Saturday, 21 October 2023

छत्तीसगढ़ी कहिनी कोईली बसंती

 छत्तीसगढ़ी कहिनी


                       कोईली बसंती

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        मउरे आमा रूख म आमा पान तोपाय, पिंवरी-पिंवरी आमा मउरे, अमरइया म छागे हवय। बसंत रितु के आवत, कोईली के कूक ले चारो डहार खुसहाली आगे। सुघ्घर पिंवरी फूल सरसो के, सेमर,  परसा फूल लाली -अंगारी बंगबग ले चारो अंग खेत म बगरे हवय। आमा के माउर हर अमटहा महमहावत हवय।

        अमरइया के तीर खेत म संझा कुन धियान मगन बसंती हर, फागुन गीत ल गावत रिहिस। कोईली कस अब्बड़ मीठ गीत हर खेत खार म गूंजे लगिस। बसंती के गोठ अउ ओखर कंठ के आवाज हर अब्बड़ गुतुर, मीठ हवय। ओहर जइसने गोठियाथे,लागथे कोईली हर कूकत हवय, ओहर हांसथे त पारिजात  के रूख ले फूल हर झरथे तइसने लागथे। ओखर गाय गीत हर त सब्बो डहार खेत -खार, घर-कुरिया ,अंगना म गूंजत रहाय। का ददरिया, का जसगीत, का सुवा गीत?जम्मो गीत गाय म हुसियार बसंती। अमरइया मेर बइठे बेरा संझा ले अंधिरियागे। अमरित हर बसंती के  तीर आके कहिस-"अवो बसंती संझा कुन ले अब रथिया होवत हवय, ते अभिचे ले घर कुरिया नइ गे हवस। दाई हर तोला खोजत हवय।" अमरित के गोठ ल सुन के बसंती हर हड़बड़ागे। उठके सोझे घर कुरिया डहार रेंह दीस।

         बसंती लकर-लकर घर कुरिया के अंगना म हाथ गोड़ धोके रंधिनी कुरिया भीतर नींग गे। बसंती हर किहिस-"दाई मैंहर कछु बूता काम करव का?" दाई हर अब्बड़े रिसाय किहिस -" कस ओ नोनी तोला कोनो लोक लाज सरम हावय के नइ, अतना अंधियार होवत हवय अउ तैंहर अमरइया मेर नाचत, कूदत, गावत हवस." गोठ ल सुन के बसंती हर चुपे चाप मुच- मुच ले हांस दिस। दाई ल पोचार के किहिस-" दाई ओ दाई मैंहर त घर कुरिया आवत रेहेव फेर रददा म अमरइया मेर नानकुन सुवा के नानकुन पीला हर अपन खोंदरा ले भुइंया म गिर परिस।ओला मेंहर लोरी गावत पुचकारत रेहव दाई, जम्मो संगवारी मन संग आमा रूख के खोल म राख के आये हवव। दाई मोर जीव हर सुवा बर कलपत हवय दाई। सुवा हर अपन पांख ल फड़फड़ावत रिहिस। ओखर खोल म कोनो नइ रिहिस। दाई मोला अब्बड़े सुरता आवत हवय।" बसंती के दाई हर किहिस-"नोनी तैंहर कोनो फिकर झन कर भगवान  हर सब्बो जीव के रक्छा करथे। ओखरो करबे करहि। जा तोर बाबू अउ भाई ल जेवन बर बला ले।"

          बसंती अपन दाई-ददा अउ बड़का भाई ल जेवन करा के आखिरी म अपन बर थारी म भात दार साग हेरके खाईस अउ रंधनी घर ल झारू-बुहारू, झार-पोछ, लीपब बहार के बरतन भाड़ा ल मांज धोके रंधनी म राख दिस। अपन कुरिया म दसना बिछा के थोरकुन पढ़ई -लिखई करिस अउ सुतगे। बसंती पढ़ई लिखई म अब्बड़ हुसियार रिहिस।

           बसंती  के दाई दसमत हर रथिया इही चिन्ता-फिकर म नइ सुतय के मोर नोनी के का होही। काबर नोनी के उमर बाढ़त जात रिहिस। बिहाव बर सगा मन आवय फेर नोनी के तन के करिया रंग ल देख के कोनो जवाब नइ देवय। सब्बो ल उजर रंग के बहुरिया चाही। मन म गुने के लगिस के काली माता दाई हर तको त करिया रिहिस, ओखर गुन के कोनो पार नइ रिहिस। फेर इही संसार के लोगन मन त चमड़ी के रंग ल देखइया हवय। नोनी के गुन हर ओखर करिया रंग म लुकाय हवय। जइसन कोइला म हीरा तोपाय रहिथे। हीरा ल जौहरी हर परख लेथे। तइसने कोनो बसंती के गुन ल परखही। नोनी के उमर बाढ़त जावत हवय, त ओखर गुनों तक बाढ़त हवय।

        बसंती के ददा हर दसमत ले किहिस-"दसमत तैंहर हमर नोनी बर कोनो चिन्ता-फिकर झन कर, ओहर पढ़ई म सबले आगू हवय। मैंहर येला कॉलेज पढ़ाहुं,  मोर नोनी जतका पढ़ही ततका ओला पढा़हुं, ओखर जेन सपना हवय, तेला मैंहर पूरा करेके कोसिस ल करहुं। हमन नइ पढ़े लिखे हवन त का होगे,  हमर बर त पढ़ई-लिखई त करिया आखर भइंस बरोबर हवय।  फेर हमर नोनी हर बड़ हुसियार हवय। तेंहर ओखर बिहाव के फिकर ल छोड़ दे। ओखर भाग म जेन होही तेन ओखर बने बर होही।"  दसमत हर हीरा लाल के गोठ ल सुनिस त ओखर मन हर हरू होय लगिस।  कब सुत भुलाइस गम नई पाइस।

         कच्छा बारा म बसंती अपन इस्कूल म सबले ज्यादा नम्बर लानिस। जम्मो इस्कूल के सिक्छक अउ गांव के लोगन ओखर गुन ल सहराइन। काबर लोक गीत गाय तको म बसंती हर अपन जिला अउ राज म पहिली नम्बर म रिहिस। सरस्वती वंदना अउ सुवागत गीत ओखरे गाय बिना अधूरा  रहाय। बसंती के बने पढ़ई ले ओखर दाई-ददा अब्बड़ खुस रिहिन।

        कक्छा बारहवी  पास करके बसंती हर बी. ए. करीस अउ हिन्दी म एम. ए. पास कर डरिस। फेर बी. एड. तको पास होगे। बसंती के दु ठन सपना रिहिस। सिक्छिका बने के अउ दूसर गाइका बने के। इही सपना बर ओखर दाई-ददा  दुनो मन ओखर संग दिन। काबर समाज  हर अभीकुन नोनी मन के पढ़ई बर अतना जागरूक नइ होय हवय। जादा पढा़बे त बिहाव कोन करही। अइसना समाज के सोच हरे। फेर समाज म बदलाव आना चाही,  नोनी-बाबू एके समान के नारा ल सिरतोन करना चाही। इही गोठ ल दसमत अउ हीरालाल हर गाँठ बांध लिन अउ अपन नोनी के सपना ल पूरा करेके ठान लीन।

          आज बसंती अब्ड़े खुस हवय। ओखर पोस्टिंग अपन गाँव  के हाई इस्कूल म होइस। जिही इस्कूल म बसंती पढ़िस, तिही इस्कूल म आज सिक्छिका बनगे हवय। ओखर खुसी के कोनो ठिकाना नइ रिहिस। आकासवानी रेडियो  म ओखर गीत के कार्यकरम  आय लगिस। देवी गीत, जस गीत,  ददरिया, बिहाव गीत ,फाग के गीत के कैसेट  तको निकल गिस।  नवरातरी बेर जम्मो जगराता म बसंती  ल गीत गाय के नेवता तको मिले लगिस। अब बसंती ल कोईली बसंती के नांव ले जाने लगिन।

          आज बसंती के दुनो सपना हर पूरा होगे। आज ओहर अब्बड़े खुस हवय।ओखर गुन के सुवास हर चारो अंग बगरगे।  बसंती ले बिहाव करेबर सगा मन के बाढ़ आगे,सगा ऊपर सगा आवत रिहिन।

        सुखदेव हर बसंती के गीत अउ ओखर गुन म मोहाय, अपन दाई-ददा संग बसंती ले बिहाव के गोठ करे बर, ओखर घर आइन। बसंती के दाई-ददा मन खुस होगे। फेर बसंती हर बिहाव बर तियार नइ होइस अउ कहिस-"दाई मैंहर बिहाव नइ करव।" ओखर गोठ ल सुन के दसमत हर किहिस-"नोनी जिनगी म सबो जरूरी हवय, फेर सुखदेव अउ ओखर दाई-ददा तोर गुन म मोहाय हवय। नोनी तंय हां कहि दे।" बसंती हर किहिस-"दाई आपमन ल जेन बने लागे ओही ल करव, काबर मोला अपन ले जादा आपमन म बिस्वास हवय। मोर भलई जेमा होही ओही आपमन करहुं।"  जसमत अउ हीरालाल बड़ खुस होगे अउ सुख देव ल अपन दमाद बनाय बर तियार होगे। सगई अउ बिहाव ल एके संघरा करेके गोठ -बात ल करके सुखदेव के दाई-ददा मन बसंती ल नेग बर पइसा धरा के  सगा मन संग रेंग दिन।

         अब्बड़े धूम-धाम ले बसंती अउ सुखदेव के बिहाव होगे। सगई- बिहाव के बेर बसंती हर सुखदेव ल देख के देखते रहिगे। सुखदेव हर फकफक ले गोरा नारा, गोरस सही उज्जर, ऊंच पूर रिहिस। बसंती हर ओला देखते रहिगे।  अपन भाग ल सहराय लगिस, अपन दुल्हा ल देख के देखते रहिगे। सुखदेव हर बसंती ले किहिस-"बसंती तन के रंग हर त चार दिन के हवय, मन के उज्जर रंग त सदा रहहि। मोला तोर जइसन गुनी जीवन संगवारी चाहे रिहिस,आज मोला तंय मिल हवस। तैंहर मोर जिनगी म कोईली बसंती हवस। मोर दाई-ददा के सेवा जतन करइया, सबोबर मया करइया, तोर कोईली अस सुघ्घर गीत गवइया ल पा के मैंहर सबों कछु पागे हवव।

         पहिली फागुन बसंती के फाग के गीत ले गूंजे लगिस। लाली गुलाली रंग ले बसंती हर सब्बो झन ल अपन रंग म रंग डरिस।  कोईली बसंती के गीत हर जम्मो मनखे के हिदय म, रूख-राई, खेत-खार, गाँव -गवंई,सहर म गूंजे लगिस।


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                  लेखिका

      डॉ. जयभारती चन्द्राकर

           सहायक प्राध्यापक, रायपुर छत्तीसगढ़

मोबाइल न. 9424234098




मोर छत्तीसगढ़ी कहिनी प्रेषित हवय ...🙏🌸🌺😊

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