Thursday, 30 November 2023

छत्तीसगढ़ी" कब बनही राज-काज के भाखा ..???

 "छत्तीसगढ़ी" कब बनही राज-काज के भाखा ..???


28 नवंबर 2007 के  छत्तीसगढ़ विधानसभा म छत्तीसगढ़ी ला राजभाषा के दर्जा दे खातिर विधेयक पारित करे गे रहिस । तब ले हमन 28 नवम्बर के दिन ला छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के रूप म मनावत आत हन। 16 बछर होगे हवय छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा बने फेर अब तक राज-काज के भाखा नइ बन पाना ये चिंता के विषय हे ।


पाठ्क्रम म छत्तीसगढ़ी भाखा ला शामिल करें के माँग कई बच्छर ले उठत रहिस । प्राथमिक स्तर म कक्षा पहली ले पाँचवीं तक कम से कम एक विषय छत्तीसगढ़ी ल अनिवार्य रूप से लागू करे के माँग ल सरकार पूरा तो करिस फेर छत्तीसगढ़ी के संग अन्य क्षेत्रीय बोली ल अलग अलग जगा पढ़ाये के उदीम कर के छत्तीसगढ़िया मन ल बांटे के काम सरकार हा कर दिस। जब कोनो राज के भाखा,साहित्य अउ संस्कृति के विकास होही तभे सही मायने मा उँहा के मनखे मन के विकास होही। छत्तीसगढ़ी म सरलता अउ सहजता लाये खातिर देवनागरी लिपि के जम्मो 52 वर्ण के प्रयोग होना चाही संगे संग दूसर भाखा ले आये शब्द ल ज्यों के त्यों ले बर परही येकर ले छत्तीसगढ़ी के शब्द भंडार घलो बाढ़ही । शब्द भंडार बाढ़े ले भाखा के प्रसार अउ व्यापक होही।

          छत्तीसगढ़ी प्रायमरी स्कूल म लागू होय के पहिली ले एम.ए.के कोर्स विश्वविद्यालय म पढ़ाये जात हवय फेर  छत्तीसगढ़ी भाखा फिलहाल तक रोजगारोन्मूलक नइ हे। एम.ए.करे के बाद युवा मन बेरोजगार घूमत हवय। यदि भाखा हा रोजगारोन्मूलक नइ होही तब वो भाखा ला कोनो काबर पढ़ही ? सवाल यहू हवय कि जब हिन्दी, अँग्रेजी, संस्कृत सहित अन्य प्रदेश के भाखा म पढ़े लिखे युवा मन बर रोजगार के अवसर हवय तब छत्तीसगढ़ी भाखा के पढ़े लिखे युवा मन बर काबर नहीं ? अउ यदि छत्तीसगढ़ी मा एम.ए.करे युवा ल रोजगार नइ मिलही तब ये कोर्स चलाय के का फायदा ?


छत्तीसगढ़ी ला आठवीं अनुसूची में शामिल करे बर के बात कहे जाथे ये केवल मन ला बहलाए के उदिम आय। प्रदेश के सांसद मन लोकसभा अउ राज्यसभा मा ये मुद्दा ला उठाइन,बने बुता करिन हवय फेर एक संग एक स्वर म काबर नहीं। फेर मोर सवाल अतके हवय कि पहिली अपन राज म तो छत्तीसगढ़ी ला राज-काज के भाखा बना लव फेर आठवीं अनुसूची कोती जाबों । छत्तीसगढ़ी आठवीं अनुसूची म जब आही तब आही अभी फिलहाल तो राज-काज के भाषा बनाना जरूरी हवय। जेन काम केंद्र के आय तेकर बर दउड़ धूप अउ जेन काम राज के आय तेकर बर सबो चुप..? 


छत्तीसगढ़ के जम्मो जन प्रतिनिधि मन छत्तीसगढ़ी ल बने ढंग से जानथे अउ बोलथे घलो फेर विधानसभा के कार्यवाही, मंत्रालयीन कार्य, प्रेस कांफ्रेंस अउ आम बोलचाल मा छत्तीसगढ़ी के उपयोग काबर नइ करय ? जइसन धारा प्रवाह छत्तीसगढ़ी के प्रयोग चुनावी भाषण म करथे, चुनाव होय के बाद अपन महतारी भाखा ल काबर भुला जथे ? सही मायने म देखा जाय ता छत्तीसगढ़ी ल यदि कोनो बचा के रखे हवय ता वो हे- गाँव के किसान, मजदूर, काम वाली बाई, मिस्त्री, बढ़ई मन हे। जेन दिन इमन छत्तीसगढ़ी बोले ल छोड़ देही वो दिन छत्तीसगढ़ी नँदाय के कगार म पहुंच जाही। 


छत्तीसगढ़ी के प्रशासनिक शब्दकोष तैयार करे गिस अउ प्रशानिक अधिकारी मन ला मंत्रालय मा  प्रशिक्षण भी दे गिस फेर मंत्रालय के अधिकारी मन छत्तीसगढ़ी के कतका प्रयोग करथे ये बताय के जरूरत नइ हे। जब राजनेता मन छत्तीसगढ़ी  बोलही तभे अधिकारी अउ कर्मचारी मन छत्तीसगढ़ी बोलही। काबर जेन भाखा ल राजा बोलथे उही भाखा के प्रयोग नौकरशाह करथे। छत्तीसगढ़ी तो केवल नाम के राजभाषा हावय काम तो होबे नइ करत हे। छत्तीसगढ़िया मनखे मन सरकार डहर आस लगाए देखत हवय आखिर  छत्तीसगढ़ी कब बनही राज-काज के भाखा..?


अजय अमृतांशु

भाटापारा (छत्तीसगढ़)

No comments:

Post a Comment