एकरूपता के आस म छत्तीसगढ़ी भाखा..
छत्तीसगढ़ी भाखा म साहित्य सिरजन तो सैकड़ों बछर ले होवत हे. आज हमर आगू म लोकसाहित्य मन के अथाह खजाना दिखथे, तेन ह वोकरे परसादे आय. फेर ए भाखा ल एकरूपता दिए खातिर उदिम थोर कमतिच दिखथे. एकरे सेती लोगन अपन-अपन सोच अउ उच्चारण के मुताबिक एला लिखत अउ बउरत रेहे हें, अभी घलो वइसने च बउरत हें.
छत्तीसगढ़ी व्याकरण खातिर उदिम तो काव्योपाध्याय हीरालाल चंद्रनाहू जी के सन् 1885 म लिखे 'छत्तीसगढ़ी बोली का व्याकरण' किताब ले देखे बर मिलत हे. एकर पाछू अउ कतकों विद्वान मन के घलो किताब आइस, फेर सर्वस्वीकारिता कोनो ल नइ मिलिस. सन् 2000 म अलग छत्तीसगढ़ राज के गठन के बाद ए बुता म अउ जादा गति देखे बर मिलिस. खास करके 'छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग' के गठन के बाद एक भरोसा जागिस के सरकारी मंच के माध्यम ले जेन निर्णय लिए जाही, तेला सबो एक सुर म मानहीं, अउ वोकरे मुताबिक छत्तीसगढ़ी के लेखन करहीं.
राजभाषा आयोग के पहला अध्यक्ष श्यामलाल चतुर्वेदी जी संग ए संबंध म गोठ करे गिस, त उन कहिन- 'मोला लागथे, के अभी हमन ल मानकीकरण ले जादा साहित्य के लेखन डहार जादा जोर देना चाही. जादा ले जादा साहित्य लोगन के आगू म आही. सब एक-दूसर के रचना ल पढ़हीं. वोमा के अच्छा-अच्छा शब्द मनला बउरत जाहीं, तहाँ ले अपने-अपन मानकीकरण हो जाही. छत्तीसगढ़ी म एकरूपता दिखे बर लगही.
राजभाषा आयोग के दूसरा अध्यक्ष दानेश्वर शर्मा जी संग घलो ए विषय म गोठ करेन, त उन हाँ एकर ऊपर तो ठोस बुता होना चाही, कहिन अउ सिरतोन म ए रद्दा म पाॅंव घलो राखिन. एक दिन पूरा प्रदेश भर के पोठहा साहित्यकार, भाषाविद् मनला सकेल के आयोग के ही हाल म एकर ऊपर चर्चा करवाइन. ए चर्चा म सबो विद्वान मन डहार ले एक बात ऊभर के आइस, के देवनागरी लिपि के जम्मो 52 वर्ण ल छत्तीसगढ़ी लेखन म बउरे जाना चाही, छत्तीसगढ़ी के लेखन म कहूँ दूसर भाखा के शब्द ल बउरथन त वोला जस के तस लेना चाही. वोमा कोनो किसम के टोर-फोर नइ करना चाही.अब शिक्षा के अंजोर के संग लोगन आने भाखा ले आने वाला शब्द मन के उच्चारण ल शुद्ध रूप म करथें, त लेखन म घलो शुद्ध रूप के ही उपयोग करना चाही.
ए बइठका के पाछू एक अउ बइठका कर के वोमा मानकीकरण खातिर अंतिम निर्णय लेबोन कहे गिस, फेर दूसरइया बइठका के आरो शर्मा जी के कार्यकाल के सिरावत ले नइ मिलिस.
हाँ, दानेश्वर शर्मा जी के कार्यकाल म राजभाषा आयोग डहार ले सलाना जलसा के बेरा म एक स्मारिका छपवाए के उदिम घलो करे गिस. ए स्मारिका खातिर चार झन साहित्यकार मन के संपादक मंडल बनाए गिस, जेमा- डाॅ. परदेशी राम वर्मा, जागेश्वर प्रसाद, रामेश्वर शर्मा अउ सुशील भोले ल संघारे गिस. वइसे तो संपादक मंडल म चार सदस्य रेहेन, फेर एकर जम्मो पोठहा बुता ल मोर जगा करवाए गे रिहिसे, तब मैं आयोग के अध्यक्ष, सचिव, जम्मो सदस्य अउ संपादक मंडल के सदस्य मन ले स्मारिका के भाखा ल मानकीकरण खातिर होए बैठक चर्चा के अन्तर्गत रखे जाय का? कहिके पूछे रेहेंव, तब कहे गे रिहिसे- जब तक मानकीकरण के बुता ह सर्वसम्मति ले पूरा नइ हो जाय, तब तक लोगन जइसे लिख के दिए हें, वइसने छापे जाय कहे गे रिहिसे.
मानकीकरण ले रद्दा म राजभाषा आयोग के तीसरा अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक जी के कार्यकाल म पोठहा बुता होइस. 22 जुलाई 2018 के दिन बिलासपुर म डाॅ. विनोद कुमार वर्मा जी के संयोजन म आयोजित राज्यस्तरीय संगोष्ठी म सर्वसम्मति ले प्रस्ताव पारित करे गिस- "छत्तीसगढ़ के राज्यपाल द्वारा 11 जुलाई 2018 के अधिसूचित राजभाषा (संशोधन) अधिनियम 2007 (धारा 2) के संशोधन के अनुरूप छत्तीसगढ़ी भाषा के मानकीकरण बर देवनागरी लिपि (वोकर 52 वर्ण मन) ल यथा-रूप अंगीकृत करे जाही, जेला केन्द्र शासन ह हिन्दी भाषा खातिर अंगीकृत करे हे.
ए राज्यस्तरीय संगोष्ठी म छत्तीसगढ़ के जम्मो ठोसहा साहित्यकार अउ भाषाविद् मन संघरे रिहिन हें. ए पूरा कार्यक्रम के लेखाजोखा राजभाषा आयोग के कार्यवाही रजिस्टर म लिखाय हे, तभो ले खुद राजभाषा आयोग अउ वोकर ले जुड़े लोगन काबर वोकर पालन या अनुसरण अभी घलो नइ करत हें?
मन म एक बात इहू उठथे- का सत्ता म आए बदलाव के सेती पहिली के सरकार के बेरा म पारित प्रस्ताव ल घलो बदलगे हवय या वोला राजनीतिक प्रस्ताव जइसन कचरा के संदूक म झपा दिए गिस? जबकि होना तो ए रिहिस, के वो प्रस्ताव ल शासन प्रशासन के संगे-संग जतका भी ठीहा म छत्तीसगढ़ी भाखा ल कोनो न कोनो रूप म बउरे जावत हे, सबो म लागू करवाय के उदिम करे जाना रिहिसे. भरोसा हे, जिम्मेदार लोगन के ए मुड़ा चेत जाही. अउ एला एकरूपता के रूप म सबो डहार एक रूप म पढ़े लिखे बर मिलही.
मोर तो ए कहना हे, के हमन सिरिफ नागरी लिपि के जम्मो 52 वर्ण मनला ही अपन-अपन लेखन म सरलग बउरे लगीन, हिंदी या आने भाखा ले आने वाला शब्द मनला बरपेली छत्तीसगढ़ीकरण करे के नॉव म टोर-फोर करे के बलदा जस के तस लिखे ले धर लेईन तभो मानकीकरण के रूप म एकरूपता के आधा ले जादा समस्या उरक जाही.
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
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