Thursday, 26 October 2023

प्रगति

 प्रगति          

            बात तइहा तइहा के आये । मनखे अऊ कुकुर के बीच ताकतवार होये के प्रतियोगिता सुरू होइस । एक घाँव कुकुर हा मनखे ल चाब दिस । मनखे मरगे । मनखे के मन म डर हमागे । कुकुर हा ताकत के पहिली लड़ई जीत डरिस । कुछेच बछर पाछू कुकुर फेर भिड़गे मनखे संग । मनखे मरगे अऊ कुकुर घला मरगे । मनखे अऊ कुकुर के बरोबरी सुनके जम्मो देस खुस होगिस । इही दिन ले मनखे ल घला कभू कभू कुकुर केहे लागिन । 

                   एक दिन अड़बड़ खुशी मनावत रिहीन मनखे मन .... पता चलिस के कुकुर हा मनखे ल चाब दिस तब .... कुकुर मरगे अऊ मनखे जियत हे । इही प्रगति ल तिहार कस मनावत रहय मनखे मन । इही समे ले कुकुर ल मनखे के सेवा बर मजबूर होये बर पर गिस । 

                   समे नहाकत कतेक लागथे । प्रगति सबो के होवत रहय । तभ्भो ले कुकुर अभू बड़ डर्राये । एक घाँव जीत के सुवाद पाये मनखे हा कुकुर ल मजा चखाये के कोन्हो मौका हाथ ले नइ जावन दे ।  मनखे ले परेशान कुकुर हा एक दिन मनखे ला फेर हबक दिस । फेर ये काये गो .. ? न कुकुर मरिस ...... न मनखे । सरी दुनिया म खलबली माचगे । कोन्हो ल बिसवास नइ होइस । मनखे के प्रगति म प्रश्नचिन्ह लगगे ? वैज्ञानिक मन बर शोध के बिसे होगिस । वैज्ञानिक मन के दावा रिहिस के मनखे अतेक प्रगति कर चुके हे के ..... अइसन होईच नइ सके के ...... कोन्हो कुकुर हा मनखे ल चाबय अऊ कुकुर हा जिंदा बाँच के निकल सके । ओमन कहय चबरहा जीव ..... कुकुर नइ होही ....... बलकी मनखेच होही ।

                   इही वो समे आये जब कुकुर अऊ मनखे के दोस्ती होईस । अब कुकुर अऊ मनखे एके खटिया में सुते लागिन अऊ एके संग खाये लागिन । तरपोंरी ले गोदी म पहुँचगे कुकुर ... । प्रतियोगिता अभू ले चलथे फेर दोस्ताना होगे हे । एमा न मनखे जीतत हे न कुकुर । सोंचे बर बिबस हे विज्ञान घला के ..... ये काये ..... काकर अऊ कइसे प्रगति ...... ? 

                                        बहुत बछर पाछू ... सभ्य मनखे मन कुकुर ले एको बेर के हार ला नइ पचो सके लगिस । ओहा कुकुर ला सदा सदा बर हराना चाहिस । जनम के अप्पत मनखे ला तुरत उपाय मिल गिस । ओहा अपन आप ला कुकुर बना लिस । कुकुर बनते साठ ... इही मन ... मनखे बर बैरी बन गिन । दिन भर मनखे ला भोंकय .. नोचय अऊ काटय .. अनर्गल गोठियावय .. जब डरुवा नइ सकय तब जीभ म अइसे चाँटय के ... चाँटत चाँटत चट कर डरय । मनखे अतेक प्रगति कर डरही ... कन्हो नइ सोंचें रिहिस । सब जान डरिन तहन अइसन मनखे ला कुकुर के उपाधि ले नवाजना शुरू कर दिन । एती असली चरगोड़िया कुकुर घला काबर कन्हो ला घेपही । वहू मनखे के रात दिन के आतंक ले त्रस्त रिहिस । ओहा चरगोड़िया मनखे बने के जुगत जमइस । अब वहू केवल मनखे ला भोंकय ... मनखे ला काटय .. अऊ मनखे ला नोंचय ... । कुकुर हा अतेक गिर जहि तेकर अंदेशा नइ रिहिस ... प्रगति करत कुकुर हा ... मनखे बन ... अपनेच दुर्गति कर डरिस ।              

हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन  छुरा

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