Sunday, 1 October 2023

साखोचार के किरिया* (नान्हें कहानी)

 *साखोचार के किरिया* (नान्हें कहानी)


रमेसर कका हा बड़ सीधवा किसान रहय।गोठ बात बहुत कम करय अउ सबो ला सॅंवास के चलय।ओकर दू झन बेटा हे गनपत अउ राकेश।पाछू साल दूनों के बिहाव करके अपन जिम्मेदारी ले मुक्त होगे रिहिन।

आज ओकर घर में बिहाने ले चिंव चांव होवत रहय त सुनके थोरिक अचरित लागिस।श्रीमती ल पूछेंव त बताइस कि रमेसर कका इंहा काकी के तबियत दू दिन ले खराब हे।बुखार में हॅंकरत हवै।दू दिन ले ओकर दूनों लइका एक दूसर के हिजगा में अस्पताल नी लेगत हे।

अतका जाने के बाद कम से कम हाल-चाल पूछे बर जाना चाहिए किके उंकर घर पहुंचेव त उंकर घर दूनों बहुरिया के झगरा माते राहय अउ ओकर गोसान मन घलो अपन अपन गोसाइन कोती ले भीड़े रहय।मोला आवत देखिस ताहने रमेसर कका किथे-आ बइठ बाबू!!अउ गोठियाते गोठियात अपन साइकिल ला निकालत रहय।हालचाल पूछेंव त ठीक हे बताइस अउ एक ठा चद्दर ला घिरिया के गद्दा असन बना के कैरियर में दसा दिस।फेर मोला किथे-में थोरिक तोर काकी ला अस्पताल लेगत हॅंव बेटा!!आन दिन थीर लगा के गोठियाबो।अउ काकी ल सहारा देवत साइकिल के कैरियर में बइठारत अपन दूनों लइका ल किहिस-तुमन अपन गिरहस्थी ला संभालो जी।हमर फिकर झिन करौ।तोर महतारी के सुख दुख मा साथ निभाए के किरिया में खाए हॅंव।मोर भुजा मा अभी घलो ताकत हे बेटा!!काहत काकी ला बइठार के साइकिल के पैडल मारत कका अस्पताल कोती चलदिस।एती ओकर दूनों बेटा थोथना ओरमा के देखत रहिगे।


रीझे यादव

टेंगनाबासा (छुरा)

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