23 सितम्बर पुण्यतिथि म सुरता//
छत्तीसगढ़ी झंडा ल अगास म लहराए खातिर भुइॅंया बनाइस सुशील यदु
छत्तीसगढ़ी साहित्य के इतिहास म जब कभू एकर खातिर संगठन के माध्यम ले जमीनी बुता करइया मन के नाॅंव लिखे जाही त सुशील यदु के नाॅंव ल वोमा सबले आगू लिखे जाही. सन् 1981 म 'छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति' के गठन करे के बाद वोहा जिनगी के आखिरी साँस तक एकर खातिर जबर बुता करीस. आज हमन छत्तीसगढ़ी भाखा-साहित्य के अतका विस्तारित रूप देखथन, लोगन के जुराव देखथन त वोमा ए समिति अउ सुशील यदु के अपन संगी मन संग मिलके करे गे जबर मैदानी बुता के पोठ हाथ हे.
ए समिति के गठन के पहिली घलो पुरखा साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ी खातिर कारज करत रेहे हें, फेर वोहा लेखन, प्रकाशन अउ मंच के माध्यम ले जनमानस म छत्तीसगढ़ी खातिर मया उपजाए के बुता रिहिसे. समिति के माध्यम ले आरुग भाखा-साहित्य खातिर रचनात्मक संगठित बुता 'छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति' ले ही चालू होय हे. एकर पाछू इहाँ छत्तीसगढ़ी सेवक के संपादक जागेश्वर प्रसाद जी के संयोजन म 'छत्तीसगढ़ी भासा-साहित्य प्रचार समिति' घलो बनिस. ए ह संयोग आय, मोला ए दूनों समिति संग जुड़े के साथ ही सचिव बनाए गे रिहिसे. ए दूनों समिति के गोष्ठी-बइठका अलग-अलग होवत राहय. छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के गोष्ठी आदि जिहां पुरानी बस्ती के देवबती सोनकर धरमशाला म जादा करके होवय, त छत्तीसगढ़ी भासा-साहित्य प्रचार समिति के गोष्ठी आदि 'छत्तीसगढ़ी सेवक' के कार्यालय म ही जादा होवय. छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के कार्यक्रम आरुग भाखा-साहित्य ऊपर आधारित रचनात्मक किसम के राहय त प्रचार समिति के बेनर म कतकों पइत छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची म संघारे के संगे-संग अउ अइसने विषय मनला लेके धरना प्रदर्शन के घलो आयोजन हो जावत रिहिसे.
महतारी पूना बाई अउ सियान खोरबाहरा राम यदु जी के घर 10 जनवरी 1956 के जनमे सुशील यदु के आमतौर म चिन्हारी 'छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति' के संस्थापक अध्यक्ष के रूप म ही जादा होथे. फेर वो कवि मंच के हास्य कवि के रूप म घलो अपन एक अलगेच चिन्हारी बना लिए रिहिसे. घोलघोला बिना मंगलू नइ नाचय रे, अल्ला अल्ला हरे हरे, होतेंव महूं कहूं कुकुर, नाम बड़े दरसन छोटे आदि मन तो उंकर मनपसंद कविता रिहिसे. संग म गंभीर रचना कौरव पांडव के परीक्षा अउ सुराजी बीर मन ऊपर लिखे कालजयी रचना मन घलो मंच म जबरदस्त ताली बटोरय.
उंकर लिखे कुछ गीत मन तो गजबे च लोकप्रिय घलो होए रिहिसे. 'चंदैनी गोंदा' के सर्जक दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के सुझाए विषय ऊपर लिखे एक गीत तो मोला आज तक गजब निक लागथे-
जिनगी पहार होगे रे
सोचे रेहेन फूल होही,
खांड़ा के धार होगे रे...
रेती महल बनगे आज बिसवास ह
बेली बंधागे हे कतकों के आस ह
पीरा ह सार होगे रे
जिनगी पहार होगे रे...
अइसने एक अउ गीत हे, जेकर नॉंव ले उंकर गीत अउ कविता के समिलहा संग्रह छपे हे-
फूल हांसन लागे रे दारि, बगिया झूमरगे
बगिया मा जब चले आये सजनी मोर, मन के मिलौनी मोरे
हरियर आमा रे घन मउरे...
तोरे पिरित के रंग मा अइसन रंगे हंव
सपना के सुरता दिन में आथे सजन मोरे
हाय रे बलम मोरे, हरियर आमा घन मउरे...
सुशील यदु के आकाशवाणी अउ दूरदर्शन ले घलो बेरा-बेरा म कविता परिचर्चा आदि के प्रसारण होवत राहय. उहें वोमन प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र 'नवभारत' म 'लोकरंग' शीर्षक ले सरलग 1993 ले 2002 तक कालम घलो लिखिन. एमा कलाकार अउ साहित्यकार मनके परिचय घलो देके काम करिन. ए बात तो सच आय, हमर इहाँ कतकों अइसन प्रतिभा हें जिनला मिडिया के मंच नइ मिल पाए के सेती लोगन के नजर ले अनजान असन रहे बर पर जाथे. आज के सोशलमीडिया के जमाना म घलो अइसन देखे बर मिल जाथे, त गुनव वो बखत जब मिडिया के अंजोर भारी दुर्लभ रिहिसे, वो बेरा अइसन मंच देना कतेक बड़े बुता रिहिसे.
सुशील यदु के गीत मन आडियो, विडियो के संगे-संग फिलिम म घलो गाये अउ संघारे गिस. सुशील यदु ह अपन लेखन के रद्दा म आए खातिर अपन महतारी पूना देवी ल प्रारंभिक प्रेरणा बतावय, जबकि गुरु उन बद्रीविशाल यदु 'परमानंद' ल मानय. हमन संग म ही परमानंद जी संग जुड़े रेहेन. पुरखा साहित्यकार हरि ठाकुर जी के उन अपन आप ल सेनापति समझय, तेकरे सेती उंकर अगुवाई म वो बखत चलत छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन के रद्दा म घलो रेंगय.
छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के माध्यम ले कतकों अइसन साहित्यकार मनला प्रकाशन के मंच घलो दिए गिस, जेमन किताब छपवाए के स्थिति म नइ रिहिन. मोला हमर गाँव नगरगांव के सूरदास कवि रंगू प्रसाद नामदेव जी के जबर सुरता हे. रंगू प्रसाद जी कुंडलियाँ के सिद्धहस्त कवि रिहिन हें, फेर उन खुद होके किताब छपवाए के स्थिति म नइ रिहिन, अइसन म छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति ह उंकर किताब 'हपट परे तो हर गंगे' छपवाए रिहिसे. अइसने हेमनाथ यदु के व्यक्तित्व अउ कृतित्व, बनफुलवा, पिंवरी लिखे तोर भाग, बगरे मोती, सतनाम के बिरवा आदि आदि अलग अलग रचनाकार मनके रचना ल छपवाए गे रिहिसे.
सुशील यदु के अपन खुद के लिखे पांच कृति घलो छपे हे- 1.छत्तीसगढ़ के सुराजी बीर, 2. लोकरंग भाग-1, 3. लोकरंग भाग-2, 4. घोलघोला बिना मंगलू नइ नाचय, 5. हरियर आमा घन मउरे.
छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के माध्यम ले पुरखा साहित्यकार, कलाकार आदि मनके सुरता घलो करे जावय. समिति के सालाना जलसा म तो उंकर मनके नाम ले सम्मान घलो दिए जावत रिहिसे, फेर उंकर मनके जनम या पुण्यतिथि के बेरा म या वोकर संबंधित महीना म अलग से गोष्ठी आदि के आयोजन करे जावत रिहिसे.
पुरखा मनके सुरता करत-करत सुशील यदु घलो 23 सितम्बर 2017 के रतिहा करीब 9.30 बजे सुरता के संसार म समागे. आज उंकर बिदागरी तिथि म उंकरेच ए गीत संग उंकर सुरता-जोहार-
मोर दियना के बाती बरत रहिबे ना
चारों खूंट ला अंजोरी करत रहिबे ना...
पीरा हीरा के बाती बनायेंव
मया के आंसू के तेल भरायेंव
तन के पछीना के लेयेंव अचमन
मन अउ काया के फूल चघायेंव
दुखिया के पीरा हरत रहिबे ना
मोर दियना के बाती बरत रहिबे ना...
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811
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