छत्तीसगढ़ी साहित्यकार के व्यक्तित्व अउ कृतित्व
कतको इतिहासकार मन के मत हे कि हमर छत्तीसगढ भगवान श्री रामचंद्र के माता कौशल्या के मईके हरे. छत्तीसगढ़ के पुराना नांव कोसल रिहिस अउ इहां के भाषा ल कोसली कहे जाय.कौशल्या के नांव भानुमति रिहिस जउन ह दक्षिण कौशल के महाप्रतापी राजा भानुमनत के बेटी रिहिन. अयोध्या के राजा दशरथ के महारानी भानुमति कौशल प्रदेश के होय के कारन आगू चलके कौशल्या कहलाइस. आदिकाल म छत्तीसगढ़ महाकौशल नांव ले प्रसिद्ध रहे हे. श्रीराम के जनम भले अयोध्या म होय हे पर कर्मभूमि छत्तीसगढ़ रहे हे. श्रीराम के ननिहाल दक्षिण कौशल म चंदखुरी (आरंग) हरे. बाल्मिकी द्वारा रचित रामायण के अनुसार सूर्यवंशी श्री राम अपन वनवास काल म लगभग बारह बछर तक इही छत्तीसगढ़ (सिहावा) राज्य म वो समय के सप्तऋषि क्षेत्र म बिताय रिहिन.
हैदरअली अउ रत्नदेव के बाद पृथ्वी देव,जाजल्व देव चेदीवंशीय राजा मन कोसल प्रदेश म ३६ किले (गढ़) बनवाइस.येकर अलावा गोंड राजा मन घलो गढ़ बनवाइस.चेदीवंशी राजा मन के कारन ये राज के नांव चेदीसगढ़ रखे गिस जो आगू चलके छत्तीसगढ़ कहलाइस. तेकर सेति इहां के कोसली भाषा ह घलो छत्तीसगढ़ी कहलाय लागिस. छत्तीसगढ़ी अब्बड़ पुराना भाषा आय .राज्याश्रय नइ मिल पाय के कारन छत्तीसगढ़ी के लीखित रुप विकसित नइ हो पाईस.पर इहां के जन जीवन म ये भाषा ह मौखिक रूप ले बराबर फूल -फरत अउ बाढ़त रिहिस.अउ आजो सही ढंग ले राज्याश्रय नइ मिल पाय के कारन संविधान के आठवीं अनुसूची म शामिल नइ हो पात हे.
आज छत्तीसगढ़ राज्य बने बाईस बछर होगे. अलगे छत्तीसगढ़ के मांग अंग्रेज शासन के समय ले करे जात रिहिस. हमर छत्तीसगढ ह मध्यप्रदेश संग चौंवालीस बछर तक रिहिस. अलगे छत्तीसगढ़ राज बर हमर पुरखा मन अब्बड़ लड़ाई लड़िन हे. राजनीति दल के संगे संग हमर छत्तीसगढ के साहित्यकार, कलाकार, पत्रकार अउ मजदूर, किसान मन के गजब सुग्घर योगदान हे. ये बहुत बढ़िया बात हे कि छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म कोनो किसम के खून- खराबा, सरकारी संपत्ति ल नुकसान नइ पहुंचाय गिस. ये हमर छत्तीसगढ के बड़का उपलब्धि हरे.आप सब ल मालूम हे कि
आने राज बने म नंगत खून खराबा होय हे.
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना म इहां के साहित्यकार अउ कलाकार मन के गजब सुग्घर योगदान हे.
कोनो भी देश अउ राज्य के पहिचान उहां के भाषा के माध्यम ले होथे.अपन स्वाभिमान, अतीत के गौरव, संस्कृति के रक्षा अउ विकास बर अपन मातृभाषा सबले बड़का माध्यम होथे. वइसने छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ के आत्मा हरे. हमर छत्तीसगढ़ी ह आठवीं अनुसूची म शामिल होय बर लड़त हे.
आवव अब छत्तीसगढ़ी साहित्यकार के व्यक्तित्व अउ कृतित्व के चर्चा करथन -
धनी धर्मदास - संत धर्मदास संत कबीर के शिष्य रिहिन. उंकर जनम सन १३९५ म कसौदा गांव , बाधोगढ़,के वैश्य परिवार म होय रिहिन हे. उन्कर कर्म क्षेत्र छत्तीसगढ़ रिहिन. बांधो गढ़ पहिली छत्तीसगढ़ म रहिस हे.१४५२ म वो सत्यलोक प्रयान करिन. हेमनाथ यदु जी ह धर्मदास ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि मानथे. वोहर कवर्धा (कबीरधाम) म कबीर पंथ के स्थापना करिन. वोहर संत कबीर ले प्रेरित होके निर्गुन भक्ति के कतको पद के रचना छत्तीसगढ़ी भाषा म करिन. वोकर पद म हमला छत्तीसगढ़ी भाषा के पुराना रूप के दर्शन होथे. छत्तीसगढ़ी चौका गीत म धर्मदास के नांव के उल्लेख हे.ये ह लोकगीत अउ लोक भजन के रूप म गजब प्रसिद्ध हे. संत धर्मदास ह लोक गीत के सहज,सरल शैली म निगूढ़तम दार्शनिक भावना ल अभिव्यक्त करिन. धर्मदास के उद्देश्य साहित्य सृजन करना नइ रिहिस. वोहर
तो निर्गुन भक्ति के प्रचार के रूप म छत्तीसगढ़ी ले प्रभावित होके पद लिख के संतोस कर लेइस.
जमुनिया की डार मोरी टोर देव हो।
एक जमुनिया के चउदा डारा,सार शबद ले के मोड़ देव हो.
मोर हीरा गवां के कचरा में, कोई पूरब,कोई पछिमम बतावै, कोई बतावै है पानी पथरा में।
छत्तीसगढ़ के संस्कृति, साहित्य अउ धर्म परंरपरा के बढ़वार म संत धर्मदास के अब्बड़ योगदान हे.
दलपत राव - खैरागढ़ के राजा लक्ष्मी निधि राय के चारण कवि दलपतराव ह सबले पहिली छत्तीसगढ़ शब्द के प्रयोग १४९४ ई.म करे रिहिन.
सुंदर राव - देवी प्रसाद शर्मा,बच्चू जाजगीरी है खैरागढ़ के कवि सुंदर राव ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि बताय हे. १६४६ म रचित उंकर कविता म छत्तीसगढ़ी के पुट कम दिखथे अउ अवधी के नजदीक जादा दिखथे.
गोपाल मिश्र और माखन मिश्र-
गोपाल मिश्र रतनपुर के हैहयवंशी राजा राज सिंह के राजकवि अउ दीवान रिहिन.राम नरेश त्रिपाठी ह उंकर जनम १६३३अउ
प्यारेलाल गुप्त ह १६३४ माने हे. उंकर रचना' खूब तमाशा' अब्बड़ प्रसिद्ध होइस.उंकर आखिरी अपूर्ण ग्रंथ 'राम प्रताप' ल वोकर सुयोग्य बेटा कवि माखन मिश्र ह
पूरा करिन. हरि ठाकुर के कहना हे कि गोपाल मिश्र एक महान कवि रिहिन पर वो मन अपन साहित्य के रचना छत्तीसगढ़ी म नइ करिन. येला छत्तीसगढ़ी के दुर्भाग्य ही कहे जा सकथे.
बाबू रेवा राम - बाबू रेवा राम बहुमुखी प्रतिभा के धनी रिहिन. वोकर जनम रतनपुर म सन् १८१३ म होय रिहिस. वोहर हिंदी, संस्कृत, ब्रजभाषा,अउ छत्तीसगढ़ी के बढ़िया जानकार रिहिन हे. संगे संग उर्दू अउ फारसी म घलो अधिकार रखे. हरि ठाकुर जी के अनुसार रेवाराम बाबू छत्तीसगढ़ी म कुछ भजन लिखा के थिरागे. समीक्षक अउ भाषाविद् डा. विनायक कुमार पाठक के कहना हे कि बाबू रेवा राम के रचना 'सिंहासन बत्तीसी' म छत्तीसगढ़ी के पुट देखे ल मिलथे.
प्रहलाद दुबे - सत्रहवीं शताब्दी म सारंगढ़ निवासी प्रहलाद दुबे के रचना 'जय चंद्रिका ' म छत्तीसगढ़ी के प्रकृत रूप देखे ल मिलथे.
संत घासी दास - संत घासीदास के जनम छत्तीसगढ़ के गिरौदपुरी म होय रिहिस हे. सतनाम पंथ के संस्थापक संत घासी दास के उपदेश छत्तीसगढ़ी म लिखे गे हवय. उंकर रचना म संसारिक संबंध के असारता अउ ईश्वरीय कृपा के प्राप्ति के इच्छा ह झलकथे. 'चल हंसा अमर लोक जइबो ' अउ ' खेलथे दिन चार मइहर मा ' जइसन पद येकर उदाहरण हे.
नरसिंह दास वैष्णव - समीक्षक डा.विनय कुमार पाठक ह जांजगीर जिले के गांव तुलसी निवासी नरसिंह दास वैष्णव ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि मानथे. उंकर रचना शिवायन (१९०४)म आय रिहिस.
पंडित सुंदरलाल शर्मा - डा. नरेन्द्र देव वर्मा ह छत्तीसगढ़ी के प्रथम कवि चमसूर ( राजिम)निवासी, छत्तीसगढ़ के गांधी पंडित सुंदरलाल शर्मा ल मानथे.छत्तीसगढ़ी म
बड़का सृजन करइया वो पहिली रचनाकार रिहिन. १९०६ म प्रकाशित' छत्तीसगढ़ी दान लीला ' अब्बड़ प्रसिद्ध होइस.येहा छत्तीसगढ़ी के पहिली प्रबंध काव्य माने जाथे. ये कृति ह हमर छत्तीसगढ के साहित्यकार मन ल छत्तीसगढ़ी म लिखे बर प्रेरित करिन. उंकर देहावसान २८ दिसंबर १९४०म होइस.
पं. लोचन प्रसाद पाण्डेय - नंद किशोर तिवारी जी ह पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय ल छत्तीसगढ़ी के पहिली कवि बताय हे. अइसने दया शंकर शुक्ल ह घलो' कविता कुसुम ' १९०८-०९ म प्रकाशित उंकर छत्तीसगढ़ी कविता ल छत्तीसगढ़ी के पहिली रचना माने हे.
हरि ठाकुर - सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर प्यारेलाल लाल सिंह जी के पुत्र, छत्तीसगढ़ी गीतकार हरि ठाकुर जी छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन ले 1956 ले जुड़ गे रिहिन. उंकर रचना म छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान झलकथे. छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह पर खण्ड काव्य अउ छत्तीसगढ़ी गीत अउ कविता लिख के छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ल जगाइस. राजनांदगांव के विद्रोही कवि कुंज बिहारी चौबे जी के छत्तीसगढ़ी कविता मन के संपादक करिन.
डा.नरेंद्र देव वर्मा - छत्तीसगढ़ राज्य गीत -अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार... के रचयिता डा. नरेन्द्र देव वर्मा हरे. ये गीत ह छत्तीसगढ़वासी मन के स्वाभिमान ल जगाय के काम करिन. सोनहा बिहान के लेखक.
लक्ष्मण मस्तुरिया - दाऊ रामचंद्र देशमुख द्वारा स्थापित' चंदैनी गोंदा' बर गीत लिख के स्थापित होय लक्ष्मण मस्तुरिया जी के छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना म अब्बड़ योगदान हे. उंकर लिखे गीत - 'मोर संग चलव रे' अउ 'मंय छत्तीसगढ़िया अंव रे' ह अलग छत्तीसगढ़ राज्य के नेंव तइयार करिस.
संत कवि पवन दीवान - संत कवि पवन दीवान जी ह प्रवचन अउ कवि सम्मेलन के माध्यम ले अलगे छत्तीसगढ़ राज्य बर जनता मन ल जागरुक करिन. छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म गजब योगदान दिस. दीवान जी के गीत 'तोर धरती तोर माटी ' ले छत्तीसगढ़वासी मन म जागृति आइस.
गिरिवर दास वैष्णव - छत्तीसगढ़ सुराज गीत
डॉ निरुपमा शर्मा- डॉ निरुपमा शर्मा छत्तीसगढ़ी के प्रथम कवित्री माने जाथे . उंकर पतरेंगी रचना के अब्बड़ सोर होइस.
अइसने छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन म बंशीधर पांडे ,सीताराम मिश्र ,लखन लाल गुप्त, प्यारे लाल गुप्त, नारायण लाल परमार, भगवती लाल सेन,चतुर्भुज देवांगन ,हनुमंत नायडू कुंजबिहारी चौबे,द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र जी, कोदू राम दलित, मेहत्तर राम साहू जी, डॉ.खूबचंद बघेल, केयूर भूषण, श्याम लाल चतुर्वेदी, दानेश्वर शर्मा, रामेश्वर वैष्णव, नंदकिशोर तिवारी, डॉक्टर परदेशी राम वर्मा,डा.विमल कुमार पाठक, सुशील यदु,बसंत दीवान,शिव शंकर शुक्ल, डा.बल्देव साव,डा. बिहारी लाल साहू, डॉक्टर बलदाऊ राम साहू, रामेश्वर शर्मा, लाला जगदलपुरी,विश्वंभर यादव मरहा, स्व. त्रिलोक साहू बनिहार, महेन्द्र देवांगन माटी, नंद कुमार साहू साकेत, डा. गोरे लाल चंदेल,डा. जीवन यदु, रामेश्वर वैष्णव,डा.पीसी लाल यादव , पं. नूतन प्रसाद शर्मा, कुबेर सिंह साहू, डा. दादू लाल जोशी,मुकुंद कौशल उधो राम झखमार , रामेश्वर वैष्णव,सुरेन्द्र दुबे, मीर अली मीर, संजीव बक्शी, संजीव तिवारी, शत्रुघन सिंह राजपूत ,हेमनाथ यदु, सुरजीत नवदीप ,गणेश सोनी प्रतीक, दशरथ लाल निषाद,दुर्गा प्रसाद पाकर ,सुशील भोले, गुलाल वर्मा ,डॉक्टर सुखनंदन सिंह धुर्वे नंदन , डा.दीनदयाल साहू ,प्यारेलाल देशमुख , गजपति साहू,संतराम निषाद,सीता राम साहू श्याम , डॉक्टर रामनाथ साहू, टिकेंद्र टिकरिहा गजानंद देवांगन, हरिशंकर गजानंद देवांगन, वीरेंद्र साहू सरल,चंद्रहास साहू, ध्रुव राम वर्मा, अरुण कुमार निगम, डॉ निरुपमा शर्मा,डॉ सुधा वर्मा ,डॉक्टर सत्यभामा आडिल, सरला शर्मा, बसंती वर्मा,शोभा मोहन श्रीवास्तव,आशा देशमुख , शुचि भवि,नीलम जायसवाल,केंवरा यदु, शशि साहू, द्रोपदी साहू सरसिज, गया प्रसाद साहू रतनपुरिहा, मुरारी साव,चोवा राम वर्मा बादल, बोधन राम निषाद, राम कुमार चंद्रवंशी, मनी राम साहू मितान, जगदीश साहू हीरा, अश्वनी कोसरे,जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, पोखन लाल जायसवाल, अजय साहू अमृतांशु, बलराम चंद्राकर, ईश्वर साहू आरूग, ईश्वर साहू बंधी, महेन्द्र कुमार बघेल मधु, राज कुमार चौधरी रौना, ज्ञानु मानिकपुरी, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर,ओमप्रकाश साहू अंकुर , गिरीश ठक्कर,वीरेंद्र तिवारी वीरू, संतू राम गंजीर, लखन लाल साहू लहर, कैलाश साहू कुंवारा, डा.अशोक साहू आकाश, पुष्कर सिंह राज,गजराज दास महंत, राम कुमार साहू, मिनेश कुमार साहू, कमलेश शर्मा बाबू, राज कुमार मस्खरे, फकीर प्रसाद साहू फक्कड़, टिकेश्वर सिन्हा गब्दीवाला, भोला राम सिन्हा,अशोक पटेल , हेम लाल सहारे सहित कतको रचनाकार रचना के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी भाखा के सेवा करत हे.
साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना म अपन योगदान दिस. कतको साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म भाग लिस.
छत्तीसगढ़ी शब्दकोश, व्याकरण म हीरालाल काव्योपाध्याय डॉ क्रांति कुमार ,शंकर शेष, डा.पालेश्वर शर्मा डॉक्टर नरेंद्र देव वर्मा ,भालचंद राव तैलंग ,नरेंद्र कुमार सौदर्शन ,रमेशचंद्र महरोत्रा, मन्नूलाल यदु ,साधना जैन,डॉक्टर विनय कुमार पाठक, डॉक्टर चंद्र कुमार चंद्राकर, पुनीत गुरु वंश ,डॉक्टर विनोद वर्मा ,डॉ गीतेश अमरोहित जइसन विद्वान मन पोठ काम करे हे.
पाछु पांच बछर ले छंदविद अरुण कुमार निगम द्वारा स्थापित छंद के छ छत्तीसगढ़ के माध्यम ले छत्तीसगढ़ के कवि मन छत्तीसगढ़ी म छंदबद्ध रचना करके छत्तीसगढ़ी साहित्य के कोठी ल
समृद्ध करत हे.
छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप के माध्यम ले पद्य के संगे संग गद्य म सुघ्घर काम चलत हे जउन छत्तीसगढ़ी साहित्य ल बढ़वार करत हे.
ओमप्रकाश साहू" अंकुर"
सुरगी, राजनांदगांव
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