Friday, 17 November 2023

देवारी म जिमीकाॅंदा के साग...

 देवारी म जिमीकाॅंदा के साग... 

    वइसे तो हमर छत्तीसगढ़ म जिमीकाॅंदा के साग खाए बर बारों महीना मिल जाथे, फेर देवरिहा सुरहुत्ती के बिहान दिन, जे दिन गरुवा मनला खिचरी खवाए जाथे वो दिन अवस करके खाए बर मिल जाथे. ए परंपरा लगभग सबो घर देखे बर मिल जाथे. हमन मैदानी भाग म एला अन्नकूट के रूप म 'नवा खाई' घलो कहिथन. 

    घर के सियान ए दिन चुरे जिमीकांदा (कोचई अउ मखना मिंझरे) के साग अउ खिचरी ल घर के देवता म चढ़ाए के बाद गरुवा मनला खवाथे, तहाँ ले खुद घलो खाथे. लइका राहन त हमर बबा हमू मनला खाए बर देवय. पहिली तो छिनमिनावन. काला-काला खवाथे कहिके बिदके असन करन, तभो ले खाएच बर लागय, काबर ते ए दिन घर के जम्मो सदस्य खातिर जिमीकांदा के साग चुरे राहय. संग म दूसर साग घलो चुरे राहय, फेर जिमीकाॅंदा ल खाना अनिवार्य राहय.

    आज जब बड़े बाढ़ेन अउ जिमीकाॅंदा के आयुर्वेदिक महत्व ल जानेन त लागथे, के हमर पुरखा मन कतेक वैज्ञानिक सोच के रिहिन हें, जेन विविध परंपरा के नॉव म कतेक महत्वपूर्ण जिनिस मनला हमर स्वास्थ्य खातिर जोड़ दिए रिहिन हें.

    आज वैज्ञानिक शोध के माध्यम ले जानकारी पाएन, के जिमीकाॅंदा म फास्फोरस के गजबे मात्रा पाए जाथे. सिरिफ ए देवारी के दिन ही एके पइत जिमीकाॅंदा खा लेइन त हमर शरीर म कई महीना तक फास्फोरस के कमी नइ होही. ए ह बवासीर ले लेके कैंसर जइसन कतकों जबर रोग ले बचाके राखथे. एमा फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी 1 अउ फोलिक एसिड होथे. संगे-संग पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम अउ कैल्शियम घलो पाए जाथे.

    संगी हो आजकल बजार म हाइब्रिड वाले जिमीकांदा घलो देखे बर मिलथे, फेर एमा आयुर्वेदिक तत्व के थोर कमी होथे. अच्छा हे, के देशी किसम के ही जिमीकाॅंदा के उपयोग करे जाय.

    हमर छत्तीसगढ़ म तो वइसे घरों घर जिमीकाॅंदा बोए अउ खाए जाथे. एकर कनसइया (पोंगा) के घलो कतकों झन साग रांध के खाथें. कतकों झन एकर ले बरी घलो बनाथें, जे ह 'लेड़गा बरी' के रूप म जगप्रसिद्ध हे. ए सबो ल खाना चाही. कभू-कभार मुंह खजवाए असन लागथे, फेर एकर ले डर्राना घबराना या छिनमिनाना नइ चाही.

-सुशील भोले

संजय नगर, रायपुर

मो/व्हा. 9826992811

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