छत्तीसगढ़ी कहानी
गोटानी वाले बबा
शहर के जगमगावत बिजली ऊच ऊच महल घर गाड़ी घोड़ा आटो रिक्शा के कान फोड़वा आवाज़ से चार कोस दुरिहा म बसे पिपरहा गांव जीहां हरियर हरियर रुख राई बर पीपर के छाव चिरई चिरगुन गुरतुर आवाज तरिया पार के छलकत पानी के धार मुश्किल से पांच कोरी के आबादी ऊहा खपरा के छानी अवु माटी के भीथिया के घर चिमनी के अंजोर माटी के चूल्हा परछी म जाता ढेकी बाहना के छितका कुरिया टीमीर टिमीर करत दिया के अंजोर म गोरसी तापत पुस के जाड़ म
एक झन बबा बईथे राहय गाल म झुर्री माथा म सिकुड़न आंखी म धुंधला पन उमर करीब साढ़े तीन कोरी बछर ले उपर होगे रहिस उमर के हिसाब ले सहारा बर तीन फुट के गोटानी गांव भर के लोगन प्यार से गोटानी वाले बबा काहय गोटानी वाले बबा गांव के लोगन के दुख सुख हमेशा साथी रहीस
बबा गांव भर के आदमी के हालचाल पुछय गांव म कोनो ल जर बुखार आवय गाय गरुवा बीमार परय त बबा
देशी जड़ी बुटी म ठीक कर दय बबा के सेवा भाव ल देख के गांव आऊ आस पास के गांव के लोगन बुला लेगय फेर ओ पीपरहा गांव म कोनो पढ़े लिखे नही रहीस जेकर पीरा बबा
ला होवय एक दिन बबा पीपर छाव म उदास बैठे राहय खेत कोती ल मंगलू ह बैला ल धरके आवत राहय मंगलू के नजर बबा उपर पड़ जा थे तीर मा जाके मंगलू पूछथे कैसे बबा आज मुरझुराये कस उदास बैठे हच बबा कहीथे का बतावव मंगलू तुहर मनके जिंदगी हकर हकर खेती किसानी के कमई म बितत हावय हमर गांव के लइका मन के जिंदगी कैसे सुधरही
मंगलू अकबकागे में बबा एकर रस्ता तहि बता बबा गोटानी ल धरके बबा गुड़ी म जाके बैठ जाथे गांव के सब लोगन ल लइका मन के पढ़ई के बारे म बताथे फेर गांव म स्कूल नहीं हे बबा कैसे करबो बबा कही थे चिंता मत करव परोसी गांव म स्कूल हे कल सब झन अपन अपन लईका ल मोर संग मा
भेजिहव सब गोटानी वाले बबा के बात सब मान ले थे बबा दुसर दिन गांव के सब लइका ला परोसी गांव के स्कूल मा दाखिला करा दे थे आज बबा के प्रेरणा से पढ़े लइका मन कतको साहब सूबा बनके अपन सुख के जिंदगी जियत हे धन्य हे ओ गोटानी वाले बबा ईही मा हमर विकास हे पढ़ई के रस्ता ही हमर ज़िंदगी म अंजोर ला सकथे आज न ओ गोटानी वाले बबा न पीपर के छांव
सुरता सियान मन के अमर हे l
दार भात चूर गय मोर किस्सा पुर गय l
मोहन लाल निर्दोष
८३१९५८९३२५
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