Friday, 17 November 2023

निर्मला

 *निर्मला*


रमेसरी अउ निर्मला नता मा देवरानी जेठानी रिहिस।निर्मला हा अपन देवरानी के कतको छोटे मोटे गलती ला घिरयावत परिवार के जतन मा लगे रहे।एती रमेसरी अपन लइका अउ अपन जेठानी के लइका मन मा दुआभेद करय।कोनो भी खाए पीए के जिनिस लावय त अपन लइका मन ला अपन कुरिया मा बलाके चुपचाप खवावय।

एती कभू निर्मला जब भी अपन लइका मन बर कोनो जिनिस बिसातिस त अपन देवरानी के लइका मन बर घलो बिसावय।एला उंकर अरोसिन परोसिन मन तक जानय।

फेर रमेसरी के बर्ताव ला देख के निर्मला के जीव घलो कल्ला जावय।ए बखत वो अपन मन मा ठान लिस कि अब में काकरो संसो नी करंव। सिर्फ अपन लोग लइका के धियान रखहूं।

काली के बात आय स्व सहायता समूह के दीदी मन संग निर्मला डोंगरगढ़ देवी दर्शन बर गे रिहिस।माता के दर्शन करके लहुटे लगिस त ओला लइका मन के कपड़ा दुकान दिखिस।ओहा दुकान मा जाके अपन लइका मन बर कपड़ा बिसाइस अउ दुकान वाले ला पैसा देके फेर मोटर में बइठे बर लहुटे लागिस।फेर को जनी का मन होइस ते फेर उही पाॅंव लहुटे लगिस त ओकर परोसिन कमला कहिथे-में जानत हंव ओ निर्मला तें अपन देवरानी के लइका मन बर कपड़ा बिसाय खातिर जावत हस।तोर मन मा दुआभेद कभू नी आ सकय। तें निर्मला हरस ओ निर्मला!!तोर मन मा मैल नी रहि सकय।

ओकर गोठ ला सुनके निर्मला मुच ले हांसदिस अउ बढ़िया असन कपड़ा छांटे बर धरलिस।


रीझे यादव

टेंगनाबासा(छुरा)

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