*हे!गजानन*(नानुक कहानी)
हमर पारा के टूरा लक्ष्मण जे हा आजकल अपन आप ला लक्की कहिथे।धड़धडा़त अपन फटफटी ला घर के मुहाटी में खड़ा करिस अउ अपन महतारी ला किथे-मम्मी पापा को बोल देना।आज रात को गणेश पंडाल में हमारे दोस्तों की पार्टी है।वेज चाऊमीन और मोमोज रहेगा।पर हेड हर मेंबर को पाॅंच सौ देना है।मैं कुछ नहीं सुनूंगा।आपको पैसे देने है मतलब देने हैं।काहत अपन कुरिया मा खुसरगे।
लक्की के दाई फूलमती के मुंहू ले बक्का नी फूटिस।वो देखते रहिगे।
लक्की रामलाल अउ फूलमती के एकलौता लइका रिहिस।तेन पाय के बड़ मया करे दूनों।नोहरहा के लइका के हर इच्छा ला पूरा करत आज लक्की आज अठारह बछर के होगे।फेर आडी़ के काडी़ नी करय। फूलमती रामलाल ला कभू कभू चेतावय घलो कि ज्यादा मया लइका ल बिगाड़ देथे।फेर रामलाल फूलमती के गोठ ला अनसुना कर देवय।
रामलाल कोनो बडे़ बैपारी नी होय।नानुक गुपचुप ठेला लगाके बमुश्किल चार-पांच सौ रुपया रोजी कमाथे।जेमा घर के खर्चा अउ बैपार के लागत घलो निकालना रहिथे।
फूलमती रामलाल कना फोन करके बताथे कि लक्की पांच सौ रुपया मांगे हे।सुन के रामलाल सोच में पर जथे फेर मना नी करे अउ कहिथे-ले भेज देबे लक्की ला ठेला मा।पैसा दे देहूं।फेर आज रतिहा मोला आय मा थोरिक देरी होही।लक्की ला पैसा देहूं ताहन मोर कना समान बिसाय बर पैसा नी पूरे।आने मुहल्ला मा घलो परकम्मा करहूं त सकलाही।
फोन ला काट के फूलमती मन मा गुने लगिस।एक बेटा अइसन रिहिस जे दाई ददा के परकम्मा करके पहिली पूजा के अधिकारी बनिस।अउ एक हमर लइका हे जेकर साध पूरा करत ओकर ददा हा उपराहा परकम्मा करत हे।हे गजानन स्वामी मोरो लइका अउ ओकर ददा ला सद्बुद्धि देवव!!
रीझे यादव
टेंगनाबासा (छुरा)
No comments:
Post a Comment