Saturday, 14 October 2023

साहित्यिक तर्पण संस्कारधानी के रतन बेटा - सरोज द्विवेदी


 

साहित्यिक तर्पण 


  संस्कारधानी  के रतन बेटा - सरोज द्विवेदी 




साहित्य ल समाज के दर्पन कहे जाथे.साहित्य ह अपन जुग के बात ल सब झन के सामने लाथे त येहा बेवस्था म बदलाव के उदिम बताथे . साहित्य के सक्ति तोप अउ तलवार ले बड़े बताय गे हावय.हमर छत्तीसगढ़ म साहित्य ह अब्बड़ समृद्ध हे. हिंदी साहित्य म इहां के साहित्यकार मन के अब्बड़ सोर बगरे हे त छत्तीसगढ़ी साहित्य के ढाबा ह घलो लबालब भरे हे. 

 हमर छत्तीसगढ के संस्कारधानी शहर राजनांदगांव साहित्य अउ कला बर न सिर्फ छत्तीसगढ़ म बल्कि पूरे भारत भर म प्रसिद्ध हावय. ये शहर ह डा. पदुम लाल पुन्ना लाल बख्शी, गजानन माधव मुक्तिबोध, डा. बल्देव प्रसाद मिश्र, कुंज बिहारी चौबे, विनोद शुक्ल,  शरद कोठारी, नंदू लाल चोटिया,  डा. गणेश खरे,  स्वर्ण कुमार साहू, रमेश याज्ञिक , मेघनाथ कन्नौजे,  नूतन प्रसाद शर्मा ( छत्तीसगढ़ी महाकाव्य -गरीबा)  कनक तिवारी,गणेश शंकर शर्मा,  डा. दादू लाल जोशी, कुबेर सिंह साहू,यशवंत मेश्राम अउ आचार्य सरोज द्विवेदी जइसन बुधियार साहित्यकार मन के जनम भूमि/ कर्म भूमि हरे. पहली के संयुक्त जिला के बात करथन त डॉ. गोरे लाल चंदेल, डा. जीवन यदु राही,डा. पीसी लाल यादव जइसन विद्वान मन संस्कारधानी राजनांदगांव के आन -बान -शान हरे. आचार्य  द्विवेदी जी ल अध्यापन, पत्रकारिता, साहित्य लेखन, धार्मिक प्रवचन अउ ज्योतिष म सतत सेवा खातिर न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरा देश ह जानथे. 


           आचार्य सरोज द्विवेदी के जनम   14 अक्टूबर 1946 म घुमका (  राजनांदगांव) म ब्राह्मण परिवार म होय रहिन हे. उंकर ददा के नांव  गिरधारी लाल द्विवेदी अउ दाई के नांव नर्मदा देवी रहिन हे. द्विवेदी जी ह हिंदी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य अउ दर्शन शास्त्र म एम.ए. करे रहिन हे. पढ़ई जिनगी ले साहित्य कोति गजब रूचि लिस.  1965 ले लेखन काम शुरू करिन.


शुरू म 12 बछर तक शिक्षकीय कारज करिन. फेर शासकीय सेवा ल छोड़ के पत्रकारिता कोति आगे. 10 बछर तक पत्रकारिता करिन अउ इही दौरान राजनीति म घलो रूचि लेय लागिस फेर धीरे से इहां ले  मोहभंग होइस. फेर अपन पूरा धियान धार्मिक , साहित्यिक अउ दार्शनिक किताब के अध्ययन अउ चिंतन म लगा दिस. हिंदी साहित्य के सबो विधा म कलम चलाय के संगे संग छत्तीसगढ़ी म कविता लेखन करिन. 



कवि गांव डहर अभियान म अगुवाई 


80 के दशक म राजनांदगांव के कवि मन " कवि गांव डहर" अभियान चलाइस. येमा कवि मन गांव म जाके कवि सम्मेलन करय . स्वस्थ मनोरंजन के संगे संग लोगन मन म जागृति लाय के उदिम  करय. हमर गांव सुरगी म घलो ये आयोजन होय रिहिस हे. येमा आचार्य सरोज द्विवेदी मन ह अगुवा रहिन.


कलयुगी अमृत के सोर बगरिस


 द्विवेदी जी के लघुकथा लेखन खातिर  अब्बड़ सोर होइस. हमर देश म 1970 ले 80 के दशक म लघु कथा लेखन एक आंदोलन जइसे चलिस. द्विवेदी जी वो लेखन के बड़का लेखक  रहिन. 1983 म उंकर लघु कथा संग्रह" कलयुगी अमृत" दिल्ली ले प्रकाशित होइस अउ  पूरा देश  म येकर सोर बगरिस. 2008 म रायपुर म आयोजित अंतर्राष्ट्रीय लघु कथा संगोष्ठी म द्विवेदी जी  ल लघुकथा गौरव सम्मान 2007 ले सम्मानित करे गिस.  साहित्य म सुग्घर कारज खातिर साकेत साहित्य परिषद सुरगी, राजनांदगांव ह साकेत साहित्य सम्मान, छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति रायपुर, छत्तीसगढ़ी साहित्य सृजन समिति राजनांदगांव,नगर निगम राजनांदगांव, लायंस क्लब मन सम्मानित करिन.  ज्योतिष क्षेत्र म ज्योतिष विशारद्, ज्योतिष भारती, ज्योतिष भूषण जइसे सम्मान मिलिस. 


भागवत प्रवचन अउ ज्योतिष 

   

आचार्य जी ह अपन अराध्य देव श्रीकृष्ण के किरपा ले दूर दराज के गांव के संगे संग बड़े शहर म घलो एक सौ ले जादा श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कथा वाचन करिन. दैनिक सबेरा संकेत राजनांदगांव म साप्ताहिक अउ बछर राशिफल 31 बछर ले सरलग प्रकाशित होइस.


द्विवेदी जी ह माता शबरी पर "खंड काव्य" लिखे के कारज करत रहिन. साकेत साहित्य परिषद सुरगी द्वारा प्रकाशित स्मारिका अउ  बंशी लाल जोशी द्वारा संपादित काव्य संग्रह " सूर्य कहूं या दीप" म माता सबरी के बारे म उंकर लेख अउ कविता प्रकाशित होय हे. संगे संग आदमी ( काव्य संग्रह) प्रकाशित करे के योजना बनाय रहिन पर होनी ल कोन टार सकथे!  द्विवेदी जी ह 4 अक्टूबर 2023 म स्वर्गवासी बनगे. उंकर  परिवार म धर्म पत्नी सुधा देवी, तीन झन बेटी सारिका मिश्रा,डाली नामदेव अउ दुबी पांडे हे .


 श्रद्धेय द्विवेदी ह सरल,सहज अउ सरस व्यक्तित्व के धनी रिहिन हे. कतको प्रतिभा के धनी रिहिन पर अहं ले दूर नम्र स्वभाव ल समाहित करे रिहिन. 77 बछर के उम्र म घलो कोनो भी साहित्यिक आयोजन म सहजता ले शामिल होय अउ अपन ज्ञान, अनुभव के लाभ साहित्य बिरादरी ल बांटिस.

आचार्य जी ले मोर पहिली भेंट 1996 म होइस.  ये समय मंय ह दिग्विजय कालेज राजनांदगांव म अध्ययनरत रहेंव. द्विवेदी जी के बेटी ह हमर मन संग कालेज पढ़े हे.पत्र लेखक मंच राजनांदगांव द्वारा आयोजित कवि गोष्ठी/ विचार गोष्ठी म भेंट होय के बाद सरलग छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति, साकेत साहित्य परिषद सुरगी, छत्तीसगढ़ी साहित्य सृजन समिति,जगवारी, शिवनाथ साहित्य धारा डोंगरगांव,पुरवाही साहित्य समिति पाटेकोहरा, छुरिया, राष्ट्रीय कवि संगम, विचार विन्यास, साहित्य मंच डोंगरगढ़ के के मासिक गोष्ठी अउ वार्षिक समारोह 


 म  भेंट होवत राहय.  चूंकि वोहा सियान होगे रहिन तेकर सेति अक्सर कवि, साहित्यकार आत्माराम राम कोशा अमात्य अउ व्यंग्यकार गिरीश ठक्कर ह कोनो साहित्यिक आयोजन म लाय बर  सारथी के कारज करय.जब साकेत साहित्य परिषद के वार्षिक समारोह आयोजित करन त आमंत्रण देय बर मंय ह कवि मित्र लखन लाल साहू लहर, सचिन निषाद संग आचार्य जी के घर जांव. सुग्घर आत्मीयता ले मिले. साहित्य के संगे संग परिवार  के हाल- चाल के पूछ परख करय . नवजवान साहित्यकार मन के  सरलग उछाह बढ़ाय . आगू बढ़े के आशीर्वाद देवय.हमर साकेत साहित्य परिषद ल आचार्य जी ह सदा प्रोत्साहित करिन. एक घांव वार्षिक समारोह म आमंत्रण देय बर गेन त नंगत के भोंभरा तिपत राहय. मंझनिया उंकर घर तीर जाके दरवाजा म अवाज लगायेन त सुग्घर ढंग ले स्वागत करिन अउ अवाक घलो रहिगे कि अत्तिक भोंभरा के बेरा म घूमत हे. आचार्य जी ह कहिन-" तहू साकेत वाले मन अब्बड़ जिपरहा हौ जी. नंगत भोंभरा म आमंत्रण कार्ड बांटे बर निकले हावव. अपन शरीर के घलो धियान रखना हे अंकुर अउ लहर. संझा नइ ते बने बिहनिया बेरा आय रहितेव. अइसने बोलत -बोलत बने शर्बत पानी मंगवाईस तेला पीके हमन तृप्त अनुभव करेन."अपन अनमोल विचार ले हमन ल लाभान्वित करिन.आचार्य जी ले आखिरी भेंट शिवनाथ साहित्य धारा डोंगरगांव के वार्षिक समारोह म 17 सितंबर 2023 म सृजन संवाद भवन राजनांदगांव म होइस.  दू बछर पहिली इही जगह म आचार्य जी के हीरक जयंती म संस्कारधानी राजनांदगांव के जम्मो साहित्य समिति मन नागरिक अभिनंदन करिन. ये हर उंकर सतत लेखन, गोष्ठी/ वार्षिक समारोह म सक्रियता अउ सरल,सहज,सरस व्यक्तित्व के सबले बड़का उदाहरण हे. संस्कारधानी राजनांदगांव के ये रतन बेटा ल साहित्य बिरादरी कोति ले शत् शत् नमन हे.



              ओमप्रकाश साहू "अंकुर"


               सुरगी, राजनांदगांव

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