*कमजोरी अभिशाप नोहे*
(छत्तीसगढ़ी कहानी)
गरीबी म जनम लेवइ ह कोई पाप नइ हे, फेर गरीबी मे ही मर जाना ह पाप हरे। हम सबो के जीवन म कभू बेकार ता कभू बढिय़ा बेरा आवत रहिथे। अइसने किस्सा ले तालुख रखथे एक झन कोंदा मनखे समारू हा। वोखर जिनगी म सबसे बड़े दुख तो ये हे कि वो ह गोठिया नइ सके। काबर कि वो जनम ले कोंदा (गूंगा) रहिस। एक डाहन ले गरीबी त, दूसर डाहन ले कोंदा होय के कारण वोखर जिनगी म अधियार
छाय रहै । अब जइसे-तइसे अपन स्थिति ला देख के अपन पढ़इ -लिखइ करे बर लगथे त,, स्कूल में कोंदा के पढ़इ-लिखइ ह कतिक काम के रहितिस,, फेर कोंदा समारु ह आड़ा-तिरछा लकीर खींच के कुछु फोटू-मोटू बना डरे। इसकुल म वोखर एक झन बड़े घर के लइका हा संगवारी बन जथे। संगवारी होय के कारन कभु- कभार समारू वोखर घर जाथे, त वोला देख बड़े घर के मन खिसीयाय बर लगथे अउ वोला प्रायः घर ले चेचकार के भगा दे जाय। काखरो इहां जनम दिन मनात रहे त, उहां चले जाय ले उहचों ले येला भगा दे। कोन्हो ह येला अपन साथ म नइ रखे। समारू जइसे-जइसे बड़े होय बर लगथे ता वोला अपन स्थिति के ज्ञान होय ल लगथे।
जब सब जगह ले येला भगा देय से अपन दुख: पीरा दाई-ददा ल पूरा फोर के बतान घलो नी सके काबर कि वो कोंदा रिहय। एकाध कनी गोठ ल ओखर दाई-ददा हा समझे त, कइ ठन गोठ-बात ला समझ घलो नी पाय। जबके अपन गोठ-बात ला समझाय के अब्बड़ प्रयास करें फेर कोई मतलब के नइ होय । कभू-कभू वोला लगे कि मे हा अब अपन गोठ-बात ल दूसरा मन कर कइसे कर के रखों। एखर से निराश हो के वोला लगे कि वो ह अपन जिनगी म घानी कस बैला पेराय बर हवे।
समारु ह जइसन करे बर चाहे वइसन नइ होय के कारन कारण कइ बेरा ले वोला मार खाय ल घलो परे ।
येखर से ओखर बदनामी होय। सब झन येखर कोंदापन के फायदा उठा के वोखर उपर कई परकार के आरोप लगा दें। ये सब्बो दुख पीरा ले ये हदास हो जाय त, रातकुन चद्दर ला ओड़ के अपन मन भर के रो लेवय, जेखर ले वोखर मन हलका हो जाय।
एक दिन समारू के संगवारी के अब्बड़ जोजियाय ले वो ह ओकर घर चले थे।वो दिन संगवारी के दाई - ददा ह घर में नइ राहय । घर म कोनो सजग मनखे नइ होय के भनक लगे म चोर मन उंखर घर चोरी करे बर खुसर जथे। इही बखत समारू के संगवारी हा नाहे बर अपन घर के बाथरूम म चल दे रहय। ये पइत घर के सियान दाई ह रहे त,, वो ह मंझनिया बेरा म सोय बर चल दे रथे।एती नौकर हा घलोअपन का -बूता खतम करके इही बेरा मा अपन खोली म खुसर जथे। समारू ह टीभी देखत घर में बइठे रहिथे,ततरी बेर
चोर ह घर में खुसर जथे अउ आलमारी ला खोदियाय ल धरथे। एती खटर-पटर के आवाज ल सुनके समारू हा अपन संगवारी ला अब्बड़ चिल्लाय के प्रयास करथे पर वो संगवारी ह तो नहाय के धुन म मघन रथे तो,,कुछु सुन नइ पाय। चोर मन जानय कि ये तो कोंदा हरे,, कोनो ल तो बता नइ सके।अउ ये तो पहली ले बदनाम हवव। एखर बात ल कोन पतियाही ?
चोर मन इही फायदा उठा के उखर घर के सब्बो गहना-गूटा ल चोरी करके भाग जाथे। कोंदा ह डर्रात उंहे ले आके ये बात ल अपन दाइ-ददा कना बताथे त,, वो मन येखर बात ल रोज के जइसे हलका म ले के टार देथे।
जब ये चोरी के शिकायत ह पुलिस थाना म होते, त,उही बेरा जांच पड़ताल करे बर पुलिस मन बड़े आदमी के घर आथे। सब अता-पता करके वो मन चल देथे। दूसरा दिन वोखर नवकर, सियान दाइ ला अउ वो लइका ला पूछे में वो मन ये जानकारी देथे कि वो दिन घर म सिरफ समारू ह बस आय रिहिस। पुलिस हा गांव वाला मन ले पता करथे त, पता लगथे कि वो ह पहली ले बदमास हे। अब ये का! पहली गरीबी, दूसरा कोंदा, अब चोर के कलंक ह वोखर जीवन मा लग जथे। पुलिस मन समारू के घर वाले मन ल जाके बोलथे कि येला तुमन पूछ लो नइ बताही ता वोला हमन थाना म ले जाबो अउ वोखर मुंह ले उगलवाबो। ये बात ल सुन के समारू के दाई-ददा वोला मारे-पीट बर लगथे। रातकुन वोखर दाई-ददा वोला खाना नइ देयके वोला भूखे पेट सूता देथे ताकि ये गहना-गुटा के बारे म बता सके।
ऐती समारू ह रोज के जइसे मन-मन म गुनत रहय कि हे भगवान ते मोर उपर अइसे काबर जुलूम ढाथस,,। बिना गलती के मोला सजा काबर देवाथस। अइसने सोंचत-सोंचत चद्दर ओड़ के सिसक-सिसक के रो-रो के सो जथे।
पुलिस वाला मन येला थाना ले जथे अउ बहुत मार -मुराथे फेर येला तो अपन मार बचाय बर झूठ घलो बोले बर नइ आत रिहिस। समारू के आधा गोठ-बात पुलिस मन समझे त कुछ बात ल समझ नइ पाय । तेखरे सती येमन जे कोंदा मन के बात ल समझ सके एइसन आदमी ल बुला लाथे। वो समारू के बात ला पूरा समझ लेथे।
एखर बर छत्तीसगढ़ी म कहावत हे कि घुरवा के दिन घलो बहुरथे.... वोसने समारू के अब बढिय़ा दिन आए बर लग थे। होथे ये, कि समारू से जानकारी लेय बर बाहर ले बुला के लाय रहे मनके ह पुलिस वाला मन ल बताथे कि ये लइका हा चोर मन ल देखे हे, पर ये चोरी नइ करे हे। समारू के एक बढिय़ा गुण रिहिस कि वोह अपने पढ़ई के जमाना मे बढिय़ा चित्रकारी करे। येखरे कारण ये अपन ला बचा सकथे। समारू वो चोर मन के स्केच बना के बताथे वोखर ले पुलिस वाला मन चोर ल खोजे ले एकदम असानी हो जथे ,अउ एखर ले चोर मन पकड़ा जथे। एखरे संग सबले बढिय़ा बात ये रथे कि समारु ह काखरो चेहरा वोला बता देय में वोखर तस्वीर ल ये हुबा-हू बना देथे। समारू के गुन ल देख के पुलिस वाला मन खुश हो जाथे अउ जइसे वोह 16 साल ले 18 साल के होथे ता वोला उही पुलिस थाना म नौकरी मिल जथे। समारु ले नौकरी मिले से येखर जिनगी के अंधियारा ह छट जथे।। अब येला जिहां-जिहां ले मनखे मन धूतकार के भगावत रिहिस उही मनखे मन अब येला अपन हर कार्यक्रम म बुला के येखर सम्मान करे बर लग जथे। समारू के नौकरी मिले से ओखर तरक्की मिले से दाई-ददा,अउ जम्मो गांव वाले, संगी-जहुंरिया य सब झन मन ल गर्व हो जथे। एखर से पता चलथे कि कमजोरी है अभिशाप नोहे। हमर कमजोरी मे ही हमर सफलता ह छुपे रहिथे। त हम सब अपन कमजोरी ल समझन अउ उही ला ताकत बनाये के कोशिश करन त, हमन भी एक दिन समारु आसन जरुर कामयाब हो जबो।
*कुबेर साहू नंदगइंहा*
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