफ्टिनेंट रैवट अउ लेफ्टिनेंट सी० एच०एच० लूसी ह अपन सैनिक मन संग विद्रोही सैनिक मन ल घेर लिस।लगभग छै छंटा ले मुकाबला होइस। विद्रोही मन के गोली सिरागे, बंदूक के मुँह बंद होगे तहाँ ले अंग्रेज मन सबो विद्रोही क्रांतिकारी सैनिक मन ल पकड़लिन फेर वोमा वीर हनुमान सिंह नइ रहिस।वो तो अंग्रेजी फौज के चंगुल के बोचक के कती गिस तेकर पता कोनो ल नइ चलिस।

     पकड़ाये सबो 17 क्रांतिकारी सैनिक मन उपर झटपट मुकदमा चलाके रायपुर के डिप्टी कमिश्नर इलियट के आर्डर ले सैनिक छावनी (वर्तमान पुलिस लाइन मैदान रायपुर) म 22 जनवरी 1858 के फाँसी म लटका देइन। उपर ले इन अमर शहीद मन के परिवार जन उपर जुल्म ढावत, उँकर सम्पत्ति ल जप्त कर ले गिस।

    वोती ठाकुर हनुमान सिंह ल जिंदा या मुर्दा पकड़े बर 500 रुपिया के इनाम के घोषणा कर दे गेइस फेर  बैसवाड़ा (वर्तमान अवध क्षेत्र, उत्तर प्रदेश) म 1922-23(निश्चित तिथि ज्ञात नइये) म जन्मे 35 साल के गबरू जवान ,राजपूत देशभक्त, मतवाला ठाकुर हनुमान सिंह कभू ककरो हाथ नइ अइच।

अइसे भी बताये जाथे के वो ह 24 जनवरी 1958 के रात म उही अंग्रेज मन के खून के प्यासा तलवार ल धरके कमिश्नर इलियट के बंगला म जिंहा स्मिथ तको सुते रहिस हे, दूनों झन ल काटे बर दीवाल फाँद के कूदे रहिसे फेर पहरादार मन के चिल्लाये ले सब बिरथा होगे अउ वीर हनुमान सिंह ह लहुटगे।वो दिन ले वो कहाँ गिस, कहाँ रहिस, कब अमर लोक गमन करिस---कोनो ल पता नइये।

  धन्य हे भारत के लाल क्रांतिकारी ठाकुर हनुमान सिंह जेला छत्तीसगढ़ के मंगल पांडे पुकारे जाथे---धन्य हे--धन्य हे----धन्य हे।


जय हिंद। वंदेमातरम।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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