*गाय के गोबर*
चैतू के बहू ममता ला नर्सबाई बने छे महिना होय रहिस। चैतू हा अपन पुरखा के चिन्हा गाय गरु ला घर मा राखे हवय। बहू हा नउकरी लगिस ताहन घर मा राखे गाय अउ बछरु ला गउशाला भेजवा दिस। घर मा गाय के गोबर ला देख के अब छिनमिनाय लगे। ओखर कहरई हा ला अब सही नइ सकत रहिस।अब ओहा घर के साफसफई मा अबड़ेच धियान देय लगिस। दू बच्छर घर ले दुरिहा शहर मा ट्रेनिंग करेबर का गईस कि ओखर बेवहार बदलगे। ट्रेनिंग पूरिस अउ दू महिना शहर के एक ठन अस्पताल मा लगे रहिस कि सरकारी नउकरी बर कागज आगे अउ गाँव तीर के स्वास्थ्य केन्द्र मा नर्सबाई बनगे।
ममता हा घर के गउ कुरिया(कोठा) ला उझार के उही ठउर मा नवा गच्छी वाला अपन रेहेबर घर बनवाय बर ससुर ला कहिस। बढ़िया टाईल्स, खिड़की, लगवाइस। पुट्टी, पेंट पालिस, बढ़िया नवा कपाट, नवा किसम के लईट, पंखा लगवाईन। तीन महिना मा गाय कोठा के रंगरुप बदलगे। गाँवभर मा नवा घर के शोर होय लगिस।सबो मन कहिन-अतका सुग्घर घर बनाय हवव ता पूजा पाठ कराके घर मा जावव। ममता हा आज पूजा के दिन बिहनिया ले, घर के दुवार लिपेबर अउ गौरी गनेश बनाय बर गोबर लेहे अउ पूजा बर दूध दही बिसाय बर उही गउशाला मा आय हे जिहाँ अपन गाय बछरु ला भेजवाय रहिस।
हीरालाल गुरुजी"समय"
छुरा,जिला गरियाबंद
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