*लीम चौरा*
***********
चिरई मन के चुहुल-पुहुल होवत रहय।नान्हे चिरई मन ए डारा ले ओ डारा फुदक-फुदक के खेलत कूदत रहय।कउवा,पड़की,खुसरा,सल्हइ कतको चिरई मन लीम के डारा म संग-संग हंसी खुशी ले रहय। डारा के खाल्हे गली के लईका मन ह सकला के बांटी,भौरा,बिल्लस,चूड़ी लुकउला,गोटा,डंडा पिचरंगा सब अपन-अपन खेल खेलय। रमा,रहीम,भोलू,गोलू ,मनप्रीत सब लईका मन संग म खेले अउ खुश रहय।पेड़ के डारा जइसने अलग अलग चिरई चुरगुन मन म अलग होके घला एक संग म खेले खाय तइसने सबो लईका मन धुर्रा म सने जात धरम ले दुरिहा सङ्गे संग ननपन के मजा इहि लीम चौरा के तीर लेवय।
इस्कूल ले आके घर के खूंटी म बस्ता टाँग के सब झन लीम चवरा के तीर जुरियाय।लीम चौरा जइसे उकर बर घर ले दुरिहा अपन पन के भाव रखत खुशी के संसार रहिस।
लइका त लइका सियान मन घला लीम चौरा म संग बइठ के एक दूसर के सुख दुख म सहभागी बनय।कमरछट के सगरी ,होली के नगाड़ा ,अउ ताजिया इही लीम चवरा के तीर मनय ।अब्बू के बीते के बाद नोनी सकीना के बिहा के मनड़प इही लीम चवरा के तीर सब झन मिलजुल के गड़ाके बेटी के बिदाई करे रिहिस।मंगलू के क्रिया -करम बर बिचारी गरीबीन मंगनिन का करतिस, भान नई होइस सबो मिल आगू ले आगू कलेवा भात अउ सगा सम्बन्धी बर पूरा तैयारी इही लीम चौरा के तीर सब झन मिलके करिन।
जवनहीन मन काम बुता म जाय त लईका मन ल धरके सियान दाई मन इहि लीम चौरा म खेलावय।लीम चौरा ह पुरखा ले उँकर दुख-सुख म संग देवत परमान बनके सउहत खड़े रहिस।
जब लाक ड़ाऊन रिहिस त इहि लीम चौरा म गुरुजी के मोहल्ला क्लास लगा के ज्ञान के अंजोर बगरात रहिस।
सबो झन एक दूसर ले मया करय।खुसी -खुसी दिन बीतत रहिस।तइसने गांव म मंत्री जी के पाँव पड़िस चुनाव के बेरा अवइया रहिस अपन वोट के चक्कर म मांग पूरा करत एक समाज बर भवन बनाये के घोषणा कर दिन।
गाँव म चौक लीम चौरा के ठउर ल इकर बर चुने गिस।
अब लीम चौरा ह एक धरम बिसेस के हो जाहि, ए बात दूसर धरम के मन ल मंजूर नई रहिस ।रात दिन अब दोनों समाज के बीच झंझट बढे ल लगगे।दुनों समाज के सियान मन अपन अपन जिद म आके झगड़ा ल बढ़ा डरीन।
अब आये दिन के झगड़ा म लीम चौरा ह सुन्ना परगे।मनखे मन के कांय-कांय ले चिरई चुरगुन मन घला लीम डारा ल छोड़े लगिस। अब मतभेद अतिक बढ़ गए रहिस त गांव म लईका मन ल संग खेले कूदे बर घला मनाही रहिस।
एक दिन सियान मन के मुँहू ले लीम के कांटे अउ नवा बिल्डिंग के चर्चा चलत रहिस।ये बात ल सुनके रमा सियान मन ले लुका -छिपा के इस्कूल के भीतरी सबो लईका मन ले मिलिस।उँहा सबला सकेलत कहिस अब हमर लीम कटा जाहि फेर हमन कभू संग नई हो सकन हमन के बीच के दीवार ह अब मिट नई सकय।
अब्दुल होनहार लईका रहिस रमा के बात ल आगू बढ़ावत कहिस।दीदी अइसन झन कहा हमन ल कुछु करे ल परही।
भोलू बीच म किहिस अब्दुल भाई हमन वानर सेना अस जुरिया के काम करथन।
हाँ वानर सेना !सबीना के आँखी म बिसवास चमके लगिस।वइसने वानर सेना जइसने इंदिरा जी ह आजादी बार लईका मन ल जोड़ के बनाये रहिस।
सब सुर म सुर मिलावत एक मत होगे।रमा तब किहिस हमर वानर सेना अब सुंदर लाल बहुगुणा के कारज ल करबो।गुरुजी बताए रिहिस ओमन के पेड़ म चिपके के चिपको आंदोलन ले जंगल के रखवाली होही।
गोलू अस कतको लइका मन मने-मन ददा के मार ल डर्रावत रहय।फेर घर म कैद रेहेले अउ रात दिन के किटीर-काटर ले एक उदिम करे जाय।सब के निश्चय ह ओमन ल संबल दिस।
बिहाने जब लीम ल काँटे बर आइन त सबो लईका मन रुख ल पोटार के खड़ा होगे। देखत-देखत बस्ती भर के मन सकलागे सब के उदिम काम नई आइस।
इस्कूल म आज लईका मन नई पहुचे रहिस।हेडमास्टर ल अचरज होइस हेडमास्टर जब लीम चौरा तीर पहुँचीस त देखिन वो मन लीम ल पोटार के खड़े हवय।अउ कटइया मन हथियार धर के घला निहतथा ।संगठन म कतिक शक्ति होथे।अउ दृढ़ इच्छाशक्ति ल मन के दुविधा दुरिहा जाथे।आज ये बात के भान तो हो गए रहिस।
गुरुजी जब जानिस त ओला अपन शिक्षा के ऊपर गरब होइस।अउ लगिस आज सिरतो उँकर शिक्षा ह सार्थक होगे।
गुरुजी सियान रहिस गांव के सब झन उँकर इज्ज़त करय।उँकर बात ल कोनो टाले अइसन कमे होवय। गांव के सियान मन ल बुला के गुरुजी कहीस जे निर्माण के नेव म झगडा हवय तेकर छत के छईहाँ कइसे सुख दाई रही।
लीम चौरा मया अउ प्रेम के ठउर आय एला पहिचानो ।अउ फेर भवन बनाना हवय त इस्कूल के तीर खाली जमीन म सबो के काम आय अइसन मंगल भवन बनना चाही।खाली समय म इस्कूल के लईका मन के उत्सव के काम आहि अउ बाकी जरूरत के बेरा समाज के सब जन के काम।
लीम के चौरा के संग तुंहर दया-मया, प्रेम अउ मिलाप ह घला बने रही।
सियान मन मानगे अब लईका मन गुरुजी ल घेर के तीर म आगे।गुरुजी उकर मुड़ म हाथ फेरत इस्कूल तीर चलिन।जइसे हाथ ले उँकर काम ल सहूँरात असीस देवत हे।
इस्कूल के तीर जगह के चयन होइस अब सर्वजन बर बड़का मंगल भवन गुरुजी के उदिम ले बने लगिस।गांव के दुनों समाज के मन मिलके भूमिपूजन करिन।मया के मोटरी इँहा बन्धाये रहय इहि सोच लइकामन गुरुजी के संग मंगल भवन के आगू लीम के पेड़ लगाइस।अब गांव म सब मिल जुल के रहय।लीम चौरा म चिरई,चुरगुन के चुहुल पुहुल संग लईका मन के किलकारी अउ सियान जवान मन के मेल मिलाप भरे सब बर शीतल छईहा के ठाँव होगे।
🙏
द्रोणकुमार सार्वा
मोखा(गुंडरदेही)
No comments:
Post a Comment