*जीवनसाथी*(नान्हें कहानी)
भादो के महिना छत्तीसगढ़ में तीज तिहार के सेती बड़ उछाह अउ खुशहाली के महिना आय।कमरछठ,आठे गोकुल,पोरा,तीजा,गणेश चउथ संग नुआखाई के परब घलो इही महिना मा संघरथे।
गणेश चउथ के दिन जम्मो लइका सियान भगवान गजानन के मूर्ति बिसाय खातिर बस स्टैंड वाले मूर्ति बेचइय्या कुम्हार के दुकान मेर सकलाय रहय।महूं अपन बड़े लइका संग विघ्नहर्ता गणपति के मूर्ति ल देखत उही मेर ठाढे़ रेहेंव।
तभे संझौती वाले रयपुरिहा बस आके खड़े होइस। जम्मो सवारी अबक तबक उतरत रिहिन।त सबले आखिरी मा एकझन पच्चीस छब्बीस बछर के जवान छोकरा एकझन जहुंरिया नोनी के हाथ ल धरे धरे धीरलगहा उतरत रिहिस। में मूर्ति देखे मा मगन रेहेंव।
तभे थोरिक देर मा उही छोकरा मोर कना आके किथे। भैय्या थोरिक फोन लगा देतेव का?घर में थोरिक बात करना रिहिस।उंकर हालत ल देखके मना नी कर सकेंव अउ फोन दे देंव।
उंकर घरवाले संग ओकर बातचीत ल सुनके लागिस कि ओहा अपन घरवाले मन ला घर तक लेगे बर बुलावत रिहिस काबरकि बस वाले आगू बस ले जाय बर मना करदे रिहिस।जब ओकर बातचीत सिरागे।अउ फोन ला लहुटा तब पूछेंव त बताइस कि ओहा काम काज रोजी मजूरी करे बर रयपुर में रहिथे अउ नुआखाई में परिवार संग नुआखाई बर अपन गृहग्राम आवत हे।संग में जे नोनी हवै ते ओकर घरवाली हरे।जेकर आंखी ह बरोबर नी दिखय बताइस।
मोला बड़ अचरित लागिस कि सांगर मोंगर देंहे वाले जवान लइका कइसे कोनो दिव्यांग संग जिनगी बिताय खातिर तैयार होगे।जबकि समाज में आज घलो कोनो अतेक बड़े बलिदान बर तैयार नइ दिखय।एकर बारे मा पूछेंव त ओहा बताइस-भैय्या!!एकर संग मैं हा प्रेम विवाह करे रेहेंव।घरवाले मन के मर्जी के खिलाफ।बाद में परिवार वाले मन घलो अपनालिन।अउ हमर गृहस्थी सुग्घर चलत रिहिस।पहिली एहा हमरे मन कस बने रिहिस।फेर को जनी काकर नजर लगिस हमर मया ला कि धीरलगहा एकर आंखी धुंधरावत गिस।दिखना कम होवत हे। रोजी मजूरी करत अभी ले ईलाज करातेच हंव।लटपट अभी धुंधरावत आंखीं म अपन बुता अउ रंधना गढ़ना ल कर लेथे।फेर अऊ कोनो काम नी कर सके घर मा ही रहिथे।
तब में ओला केहेंव-तब तो बड़ मुश्किल अउ परेशानी मा परगे तैं हा।तोला तो बहुत हलाकानी होवत होही।
ओहा मुस्कावत किहिस-हलाकानी तो होथे भैय्या।पर जेकर हाथ ला जिनगी भर बर थामे हंव।ओला थोरे छोड़ देहूं। भगवान जैसे राखही वइसन गुजारा कर लेबो।जीवनसाथी ला धोखा थोरे देहूं।
तभे ओकर छोटे भाई मोटरसाइकिल धरके दूनों ल लेगे बर आगे।अउ ओमन चलदिन।मोर दिमाग मा ओकर एके ठ बात घूमत रहिगे-जीवनसाथी ल धोखा थोरे देहूं....
रीझे यादव
टेंगनाबासा (छुरा)
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