8 अक्टूबर सुरता//
छत्तीसगढ़ी अउ गुजराती भाखा के ऐतिहासिक संगोष्ठी...
अक्टूबर महीना के लगत ले चम्मास के बादर पानी थोर कमतिया जाए रथे. साहित्यिक सांस्कृतिक कार्यक्रम मन के दिन बादर भरदियाये ले धर लेथे. चारों मुड़ा आयोजन अउ बलउवा के नेवता मिले लगथे.
ठउका सन् 2017 म अक्टूबर के लगतीच पं. रविशंकर वि. वि. के कुलपति डा. केशरी लाल वर्मा जी के फोन बड़े बिहंचे आगे. मोर फोन ल उठातेच उन कहिन- 'ओहो.. तोला फोन लगा लगा के हलाकान होगे हंव. दू दिन होगे, सोच डरे रेहेंव अब फोन नइ लगही, त यूनिवर्सिटी ले एकाद झन लइका ल तोर घर भेजहूं कहिके, फेर येदे मोर साढ़ू विष्णु बघेल जगा ले तोर दुसरइया नंबर मिलिस त गोठबात हो पाइस'.
'आखिर का बात होगे सर'. मैं केशरी लाल जी ल कभू भैया कहि देथंव, त कभू सर घलो कहि लेथंव. उन कहिन- 'अहमदाबाद चलना हे, तोला कविता पाठ करना हे. चलबे नहीं?'
मैं कहेंव- ' हव चल तो देहूं, फेर मैं हिन्दी म कमतीच लिखथंव.' उन कहिन- 'हिन्दी नहीं, छत्तीसगढ़ी म पढ़ना हे.' मोला अकचकासी लागिस, के उहाँ गुजरात म छत्तीसगढ़ी कोन समझही कहिके.
त उन बताइन, 'अहमदाबाद म 8 अक्टूबर 2017 के संझा 4.30 बजे ले कवि दादूराम हवेली म 'गुजराती अउ छत्तीसगढ़ी भाषा के संगोष्ठी' हे, वोमा तोला कविता पाठ करना हे, मैं तोर नाम ल लिखवादे हंव. आज सांझ कन भारत सरकार के साहित्य अकादमी के मुंबई कार्यालय ले तोर करा फोन आही, उन तोला कार्यक्रम म भाग ले के बारे म पूछहीं त हव कहि देबे.'
मैं हव भैया कहिके फोन रख देंव. थोरके बेर म फेर उंकर फोन आइस, अउ मोला बताइन के '7 अक्टूबर के संझा 4 बजे के हवाई जहाज ले निकलना हे. मैं तोर टिकिट बुक करवा देथंव, माना एयरपोर्ट 3.30 तक पहुँच जाबे, अउ अपन पहचान पत्र आदि धर लेबे. वोकर बिना एयरपोर्ट म खुसरन नइ देवंय.'
मैं संझा मुंबई ले अवइया फोन के अगोरा करत रेहेंव, तेकर पहिली देवरघटा जांजगीर वाले साहित्यकार रामनाथ साहू के फोन आगे. मोला कहिस- 'भाई जी 7 तारीख के दू अढ़ाई बजे तक मैं रायपुर के घड़ी चौक पहुँच जहूं, तहांले उहाँ ले दूनों झन माना एयरपोर्ट चल देबो.'
मैं वोला पूछेव- 'अच्छा तहूं मन जाहू का?' मोला कोन-कोन जाही, का-का कार्यक्रम होही तेकर विस्तृत जानकारी नइ रिहिसे. त उन बताइन के छत्तीसगढ़ ले पांच झन जाबोन. तैं (सुशील भोले) अउ मीर अली कविता पाठ करहू, मैं (रामनाथ साहू) अउ परदेशी राम वर्मा कहानी पाठ करबोन अउ डाक्टर साहब (डॉ. केशरी लाल वर्मा) छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य उपर अपन व्याख्यान दिहीं.'
उहिच दिन संझा साहित्य अकादमी कार्यालय मुंबई ले घलो फोन आइस. केशरी लाल जी के कहे मुताबिक मैं उनला अहमदाबाद जाए के स्वीकृति दे दिएंव. बाद म डा. परदेशी राम वर्मा अउ मीर अली मीर संग घलो फोन म मुंहाचाही होइस. सबो झन मोला ए ऐतिहासिक कार्यक्रम के समाचार ल रायपुर के अखबार मन म छपवाए के जिम्मेदारी ल सौंप देइन. तैं पत्रकार घलो अस तेकर सेती समाचार के उदिम ल तहीं करबे कहिके. ए बीच कार्यक्रम के विस्तृत जानकारी अउ निमंत्रण पत्र घलोक आगे, वोकर आते जम्मो पेपर अउ सोशलमीडिया म एकर सोर बगरगे. पूरा छत्तीसगढ़ के साहित्य जगत म एकर चर्चा होए लागिस. काबर ते अइसन पहिली बेर होवत रिहिसे, के छत्तीसगढ़ी भाषा ल केन्द्र सरकार के कोनो संस्था ह अपन राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम म शामिल करत रिहिसे. राज्य सरकार के संस्था मन तो पूरा राज्य भर म कतकों कार्यक्रम करत रहिथें, फेर केन्द्र ह अइसन नइ करत रिहिसे, काबर ते केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक छत्तीसगढ़ी ल भाषा के आठवीं अनुसूची म शामिल कर के विधिवत भाषा के दर्जा नइ दिए गे हे. एकरे सेती ए आयोजन के चारों मुड़ा सोर मचगे. लोगन के बधाई देवई म फोन सरलग घनघनाए लगिस.
7 अक्टूबर के मुंदरहा ले मैं उठ गेंव. वइसे ये आदत मैं साधना म रेहेंव तब ले परगे हे. 4 बजे उठना कसरत अउ योग करना, तहाँ ले नहा धो के पूजापाठ म रम जाना. बिहंचे ले रामनाथ साहू के फोन आगे. फेर मोला सुरता देवाइस. घड़ी चौक म दू अढ़ई बजे तक पहुंची जाहूं कहिके. परदेशी राम वर्मा, मीर अली मीर अउ डा. केशरी लाल जी चार बजे तक अपन अपन साधन लेके पहुँच जाबो कहिके बता दिए रिहिन.
हमन रामनाथ जी दूनो 3.30 तक माना एयरपोर्ट पहुँच गेन. थोर थोर बेरा म बांचे तीनों साहित्यकार मन घलो पहुँचगें. 4 बजे सबो झन अपन-अपन परिचय पत्र देखा के एयरपोर्ट के भीतर चल देन. उहाँ गेन त पता चलिस के हवाई जहाज तो दू घंटा देरी से जाही. इहू पता चलिस के जहाज ह रायपुर ले सीधा अहमदाबाद नइ जावय. पहिली रायपुर ले मुंबई जाबो फेर उहाँ ले जहाज बदल के अहमदाबाद जाबो.
जहाज के देरी होवई ह अउ थोर बेरा बाढ़गे. 7 बजे रायपुर ले चलिस, जेन ह डेढ़ घंटा के उड़ान म मुंबई पहुंचिस. मुंबई के एयरपोर्ट ह अंतर्राष्ट्रीय आय, तेकर सेती भारी लंबा चौड़ा हे. हमन ल रायपुर ले चले जहाज ले उतर के अहमदाबाद जवइया जहाज तक पहुंचे म अबड़ रेंगे बर लागिस. मुंबई ले अहमदाबाद के सफर 55 मिनट म पूरा होगे. रात करीब 11 बजे हमन अहमदाबाद पहुंचेन. उहाँ के एयरपोर्ट ले हमन ल सीधा एक ठन होटल म लेगे गेइस. उहाँ हमन कविता पाठ वाले मनला एक कुरिया म अउ कहानी पाठ वाले मनला एक कुरिया म अउ केशरी लाल जी ल एक अलग कुरिया म सुरताए खातिर ठउर दे गइस.
बिहनिया 8 अक्टूबर के नहा धो के चाय नाश्ता खातिर होटल के खाल्हे म आएन. उहाँ पहिली ले बइठे तीन चार झन लोगन ल छत्तीसगढ़ी म गोठियावत सुन के उंकर मन के बारे म जाने के मन होइस, त मैं पूछ परेंव. वोमन बताइन के दुरुग क्षेत्र के रहइया आयं, पंडवानी गायिका तीजनबाई संग आए हें. उंकरे संग बाजा रूंजी बजाथें. अभी बीते रतिहा म उहाँ आयोजित व्यापार मेला म तीजनबाई के कार्यक्रम रिहिसे.
छत्तीसगढ़ ले बाहिर कोनो छत्तीसगढ़िया संग भेंट हो जथे, त घर के सगा बरोबर गजब निक लागथे. हमन पांचो पांडव (साहित्यकार) नाश्ता करत करत गोठियावत रेहेंन, के हमर कार्यक्रम तो सांझ के 4.30 बजे ले हे, तब तक का करे जाय? केशरी लाल जी सलाह देइन के लगे हाथ महात्मा गाँधी जी के कर्मभूमि साबरमती आश्रम के दर्शन कर लिए जाय. सबो झन राजी होगेन, अउ जल्दी जल्दी तइयार हो के साबरमती आश्रम चल दिएन. उहों एक झन छत्तीसगढ़िया हमर मन तीर आ के संघरगे. हमन ल छत्तीसगढ़ी म गोठियावत सुनीस त हमन ल साबरमती आश्रम के निकलत ले छोड़बे नइ करीस. हमन बताएन आज संझा हमर मन के साहित्यिक कार्यक्रम हे, संग म चल, त वो ह अभी सांझ के मोर लहुटे के रिजर्वेशन हे कहिके चल दिस.
साबरमती आश्रम के दर्शन कर के आए के बाद होटल म मंझनिया खाना खाएन अउ अपन अपन कुरिया म आराम करेन. संझौती तीन बजे उठेन तहाँ ले चाय नाश्ता के बाद 4 बजे कार्यक्रम स्थल कवि दादूराम हवेली पहुँच गेन. उहाँ साहित्य अकादमी के अधिकारी मन जेन मुंबई ले आए रिहिन हें, हमन के परिचय गुजराती साहित्यकार मन ले कराइन, जेन उहाँ प्रतिभागी बनके अउ कार्यक्रम सुने खातिर घलो जुरियाए रिहिन हें.
कार्यक्रम अपन गरिमा अउ उद्देश्य ल पूरा करत संपन्न होइस. मुंबई ले पहुंचे साहित्य अकादमी के अधिकारी मन छत्तीसगढ़ ले गे हम पांचों झन के प्रस्तुति ले बहुत प्रभावित होइन. आगू अउ अइसन आयोजन म संघारे खातिर हमन के संपर्क नंबर लेइन.
संगोष्ठी कार्यक्रम ले लहुटत अउ खा पी के सूतत रतिहा के 11-12 बजगे. फेर बिहनिया उठेन नित्य कर्म के पाछू चाय नाश्ता, तहाँ ले रायपुर लहुटे के तैयारी. अहमदाबाद ले मुंबई के उड़ान अउ फेर मुंबई ले रायपुर के उड़ान. 9 अक्टूबर के रतिहा अपन अपन घर पहुँच के थिराएन. ए साहित्यिक हवाई उड़ान यात्रा सदा दिन सुरता म रइही. ए सेती नहीं के हवाई जहाज म गेन, ए सेती के छत्तीसगढ़ ले बाहिर पहिली बार भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम म शामिल होए के सौभाग्य मिलिस.
(संस्मरण संग्रह "सुरता के संसार" ले साभार)
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो./व्हा. 9826992811
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