आज छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस म विशेष...
"मोर छत्तीसगढ़"
मोर छत्तीसगढ़ मोर भारत देस के 26 वां राज्य हरे. छत्तीसगढ ह 1 नवंबर 2000 म नवा राज्य के रुप सामने आइस. येकर गठन 9 वीं पंचवर्षीय योजनाकाल म होय हे. येकर महतारी राज्य मध्य प्रदेश हरे. येकर आकार समुद्री घोड़ा जइसे हे. छत्तीसगढ़ ह छोटकुन राज्य हरे जिहां अब 33 जिला हे . इहां के राजधानी अटल नगर,नवा रायपुर हरे. इहां 5 संभाग हे बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर, रायपुर अउ दुर्ग. इहां 90 विधानसभा अउ 11 लोक सभा सीट हे. इहां के उच्च न्यायालय के मुख्यालय बोदरी, बिलासपुर म हे. येहा देस के 19 वां उच्च न्यायालय हरे. इहां के कुल क्षेत्रफल 1,35,192 वर्ग किलोमीटर हे. भारत के कुल क्षेत्र क 4.11 प्रतिशत अउ क्षेत्रफल के आधार म 9 वां क्रम म हे.इहां के कुल जनसंख्या 25545198 हे. देस के कुल जनसंख्या के 2.11 प्रतिशत अउ जनसंख्या के आधार म इहां के स्थान 16 वां क्रम म हे. हमर छत्तीसगढ़ के सीमा न कोनो देस अउ न कोनो समुद्र ल छूथे. मोर छत्तीसगढ़ ह भारत के 7 राज्य मन के सीमा ले लगे हावय जेमा उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र अउ मध्यप्रदेश सामिल हावय. इहां के माटी के बात करथन त मटासी,कन्हार,भांठा अउ डोरसा म बांटे गे हावय. इहां के प्रमुख मौसम म बरसात,जड़काला अउ गरमी हरे.
हमर छत्तीसगढ ह धन - धान्य, वन अउ खनिज संपदा ले अड़बड़ समृद्ध हे. बस्तर , सरगुजा क्षेत्र वन, खनिज संपदा ले भरपूर हावय. त बस्तर म नक्सली समस्या के कारन कतको बने काम ह घलो अटकथे अउ लोगन ह विकास बर तरसथे. बस्तर अंचल के संस्कृति , दशहरा, मेला के सोर सिरिफ भारत म नइ बल्कि दुनिया भर म बगरे हावय. बस्तर क्षेत्र के प्रमुख संपर्क भाषा हल्बी हरे. छत्तीसगढ़ के रहवासी मन के प्रमुख व्यवसाय खेती -किसानी हरे. हमर छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे जाथे. इहां के 80 प्रतिशत जनसंख्या के जीवन यापन खेती किसानी म निर्भर हावय. इहां के 40.10 लाख किसान परिवार म 82 प्रतिशत छोटे अउ सीमान्त प्रकार म आथे. इहां के राजनीति घलो किसान अउ धान पर टिके रहिथे.
हमर छत्तीसगढ के प्रमुख पर्यटन जगह म बमलाई दाई डोंगरगढ़, इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़, भोरमदेव, कवर्धा, जंगल सफारी रायपुर, मैनपाट, रतनपुर,सिरपुर,राजिम, गंगरेल बांध, चंपारण्य, दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा,बारसूर, नारायणपुर, शिवरीनारायण, चित्रकोट, तीरथगढ़ झरना, वीर नारायण सिंह स्टेडियम, आरंग, गंगा मैयाझलमला, बिलइ माता,अगार मोती धमतरी,ओना कोना,गंडई, नर्मदा, मां भवानी करेला,मां पाताल भैरवी राजनांदगांव, चंद्रहासिनी देवी चंद्रपुर, कबीर पंथ दामाखेड़ा, कुदुरमाल, गुरू घासीदास बाबा के जनम भूमि गिरौदपुरी,खल्लारी, सोनाखान, नगपुरा, चौरेल,बालोद प्रमुख हावय.
हमर छत्तीसगढ के खान - पान के बात करथन त इहां के प्रमुख भोजन भात (चावल), बासी , अंगाकर रोटी हरे. इहां के व्यंजन म चीला रोटी,मुठिया, फरा,ठेठरी, खुरमी, बरा,भजिया,कटवा, सोहारी, अरसा, तसमई, चौसैला,दूध फरा अउ आने चीज सामिल हावय. बस्तर म पेय पदार्थ के रूप म सल्फी अब्बड़ प्रसिद्ध हावय. बस्तर के दशहरा परब अउ नारायणपुर के मड़ई- मेला के दुनिया भर म सोर हे. बस्तर क्षेत्र के जनजाति मन के जवान घर ( युवा गृह) गोटुल ( घोटुल) अउ आने युवा गृह मन देस - दुनिया बर एक रहस्य हे.
इहां के राज्य गीत 'अरपा पैरी के धार...' हे. येकर रचयिता डा. नरेंद्र देव वर्मा हरे. राजकीय पशु वन भैंसा, राजकीय पक्षी बस्तर के पहाड़ी मैना, राजकीय वृक्ष साल या सरई, राजकीय फूल गोंदा ( गेंदा)अउ प्रमुख भाषा छत्तीसगढ़ी हरे. इहां के अभी राजभाषा हिंदी हे. छत्तीसगढ़ी राजभाषा बने खातिर आठवीं अनुसूची म सामिल होय बर अगोरा करत हे. इहां के रहवासी मन येकर बर अपन अपन तरीका ले उदिम करत हे. छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग घलो बने हावय. इहां के प्रमुख तिहार म दसहरा, देवारी, होली के संगे- संग अक्ती, हरेली,तीजा, खमरछठ, मातर,छेरछेरा पुन्नी हरे. कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस अउ छठ पूजा म घलो हमर शासन ह स्थानीय छुट्टी देथे. इहां के लोक गीत के राजा ददरिया,लोक नाट्य के जुन्ना रुप गम्मत,लोक नाट्य के सबले लोकप्रिय विधा नाचा, इहां के सांस्कृतिक परंपरा के प्रतीक रहस हरे. इहां के पंथी नृत्य, पंडवानी,भरथरी , लोरिक चंदा,ढोला मारू के सुघ्घर सोर हे. छत्तीसगढ़ के सबले बड़का नदी महानदी हरे. इन्द्रावती नदी बस्तर क्षेत्र के अउ रिहन्द सरगुजा क्षेत्र के जीवन दायिनी नदी हरे. छत्तीसगढ़ म सबले लंबा दूरी शिवनाथ नदी के हावय.इहां 3 राष्ट्रीय उद्यान हे अउ 11 वन्य जीव अभ्यारण्य हावय. इहां के चित्रकोट, तीरथगढ़ झरना,सबले बड़का बांध गंगरेल अब्बड़ प्रसिद्ध हे.
हमर छत्तीसगढ के कारखाना मन म लोहा कारखाना भिलाई, बिजली कारखाना कोरबा, जूट मिल रायगढ़, बैलाडीला दल्ली
राजहरा के लोहा खदान, देवभोग के हीरा, बोरई,उरला,टेड़ेसरा सहित आने कारखाना सामिल हे.
कतको इतिहासकार मन के मत हे कि हमर छत्तीसगढ भगवान श्री रामचंद्र के माता कौशल्या के मईके हरे. छत्तीसगढ़ के पुराना नांव कोसल रिहिस अउ इहां के भाषा ल कोसली कहे जाय.कौशल्या के नांव भानुमति रिहिस जउन ह दक्षिण कौशल के महाप्रतापी राजा भानुमनत के बेटी रिहिन. अयोध्या के राजा दशरथ के महारानी भानुमति कौशल प्रदेश के होय के कारन आगू चलके कौशल्या कहलाइस. आदिकाल म छत्तीसगढ़ महाकौशल नांव ले प्रसिद्ध रहे हे. श्रीराम के जनम भले अयोध्या म होय हे पर कर्मभूमि छत्तीसगढ़ रहे हे. श्रीराम के ननिहाल दक्षिण कौशल म चंदखुरी (आरंग) हरे. बाल्मिकी द्वारा रचित रामायण के अनुसार सूर्यवंशी श्री राम अपन वनवास काल म लगभग बारह बछर तक इही छत्तीसगढ़ (सिहावा) राज्य म वो समय के सप्तऋषि क्षेत्र म बिताय रिहिन.
हैदरअली अउ रत्नदेव के बाद पृथ्वी देव,जाजल्व देव चेदीवंशीय राजा मन कोसल प्रदेश म ३६ किले (गढ़) बनवाइस.येकर अलावा गोंड राजा मन घलो गढ़ बनवाइस.चेदीवंशी राजा मन के कारन ये राज के नांव चेदीसगढ़ रखे गिस जो आगू चलके छत्तीसगढ़ कहलाइस. तेकर सेति इहां के कोसली भाषा ह घलो छत्तीसगढ़ी कहलाय लागिस. छत्तीसगढ़ी अब्बड़ पुराना भाषा आय .राज्याश्रय नइ मिल पाय के कारन छत्तीसगढ़ी के लीखित रुप विकसित नइ हो पाईस.पर इहां के जन जीवन म ये भाषा ह मौखिक रूप ले बराबर फूल -फरत अउ बाढ़त रिहिस.अउ आजो सही ढंग ले राज्याश्रय नइ मिल पाय के कारन संविधान के आठवीं अनुसूची म शामिल नइ हो पात हे.
आज छत्तीसगढ़ राज्य बने 23 बछर होगे. अलगे छत्तीसगढ़ के मांग अंग्रेज शासन के समय ले करे जात रिहिन हे. हमर छत्तीसगढ ह मध्यप्रदेश 44 बछर तक रिहिन हे.
आजादी के लड़ाई म योगदान
गोरा ( अंग्रेज) मन ले हमर भारत देस ल अजाद कराय के पुन्य काम म हमर छत्तीसगढ के सुघ्घर योगदान हे. इहां के रहवासी मन अजादी के लड़ाई म बढ़ - चढ़ के भाग लिन. अंग्रेजी सासन ले लड़ाई करके सबले पहिली सहीद होइन परलकोट के जमींदार गेंद सिंह ह . 1825 म अंग्रेज मन वोला उंकर महल के आगू फांसी म लटका दिस. सन् 1857 के पहिली भारतीय स्वतंत्रता संग्राम म सोनाखान के जमींदार वीर नारायण सिंह के अंग्रेज मन ले छापामार लड़ाई ले कोनो अनजान नइ हे. 10 दिसंबर 1587 म वीर नारायण सिंह ल रायपुर म फांसी म चढ़ा दिस. वीर नारायण सिंह के सहादत ह वीर हनुमान सिंह ल अंग्रेजी सासन ले लड़े बर प्रेरित करिन. वीर हनुमान सिंह ल 22 जनवरी 1858 म खुलेआम फांसी दे दिस. वीर हनुमान सिंह के सहादत ले जउन 17 सहीद होइस वोमन हमर भारत अउ छत्तीसगढ़ के समाजिक सद्भाव अउ भाईचारा के बड़का उदाहरण हे. पहिली संबलपुर जिला छत्तीसगढ़ म ही आय. अंग्रेज मन के हड़प नीति के सिकार संबलपुर रियासत घलो होइस.सुरेनद्र साय अंग्रेज मन ले लड़िन.26 जनवरी 1864 म सुरेन्द्र साय ल उंकर बेटा,भाई- भतीजा मन सहित गिरफ्तार कर रायपुर जेल म राखे गिस. सरगुजा राज परिवार के एक साखा उदयपुर रहिन. इहां कल्याण सिंह राजा रहिन अउ अंग्रेज मन ले लड़ाई लड़िन.
हमर छत्तीसगढ के आजादी के लड़ाई म अपन योगदान देवइया मन म वीर गुंडाधूर, पं. सुंदर लाल शर्मा,पं. रविशंकर शुक्ल, माधव राव सप्रे,दादा साहब खापर्डे, डा. मुंजे, कुंज बिहारी अग्निहोत्री,शहीद रामाधीन गोंड, ठाकुर प्यारेलाल लाल सिंह, केदार नाथ ठाकुर,डा. ई. राघवेन्द्र राव , बैरिस्टर छेदी लाल, घनश्याम सिंह गुप्त, मुंशी अब्दुल रउफ मेहवी, वामन राव लाखे, नारायण राव मेधावाले, पं माखन लाल चतुर्वेदी,हरख राम सोम, विशंभर पटेल, पंचम सिंह सोम,शोभा राम साहू, शिवदास डागा, महंत लक्ष्मी नारायण दास,महंत नयन दास, कुंज बिहारी चौबे,यति यतन लाल, क्रांति कुमार भारतीय,डा. खूबचंद बघेल,डा. राधा बाई,बालिका दयावती, बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव,राम प्रसाद देशमुख, नरसिंह प्रसाद अग्रवाल, वाय.व्ही. तामस्कर, रत्नाकर झा, रघुनंदन सिंगरौल, नत्थू जी जगताप,सेठ गोविंददास,पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र,गयाचरण त्रिवेदी,राम गोपाल तिवारी,गजाधर साव, कालीचरण शुक्ल, गंगाधर प्रसाद चौबे,नंद कुमार दानी, आनंद राम गोंड, श्याम लाल गोंड,फिरतू राम गोंडा,मंगलू गोंड, शंकर राव गनौद वाले,बालक बलीराम आजाद,अवध राम सोनी, पं. मुरलीधर मिश्र, कैलाश चंद्र श्रीवास्तव, कन्हैया लाल सोनी,परस राम सोनी,सुधीर मुखर्जी, रामचंद्र, बल्देव प्रसाद मिश्र, गोवर्धन लाल श्रीवास्तव, सखा राम रूईकर, शिव लाल मास्टर, केलकर, हरि सिंह गौर,शंकर खरे, तुलसी प्रसाद मिश्रा, विश्राम दास बैरागी, विश्वेश्वर प्रसाद यादव, विद्या प्रसाद यादव, कन्हैया लाल अग्रवाल, दामोदर दास टावरी, पं. राम नारायण मिश्र हर्षुल, समारू बरई, वली मोहम्मद,इंदु केंवट, अरिमर्दन गिरि, रामाधार दुबे, वासुदेव देवरस,शेख मुंतजीमुद्दीन,सी.एम.ठक्कर,बद्री प्रसाद साव,राम राव चिंचोलकर, राजू लाल शर्मा,छवि लाल चौबे,पं. विष्णु दत्त शुक्ल,असगर अली, सोमेश्वर शुक्ल, जमुना प्रसाद वर्मा, विद्याचरण वर्मा, कैलाश सक्सेना, अब्दुल कादिर सिद्दीकी, बल्देव सतनामी, याकूब अली, ठाकुर राम कृष्ण सिंह सहित आने नांव सामिल हे.
अलगे छत्तीसगढ़ राज बर हमर पुरखा मन अब्बड़ लड़ाई लड़िन हे. राजनीति दल, राजनीतिज्ञ के संगे -संग हमर छत्तीसगढ के साहित्यकार, कलाकार, पत्रकार अउ मजदूर, किसान मन के गजब सुग्घर योगदान हे. ये बने बात हे कि छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म कोनो किसम के खून- खराबा, सरकारी संपत्ति ल नुकसान नइ पहुंचाय गिस. ये हमर छत्तीसगढ के बड़का उपलब्धि हरे.आप सब ल मालूम हे कि
आने राज बने म नंगत खून खराबा होय हे.
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना म इहां के साहित्यकार अउ कलाकार मन के गजब सुग्घर योगदान हे.
कोनो भी देश अउ राज्य के पहिचान उहां के भाषा के माध्यम ले होथे.अपन स्वाभिमान, अतीत के गौरव, संस्कृति के रक्षा अउ विकास बर अपन मातृभाषा सबले बड़का माध्यम होथे. वइसने छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ के आत्मा हरे. हमर छत्तीसगढ़ी ह आठवीं अनुसूची म शामिल होय बर लड़त हे.
धनी धर्मदास - संत धर्मदास संत कबीर के शिष्य रिहिन. उंकर जनम सन १३९५ म कसौदा गांव , बाधोगढ़,के वैश्य परिवार म होय रिहिन हे. उन्कर कर्म क्षेत्र छत्तीसगढ़ रिहिन. बांधो गढ़ पहिली छत्तीसगढ़ म रहिस हे.१४५२ म वो सत्यलोक प्रयान करिन. हेमनाथ यदु जी ह धर्मदास ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि मानथे. वोहर कवर्धा (कबीरधाम) म कबीर पंथ के स्थापना करिन. वोहर संत कबीर ले प्रेरित होके निर्गुन भक्ति के कतको पद के रचना छत्तीसगढ़ी भाषा म करिन. वोकर पद म हमला छत्तीसगढ़ी भाषा के पुराना रूप के दर्शन होथे. छत्तीसगढ़ी चौका गीत म धर्मदास के नांव के उल्लेख हे.ये ह लोकगीत अउ लोक भजन के रूप म गजब प्रसिद्ध हे. संत धर्मदास ह लोक गीत के सहज,सरल शैली म निगूढ़तम दार्शनिक भावना ल अभिव्यक्त करिन. धर्मदास के उद्देश्य साहित्य सृजन करना नइ रिहिस. वोहर
तो निर्गुन भक्ति के प्रचार के रूप म छत्तीसगढ़ी ले प्रभावित होके पद लिख के संतोस कर लेइस.
जमुनिया की डार मोरी टोर देव हो।
एक जमुनिया के चउदा डारा,सार शबद ले के मोड़ देव हो.
मोर हीरा गवां के कचरा में, कोई पूरब,कोई पछिमम बतावै, कोई बतावै है पानी पथरा में।
छत्तीसगढ़ के संस्कृति, साहित्य अउ धर्म परंरपरा के बढ़वार म संत धर्मदास के अब्बड़ योगदान हे.
दलपत राव - खैरागढ़ के राजा लक्ष्मी निधि राय के चारण कवि दलपतराव ह सबले पहिली छत्तीसगढ़ शब्द के प्रयोग १४९४ ई.म करे रिहिन.
सुंदर राव - देवी प्रसाद शर्मा,बच्चू जाजगीरी है खैरागढ़ के कवि सुंदर राव ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि बताय हे. १६४६ म रचित उंकर कविता म छत्तीसगढ़ी के पुट कम दिखथे अउ अवधी के नजदीक जादा दिखथे.
गोपाल मिश्र और माखन मिश्र-
गोपाल मिश्र रतनपुर के हैहयवंशी राजा राज सिंह के राजकवि अउ दीवान रिहिन.राम नरेश त्रिपाठी ह उंकर जनम १६३३अउ
प्यारेलाल गुप्त ह १६३४ माने हे. उंकर रचना' खूब तमाशा' अब्बड़ प्रसिद्ध होइस.उंकर आखिरी अपूर्ण ग्रंथ 'राम प्रताप' ल वोकर सुयोग्य बेटा कवि माखन मिश्र ह
पूरा करिन. हरि ठाकुर के कहना हे कि गोपाल मिश्र एक महान कवि रिहिन पर वो मन अपन साहित्य के रचना छत्तीसगढ़ी म नइ करिन. येला छत्तीसगढ़ी के दुर्भाग्य ही कहे जा सकथे.
बाबू रेवा राम - बाबू रेवा राम बहुमुखी प्रतिभा के धनी रिहिन. वोकर जनम रतनपुर म सन् १८१३ म होय रिहिस. वोहर हिंदी, संस्कृत, ब्रजभाषा,अउ छत्तीसगढ़ी के बढ़िया जानकार रिहिन हे. संगे संग उर्दू अउ फारसी म घलो अधिकार रखे. हरि ठाकुर जी के अनुसार रेवाराम बाबू छत्तीसगढ़ी म कुछ भजन लिखा के थिरागे. समीक्षक अउ भाषाविद् डा. विनायक कुमार पाठक के कहना हे कि बाबू रेवा राम के रचना 'सिंहासन बत्तीसी' म छत्तीसगढ़ी के पुट देखे ल मिलथे.
प्रहलाद दुबे - सत्रहवीं शताब्दी म सारंगढ़ निवासी प्रहलाद दुबे के रचना 'जय चंद्रिका ' म छत्तीसगढ़ी के प्रकृत रूप देखे ल मिलथे.
संत घासी दास - संत घासीदास के जनम छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी म होय रिहिस हे. सतनाम पंथ के संस्थापक संत घासी दास के उपदेश छत्तीसगढ़ी म लिखे गे हवय. उंकर रचना म संसारिक संबंध के असारता अउ ईश्वरीय कृपा के प्राप्ति के इच्छा ह झलकथे. 'चल हंसा अमर लोक जइबो ' अउ ' खेलथे दिन चार मइहर मा ' जइसन पद येकर उदाहरण हे.
नरसिंह दास वैष्णव - समीक्षक डा.विनय कुमार पाठक ह जांजगीर जिले के गांव तुलसी निवासी नरसिंह दास वैष्णव ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि मानथे. उंकर रचना शिवायन (१९०४)म आय रिहिस.
पंडित सुंदरलाल शर्मा - डा. नरेन्द्र देव वर्मा ह छत्तीसगढ़ी के प्रथम कवि चमसूर ( राजिम)निवासी, छत्तीसगढ़ के गांधी पंडित सुंदरलाल शर्मा ल मानथे.छत्तीसगढ़ी म
बड़का सृजन करइया वो पहिली रचनाकार रिहिन. १९०६ म प्रकाशित' छत्तीसगढ़ी दान लीला ' अब्बड़ प्रसिद्ध होइस.येहा छत्तीसगढ़ी के पहिली प्रबंध काव्य माने जाथे. ये कृति ह हमर छत्तीसगढ के साहित्यकार मन ल छत्तीसगढ़ी म लिखे बर प्रेरित करिन. उंकर देहावसान २८ दिसंबर १९४०म होइस.
पं. लोचन प्रसाद पाण्डेय - नंद किशोर तिवारी जी ह पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि बताय हे. अइसने दया शंकर शुक्ल ह घलो' कविता कुसुम ' १९०८-०९ म प्रकाशित उंकर छत्तीसगढ़ी कविता ल छत्तीसगढ़ी के पहिली रचना माने हे.
हरि ठाकुर - सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर प्यारेलाल लाल सिंह जी के पुत्र, छत्तीसगढ़ी गीतकार हरि ठाकुर जी छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन ले 1956 ले जुड़ गे रिहिन. उंकर रचना म छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान झलकथे. छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह पर खण्ड काव्य अउ छत्तीसगढ़ी गीत अउ कविता लिख के छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ल जगाइस. राजनांदगांव के विद्रोही कवि कुंज बिहारी चौबे जी के छत्तीसगढ़ी कविता मन के संपादक करिन.
डा.नरेंद्र देव वर्मा - छत्तीसगढ़ राज्य गीत -अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार... के रचयिता डा. नरेन्द्र देव वर्मा हरे. ये गीत ह छत्तीसगढ़वासी मन के स्वाभिमान ल जगाय के काम करिन. सोनहा बिहान के लेखक.
लक्ष्मण मस्तुरिया - दाऊ रामचंद्र देशमुख द्वारा स्थापित' चंदैनी गोंदा' बर गीत लिख के स्थापित होय लक्ष्मण मस्तुरिया जी के छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना म अब्बड़ योगदान हे. उंकर लिखे गीत - 'मोर संग चलव रे' अउ 'मंय छत्तीसगढ़िया अंव रे' ह अलग छत्तीसगढ़ राज्य के नेंव तइयार करिस.
संत कवि पवन दीवान - संत कवि पवन दीवान जी ह प्रवचन अउ कवि सम्मेलन के माध्यम ले अलगे छत्तीसगढ़ राज्य बर जनता मन ल जागरुक करिन. छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म गजब योगदान दिस. दीवान जी के गीत 'तोर धरती तोर माटी ' ले छत्तीसगढ़वासी मन म जागृति आइस.
गिरिवर दास वैष्णव - छत्तीसगढ़ सुराज गीत
डॉ निरुपमा शर्मा- डॉ निरुपमा शर्मा छत्तीसगढ़ी के प्रथम मंचीय कवयित्री माने जाथे . उंकर पतरेंगी रचना के अब्बड़ सोर होइस.
अइसने छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन म मुकुटधर पांडेय,द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र, बंशीधर पांडे ,सीताराम मिश्र ,लखन लाल गुप्त, प्यारे लाल गुप्त, निरंजन लाल गुप्त,पालेश्वर शर्मा, अमृत लाल दुबे , कपिल नाथ कश्यप प्रणयन जी, कपिल नाथ मिश्र, सुकलाल प्रसाद पाण्डेय, शिवदास पाण्डेय,नारायण लाल परमार, भगवती लाल सेन, स्वर्ण कुमार साहू,चतुर्भुज देवांगन , रवि शंकर शुक्ल, पं. रामदयाल तिवारी,बद्रीविशाल परमानंद,हनुमंत नायडू कुंजबिहारी चौबे,, कोदू राम दलित, मेहत्तर राम साहू जी, डॉ.खूबचंद बघेल, केयूर भूषण, श्याम लाल चतुर्वेदी, दानेश्वर शर्मा, रामेश्वर वैष्णव, नंदकिशोर तिवारी, नंद किशोर शुक्ल, डॉक्टर परदेशी राम वर्मा, डा. विनय कुमार पाठक,डा.विमल कुमार पाठक, जागेश्वर प्रसाद ( छत्तीसगढ़ी सेवक के संपादक), डा. चित्तरंजन कर,सुशील यदु,बसंत दीवान, किसान दीवान,शिव शंकर शुक्ल, डा.बल्देव साव,डा. बिहारी लाल साहू,मंगत रवीन्द्र, जी. एस. रामपल्लीवार नूतन प्रसाद शर्मा ( गरीबा महाकाव्य),डॉ. बलदाऊ राम साहू,(बाल साहित्यकार, गजलकार, छत्तीसगढ़ी निबंध अउ आलेख - मोटरा संग मया नंदागे)रामेश्वर शर्मा, कृष्ण कुमार शर्मा,सीता राम मिश्र, विद्या भूषण मिश्र,विमल मिश्र,सीता राम मिश्र,मेदिनी प्रसाद पाण्डेय,लाला जगदलपुरी, हरिहर वैष्णव, देवी प्रसाद वर्मा,डा. नरेश कुमार वर्मा, नरेंद्र वर्मा, विश्वंभर यादव मरहा, डा. गोरे लाल चंदेल,डा. जीवन यदु, डा. देवधर महंत,विनय शरण सिंह, सुरेन्द्र दुबे,रामेश्वर वैष्णव, बंधु राजेश्वर खरे,डा.पीसी लाल यादव , आचार्य सरोज द्विवेदी, कुबेर सिंह साहू( छत्तीसगढ़ी कहानी संकलन- भोलापुर के कहानी2010, कहा नहीं 2011,निबंध, आलेख अउ संस्मरण- सुरति अउ सुरता (2021), महान रूसी कहानीकार अंतोन पाब्लाविच चेखव के कहानी के हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी अनुवाद), लोक कथा संग्रह -छत्तीसगढ़ी कथा कंथली, साकेत स्मारिका के संपादक) जे. आर. सोनी,
डा. दादू लाल जोशी( भारतीय ज्ञानपीठ ले पुरस्कृत चौदह भारतीय भाषा के कविता मन के छत्तीसगढ़ी अनुवाद) आनी बानी- ,मुकुंद कौशल, उधो राम झखमार , मीर अली मीर( कविता- नंदा जाही का रे), डा. अनिल भतपहरी, संजीव बक्शी, डा. माणिक विश्वकर्मा नवरंग,संजीव तिवारी, आरेख चंद्रकांत, अनंत राम पांडेय, दया शकर शुक्ल, शत्रुघन सिंह राजपूत ,हेमनाथ यदु, सुरजीत नवदीप ,गणेश सोनी प्रतीक, प्रभंजन शास्त्री,दशरथ लाल निषाद,दुर्गा प्रसाद पाकर ,सुशील भोले, कांशीपुरी कुंदन, चेतन भारती, गुलाल वर्मा , परमानंद वर्मा( उपन्यास- करौंदा),डॉक्टर सुखनंदन सिंह धुर्वे नंदन , कामेश्वर पांडेय, डा.दीनदयाल साहू , डा. सी. एल. साहू ( कहानी), डा. राजेंद्र सोनी ( छत्तीसगढ़ी के प्रथम लघु कथा संग्रह के लेखक, व्यंग्य -खोरबाहरा,तोला गांधी बनाबो), रमेश कुमार सोनी,भगत सिंह सोनी, डी. पी. देशमुख ( कला परंपरा के संपादक), प्रदीप कुमार दास" दीपक", नवल दास मानिकपुरी, गिरवर दास मानिकपुरी, बुधराम यादव,पुनू राम साहू राज, लतीफ खान गजलकार,डुमन लाल ध्रुव,प्यारेलाल देशमुख , गजपति साहू,संतराम निषाद,सीता राम साहू श्याम , डॉक्टर रामनाथ साहू, रामनाथ साहू, टिकेंद्र टिकरिहा, चंद्रशेखर चकोर,गजानंद देवांगन, हरिशंकर गजानंद देवांगन, वीरेंद्र साहू सरल, ध्रुव राम वर्मा, अरुण कुमार निगम, रमेश कुमार सिंह चौहान,मुरली चंद्राकर,प्रेम साइमन, चंद्रहास साहू, भोला राम सिन्हा गुरुजी,दिनेश चौहान, गया प्रसाद साहू, मुरारी साव, बसंत साव राघव, टिकेश्वर सिन्हा गब्दीवाला,चोवा राम वर्मा बादल, कन्हैया साहू अमित,बोधन राम निषाद, जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, विजेन्द्र वर्मा, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, द्वारिका प्रसाद लहरे,
पोखन लाल जायसवाल, अजय साहू अमृतांशु, मनी राम साहू मितान, जगदीश साहू हीरा, राम कुमार चंद्रवंशी, कमलेश शर्मा बाबू ,गैंद लाल साहू दीया, तिलोक साहू बनिहार, नंद कुमार साहू साकेत,आत्मा राम कोशा अमात्य,राज कुमार चौधरी रौना( व्यंग्य संग्रह -का के बधाई, गजल संग्रह - पांखी काटे जाही)महेन्द्र कुमार बघेल मधु, श्रवण कुमार साहू,ओमप्रकाश साहू अंकुर ( काव्य संग्रह - जिनगी ल संवार -2008) लखन लाल साहू लहर ( काव्य संग्रह - मंय छत्तीसगढ़ तांव), गिरीश ठक्कर, फागू दास कोसले ( काव्य संग्रह - वाह रे जमाना), अशोक पटेल, जयंत साहू,तुका राम कंसारी, धनराज साहू, मिनेश कुमार साहू, राम कुमार साहू, ईश्वर साहू आरूग, ईश्वर साहू बंधी, हेम लाल सहारे,वीरेन्द्र कुमार तिवारी वीरू,कुलेश्वर दास साहू ( एकांकी) फकीर प्रसाद साहू फक्कड़,रोशन लाल साहू , ऋतु राज साहू सहित कतको साहित्यकार मन महतारी भाषा म कलम चलावत हे.
महिला साहित्यकार मन के योगदान
हमर छत्तीसगढ के छत्तीसगढ़ी महिला साहित्यकार मन म डॉक्टर सत्यभामा आडिल, डा. सुधा वर्मा, डा. निरूपमा शर्मा,सरला शर्मा, डा. उर्मिला शुक्ला, शकुंतला तरार, शकुंतला शर्मा( छंदबद्ध काव्य- छंद के छटा, चंदा के छांव म) , शकुंतला वर्मा,गीता शर्मा, डा. शैल चंद्रा, डा. मीता अग्रवाल,बसंती वर्मा,शोभा मोहन श्रीवास्तव,आशा देशमुख , हंसा शुक्ला, लता शर्मा, लता राठौर, शुचि भवि, धनेश्वरी गुल,नीलम जायसवाल,केंवरा यदु, शशि साहू, द्रोपदी साहू सरसिज, सुमित्रा कामड़िया,चित्रा श्रीवास, पदमा साहू पर्वणी, प्रिया देवांगन अउ आने महिला साहित्यकार मन अपन सुघ्घर लेखनी ले छत्तीसगढ़ी भाषा ल समृद्ध करत हे.
हमर छत्तीसगढ के कतको रचनाकार रचना के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी भाखा के सेवा करत हे.
साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना म अपन योगदान दिस. कतको साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म भाग लिस.
छत्तीसगढ़ी शब्दकोश, व्याकरण म हीरालाल काव्योपाध्याय डॉ कांति कुमार जैन, डा.शंकर शेष तिवारी, डा.पालेश्वर शर्मा डॉक्टर नरेंद्र देव वर्मा ,भालचंद राव तैलंग ,नरेंद्र कुमार सौदर्शन ,रमेशचंद्र महरोत्रा, नंद किशोर तिवारी,मंगत रवीन्द्र,मन्नूलाल यदु , महावीर अग्रवाल, जय प्रकाश मानस, ,बिहारी लाल साहू,साधना जैन,डॉक्टर विनय कुमार पाठक, डॉ. चंद्र कुमार चंद्राकर, पुनीत गुरु वंश ,डॉक्टर विनोद वर्मा , डा. सुधीर शर्मा,डॉ गीतेश अमरोहित जइसन विद्वान मन पोठ काम करे हे.
पाछु पांच बछर ले छंदविद अरुण कुमार निगम द्वारा स्थापित छंद के छ छत्तीसगढ़ के माध्यम ले छत्तीसगढ़ के कवि मन छत्तीसगढ़ी म छंदबद्ध रचना करके छत्तीसगढ़ी साहित्य के कोठी ल
समृद्ध करत हे.
छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप के माध्यम ले पद्य के संगे संग गद्य म सुघ्घर काम चलत हे जउन छत्तीसगढ़ी साहित्य ल बढ़वार करत हे.
सरलग...
ओमप्रकाश साहू" अंकुर"
सुरगी, राजनांदगांव
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