सोन चिरई
चन्द्रहास साहू
मो 812578897
झटकुन उठिस-भिनसरहा मोटियारी बिमला हा। घर दुवार ला लीप बहार के कोठी डोली मा पूजा पाठ करिस। गाय के घुम्मर घाटी के आरो पूजा के घंटी के आरो संग मिंझरगे। ...अब्बड़ सुघ्घर लागत हाबे। बछरू गाय के थन ला चपर-चपर चिथत हाबे।चिरई-चिरगुन घला उठ के अगास ला नाप के लहुटत हाबे। छानी परवा मा बइठके हितावत-जुड़ावत हे।अगोरा करत हाबे वोकर नेवता के। कुकुर-बिलई मन घला पटइल पारा ला लाँघन किंजर डारिस अउ गरीब मन के खाल्हे पारा मा आगे।
"कुई...कुई... !''
नान्हे पूछी वाला बड़वा कुकुर बुताये भुर्री के राख मा घोंडिस अउ ससन भर अटियाके वोकर मोहाटी मा दतगे। खर सुभाव के जादा चुन्दी वाला झबलु कुकुर, हबराहा भूकत-भूकत आवत हाबे। शांत सुभाव के सिधवा हा कुनमुनावत हाबे। अऊ
म्याऊ.... म्याऊ करत लइकोरी करिया बिलई माता घला आरो देवत हे। दुधभात खवइया सादा बरन के चलवंतीन चिकनू बिलई घला अब आगे रिहिस नेवता पाके। अउ...... कौवा काकी,सुंदरी पड़की-परेवना,मिट्ठू बहिनी घला परवा मा बइठे हाबे। अब तो जम्मो जीव जिनावर सकेलागे। उत्ती के लाली गोला घला टंगागे हाबे जुगुर- बुगुर करत। अब मोहाटी के कपाट बाजिस अउ मोटियारी बिमला निकलिस जय बोलावत पैलगी करत।
"आओ ठाकुर बिराजो हो....।''
"सलिकग्राम तुलसी महतारी जगन्नाथ बिलई माता डोंगरगढ़ के बमलई दंतेवाड़ा के दंतेसरी शीतला दाई महाबीर अउ भैरो बाबा संग सतबहिनी मन जम्मो आवव हो....!''
एक्के सांस मा कहि डारिस। अवइया-जवइया ला रामभजन करत जम्मो देवी-देवता ला सुमरन कर डारिस मोटियारी बिमला हा।
सूपा मा चाँउर, कनकी अउ बटकी मा रोटी भात परोस के अंगना मा ओरी-पारी जम्मो जीव-जिनावर ला छप्पन भोग करावत हाबे बिमला हा।
"ये कुकर बिलई चिरई चिरगुन ला रोज काबर रोटी दाना खवाथस वो बिमला बहुरिया।''
गाँव के सियान आवय।
"जादा बुता नइ राहय तब का करही ? टाइमपास करत हाबे बिमला भौजी हा। चार दाना मा का भरही पेट हा खोरकिंजरा जीव जिनावर के।''
कोटवार आवय अटियावत किहिस।
"भलुक हाथी के पेट सोहारी मा नइ भरे फेर सोहारी देके तो देख ...! कतका उछाह मिलथे बिन मुँहू के जिनावर ला दाना पानी देये मा। तुमन का जानहु पर के बाँटा ला खवइया मन।''
कोटवार के मुँहू मा तारा लग गे ।
बिमला घला काबर कमती रही। सोज्झे जोत दिस।
कोटवार हा अब सुटुर-सुटुर सरकारी अमृत दुकान कोती रेंग दिस।
"रायपुर मा तो कौवा घला नइ मिले दीदी। जम्मो नंदागे हाबे चिरई चिरगुन मन। पितर पाख मा अब्बड़ परेशानी जो जाथे। एक झन ठेलावाला आथे पिंजरा मा कौवा मन ला धरके सौ रुपया फीस लेथे तब दरसन करन देथे। कॉलोनी के जम्मो कोई तर्पण के बरा सोहारी ला खवाथे कौवा ला, फीस देके। तेंहा जीव जिनावर बर सुघ्घर बुता करत हस दीदी।''
रायपुर मा रहवइया गाँव के बहुरिया आवय मोटियारी हा बिमला ला किहिस उछाह मनावत। बिमला ला घला अब्बड़ सुघ्घर लागथे फेर ये मोटियारी के गोठ मा जब्बर संसो हो जाथे। गाँव मा तो अभिन जम्मो मिलत हाबे फेर आगू कोन जन ? संख्या तो इँहा घला कमती होगे हाबे चिरई-चिरगुन के। तही जान तिरलोकीनाथ बिमला हाथ जोरत किहिस।
मुनु बिलई मन भात खावत हाबे। कुकुर मन रोटी, चिरई चिरगुन मन दाना चुगत हाबे। खुसरा चिरई कौवा बाम्हन चिरई परवा मा फुदकत हाबे। ..….अहा... कतका सुघ्घर लागत हाबे आज बिमला के अंगना हा। रोजीना अइसने लागथे फेर आज तो मन अब्बड़ गमकत हाबे बिमला के। आँखी के तारा अवइया हाबे रायपुर ले, छोटी अवइया हाबे। सपना पूरा करके आवत हाबे बेटी गीता हा। मन गमकत हाबे जम्मो ला सुरता करत। उतरत-चढ़त हाबे सुरता के गहीर ताल-तरिया मा।
भलुक मुड़ी हा लुगरा के अछरा मा तोपाये रिहिस फेर मन मंजूर अउ अंतस हिरना बनगे रिहिस बिमला के जब पहिली बेरा ये गॉंव मा आइस तब। गोड़ मा माहुर मरवाभर चुरी नरी मा रुपिया माला। घात सुघ्घर लागत हाबे।तितली बनके उड़ावत हाबे अंगना मा नेवरनिन बहुरिया बिमला हा। महुआ झरे कस हाँसी, मंदरस कस बोली अउ सुघ्घर बेवहार ...। सास ससुर गोसइया जम्मो के मन मोह डारिस बिमला हा। गोसइया घला बिमला के जम्मो साध ला पूरा करत हाबे। मया अउ उछाह के धार बोहावत हाबे। फेर.....? बिमला भलुक कतको उछाह हो जावय ? रंदियहा घांव बरोबर अब्बड़ पिराथे अंतस हा बेरा-बेरा मा।
"ददा शिक्षा के अंजोर ले ही जीवन मा उजियारा होही। मोला पढ़न दे। अभिन ले मोर बिहाव झन कर ददा।''
बिहाव के आगू बिमला हा अइसना तो कहे रिहिन ददा ला । उदुप ले सुरता आगे आज।
ददा भैरा होगे। अउ सुनिस तब ...? काय ले करत किहिस।
"बेटी जात के धरम तो घर गिरहस्थी सम्हाले के हरे टूरी। गोसइया ला सेवा जतन अउ सुख सुविधा देये के उदिम करबे। पांच एकड़ के जोतनदार एकलौता बेटा संग नत्ता जुड़त हाबे। मेंहा बचन हार गे हँव। मोर नाक ला झन कटावन देबे।''
ददा हफरत किहिस। छाती गरब मा फुलत रिहिस। बेटी का हरे .....? कोनो जिनिस। जेखर किस्मत के फैसला कर दिस बाप हा। बेटी गरीबी के मारे नइ पढ़ा सकव कहितिस तब सहि घला लेतिस बिमला हा फेर ददा तो बिन पूछे बचन दे डारे हाबे। का करही बिमला हा ...? ददा के गोठ ला मान लिस।
"कतको पढ़ लिख ले आगी बारे ला लागही। जेवन बनाये ला लागही। रंधनी कुरिया के शोभा बढ़ाबे तब खेत खार घर दुवार के बुता ला सीख जा।''
ददा फेर गरजिस। बिमला का करही बपरी हा, तरी-तरी रोये लागिस। कोन ला बताही अपन मन के गोठ। अभिन तो दसवीं पढ़े हाबे। जादा पढ़ लिख के मास्टर बने के सपना देखे बिमला हा फेर नारी के सपना कब पूरा होथे ...?
नारी के दुख ला कोन सुनथे ..? सुआ हा। हा सिरतोन तो आवय जब नारी के पीरा ला कोनो मइनखे नइ सुने तब आदि अनन्त ले सुवा ला तो सुनावत आवत हे नारी परानी हा-सुआ गीत ले। देवारी बर सुवा गीत गाके नाचके जम्मो कोई ला बताथे बिमला हा। तभिन के दुख अउ अभिन के पीरा वइसनेच हाबे। कुछु नइ बदले हे। गाके अपन दुख ला बता डारिस चिरई-चिरगुन ला बिमला हा। सुआ अउ डोकरी दाई दुनो कोई सुनिस बिमला के दुख ला। डोकरी दाई हा लइका बिमला ला पोटार के मना लेथे अउ सुआ हा अंगना मा चारा चर के मगन हो जाथे, बिमला के अंतस ला हर्षाये के उदिम करथे। डोकरी दाई के सीखोना सिरतोन अब्बड़ सुघ्घर लागथे अउ बिन नागा करे जम्मो जीव जिनावर ला दाना पानी देथे बिमला हा।
रतन नाव के जवनहा किसान संग बिहाव होगे बिमला के। मया के डुहरू धरिस अउ फूल फुलगे बिमला के कोरा मा। गीता नाव के नोनी आइस ....सुघ्घर फुलकस कोंवर कोंवर हाथ-गोड़, नीला आँखी भूरी चुन्दी। बिमला अउ रतन के मन अघा जाथे। पोटार के चुम लेथे गीता ला, दुलारथे, मया करथे अब्बड़। "जम्मो सपना ला सपूरन करहु बेटी तोर ! डॉक्टर बनबे .....डॉक्टर।''
लइका ला दुलारत बिमला किरिया खा डारिस।
तेल फूल मा लइका बाढ़थे अउ खातू कचरा मा धान। रतन अब्बड़ जतन करथे खेती-खार के अउ बिमला हा खेती के संग गीता के। बाढ़त हाबे गीता हा।
राज हठ तिरिया हठ मा भलुक हाँसी ठिठोली नइ होवय फेर बाल हठ मा अब्बड़ उछाह होथे दाई ददा हा। इही तो बाल लीला आवय। चार बच्छर के गीता घला आज बाल हठ करत हाबे।
"दाई बेंदरा के पिला ला पाहु।''
"नही बेटी !''
अब्बड़ हाँसत-हाँसत बरजिस गीता ला। आज बखरी कोती के जाम रुख मा बेंदरा मन आये रिहिन माई-पिला। बखरी-बारी के साग भाजी अउ जाम के बेंदरा बिनास करत हाबे जम्मो बेंदरा मन।
"ऐती झन आ बेटी !''
बिमला हा लइका गीता ला बरजिस अउ बेंदरा मन ला खेदारे लागिस फेर गीता तो उतबिरिस हाबे। आगू-आगू मा आवत हाबे अउ उही होगे जौन नइ होना रिहिस। बेन्दरी हा लइका गीता ला पोटार के दुलार करत हाबे। बिमला के हाथ गोड़ जुड़ागे। घर मा कोनो नइ हाबे। गीता के ददा घला नइ हाबे। हनुमानजी जी ला सुमरन करके मांगिस अपन लइका ला बिमला हा फेर .. बेन्दरी हा तो पदनी पाद पदोवत हाबे। लइका ला मांगे के अब्बड़ उदिम करिस-खिसिया-के, डरवा के रो के बिनती करके फेर....?
"गीता मोर बेटी ...!''
बेन्दरी तो अब जाम रुख के खाँधा मा बइठगे। गाँव के आने मइनखे घला सकेलागे अब। डरवाये मा नही भलुक मया के भाखा अउ खाये के लालच मा मानिस बेन्दरी हा। बिमला के जी जुड़ाइस अपन लइका गीता ला पोटार के बम्फाड़ के रो डारिस अब। बिमला तब ले गीता के संग नइ छोड़े। लइका स्कूल जाए के तैयारी करत हाबे।
"दाई स्कूल मा फीस जमा करहु, पइसा दे।''
"हव बेटी ! धान हा सोनहा बाली बनके ठाड़े हाबे बेटी। पन्दरा दिन दम धरे ला कहिबे तोर मास्टर ला ताहन जम्मो फीस ला पटा देबोन।''
बारवी पढ़इया गीता ला तो कहि दिस फेर संसो बाढ़गे। किसान के हाथ मा पइसा आना अतका सरल हाबे का...? अभिन तो अगिन परीक्षा बाचे हाबे जम्मो किसान के। पाकत धान ला घला माहू किरा बीमारी चुहक डारिस। जम्मो धान पैरा बनगे। ....अउ जतका हाथ मा आइस तौन तो दवई पानी कोचिया के पुरती होगे। ददा मुड़ी धरके बइठगे। बिमला थोथना ला ओरमा दिस-असल मिहनत के मुठा भर दाम पाके।
"किसान के भाग मा अतका गरीबी काबर होथे दाई !''
बिमला कलेचुप रिहिस लइका गीता के प्रश्न ला सुनके। ये प्रश्न के जवाब तो तिरलोकीनाथ करा घला नइ होही-यक्षप्रश्न। जम्मो दाई-ददा इही तो सपना देखथे लइका बने पढ़े लिखे अउ डॉक्टर इंजीनियर मास्टर बनके समाज के सेवा करे। इही सपना तो बिमला के घला रिहिन। फेर...?
"दाई मेंहा कृषि पाठ्यक्रम के पढ़ाई करहु अउ सुघ्घर किसान बनहु।''
बेटी के गोठ सुनके बिमला के मुँहू करू होगे। ददा रतन घला बमियागे आज।
"देख दाई-ददा हो ! किसान के लइका हा किसानी बर नइ पढ़हीं तब कोन पढ़हीं ? डॉक्टर के लइका डॉक्टरी पढ़ के डॉक्टर बन जाथे,इंजीनियर के लइका इंजीनियर, अधिकारी के लइका अधिकारी तब किसान के लइका पढ़-लिख के किसान काबर नइ बनही।''
"बेटी गीता ! किसानी बुता मा अब्बड़ जांगर टूट जाथे बेटी। लांघन-भुखन,घाम पियास, बेरा-कुबेरा, घाम पानी बरसात अउ लद्दी मा गड़ के कमाये ला लागथे बेटी ! तब खेत लहलहाथे। तेंहा तो आरुग कोंवर हावस बेटी कइसे किसानी करबे। मोरो सपना रिहिस बेटी जुड़ मा बइठके बुता करे के कोनो मास्टर मुंशी बने के फेर ददा नइ पढ़ाइस। तेंहा पढ़ ससनभर। मेंहा पढ़ाहु तोला। डॉक्टर बन बेटी। अपन गहना जेवर बेचके पढ़ाहु फेर कृषि के पढ़ई झन कर।''
बिमला रो डारिस अपन बेटी ला समझावत।
"दाई ! किसान हा वैज्ञानिक विधि ले किसानी नइ करे वोकरे सेती जादा घाटा होथे वो । अउ प्राकृतिक आपदा ले घला बाचे जा सकथे। इही जम्मो ला सीखहुँ, पढहुँ लिखहुँ मेंहा।''
गीता समझाइस फेर दाई बिमला के आँखी मा आने सपना झूलत हाबे। गीता के संगी सहेली मन घला खिल्ली उड़ाइस। कुकुर भूँके हजार हाथी चले बज़ार। गीता जानथे अपन भविस ला।
"भोकवी झन बन गीता ! एग्रीकल्चर कोर्स करके अपन लाइफ खराब झन कर । डॉक्टर इंजीनियर बन, पीएससी के प्रिपरेशन कर कलेक्टर कमिश्नर बन । ये सब बनबे तब गाड़ी बंगला बैंक बैलेंस सब रही।''
सुहानी इतरावत किहिस।
"कुछु बन जा बहिनी ! खाये बर चाँउर तो किसान घर ले आही। किसान नइ रही तब डॉक्टर इंजीनियर कलेक्टर कमिश्नर कहाँ ले जेवन करही ? ठेंगवा ला चाटत रही।''
गीता रट्ट ले किहिस अउ जगदलपुर के बस मा बइठ के एग्रीकल्चर कॉलेज मा एडमिशन होये बर जावत हाबे।
दू जोड़ी सलवार सूट जुन्ना साइकिल काबा भर किताब अउ मुठा भर टिकली फुँदरी-अतकी तो जिनिस आवय गीता के। कुटुमसर गुफा ला देखिस। पहाड़ी मैना ला दुलारिस मंजूर संग नाचीस। बस्तर के संस्कृति ला जानिस।जोत जवारा बोके माई करसा ला बोहिस। इंद्रावती के कोरा मा नहाइस आदिवासी मन संग गोठिया लिस किसानी सिखिस अउ सीखोइस घला। सिरतोन कतका सुघ्घर बितगे चार बच्छर हा।
"दाई ! एमएससी एग्रीकल्चर करहु !''
दाई हुंकारु दिस अउ गीता हा रायपुर एग्रीकल्चर कॉलेज के कीट विज्ञान विभाग में भर्ती होगे।
भलुक कतको पंदोली देथे सरकार हा बेटी मन ला पढ़ाये बर फेर लइका ला पढ़ावत जांगर थक जाथे दाई-ददा के।... कभु-कभु तो दाई के गहना जेवर के बलि ले लेथे। बिमला हा अइठी करधन बेचिस तब डिग्री मिलिस गीता ला।
"दाई मेंहा डॉक्टर बनहु पीएचडी करहुँ।''
गीता एक बेर अपन सपना ला अउ बताइस दाई बिमला ला। बिमला के सपना अब मिंझरगे गीता के सपना के संग।
"बेटी ! सिरतोन डॉक्टर बनबे तेंहा ?''
"हँव दाई ! खेती किसानी के डॉक्टर।''
बिमला गमकत रिहिस अउ गीता मुचकावत किहिस। अउ ददा.....?
"ददा तो पोटार डारिस दुलौरिन बेटी गीता ला।
दाई ! रिसर्च बर ऐति-ओती अब्बड़ दउड़ भाग करे ला परथे कभु लेब मा तब कभु फील्ड मा अब्बड़ किंजरे ला लागथे किरा धरे बर कभु बीमारी खोजे बर। बिल्डिंग- बिल्डिंग जाये-आय ला परथे। अब्बड़ थक जाथो वो। तभो ले मन उछाह हो जाथे साढ़े सात सौ हैक्टेयर में बगरे सुघ्घर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ला देख के।''
दाई के कोरा मा सूतत बतावत रिहिस गीता हा। आज छुट्टी मा आये रिहिस गीता हा गाँव। दाई हूंकारु दिस अउ ददा गुनत रिहिस।
बड़की बेटी तो अपन साध पूरा करवाये बर अब्बड़ बिटोइस फेर गीता ...? भलुक दू जोड़ी सलवार मा चार बच्छर ला बिता दिस। कतको पीरा ला सहिस फेर एक टिपका कहि नइ किहिस। तोर बर कुछु करहुँ मोर मयारू बेटी। ददा गुनत-गुनत स्कूटी के शोरूम में गिस अउ क़िस्त मा नवा स्कूटी बिसा लिस।
"बेटी तोर सुंदरी ला देख कइसे लागत हाबे।''
बिमला आरती उतारके स्वागत करिस अउ गीता तो अचरज मा परगे। भलुक जुन्ना सेकंड हैंड स्कूटी के कभु-कभु साध राखे फेर नवा स्कूटी ला तो सपना मा नइ गुने रिहिस गीता हा। गीता पाँव परिस दाई-ददा के अउ आसीस लिस। निहारे लागिस गोंदा फूल के माला पहिरावत अपन सुंदरी नाव के स्कूटी ला।सिरतोन सादा रंग के स्कूटी अउ ददा के चेहरा मा बोहावत पसीना दुनो आज सुघ्घर लागत हाबे।
"दाई ! ये दाई वो !''
मोहाटी मा सुंदरी के टी .....टी... अउ गीता के आरो संघरा सुनाइस। बिमला कनकी चाँउर निमारत-सिल्होवत रिहिस बिहनिया के चिरई चिरगुन बर। गीता मुचकावत आइस अउ दाई बिमला के पैलगी करके पोटारत किहिस।
"दाई ! मोर पीएचडी पूरा होगे अब डॉक्टर गीता के नाव ले जानही तोर बेटी ला सरी दुनिया हा।
"हव मोर दुलौरिन...!''
बिमला के आँखी कइच्चा होगे।
"मेंहा जगदलपुर के एग्रीकल्चर कॉलेज मा प्रोफेसर बनगेंव। अब लइका मन ला पढ़ाहू अउ किसान मन बर रिसर्च करहु। सिरतोन दाई अब लागत कमती अउ मुनाफा जादा होही खेती मा।''
"सिरतोन बेटी आज तेहां सोनचिरई बनके अगास ला नाप डारेस वो!''
बिमला तीनो लोक ला सुमिरन कर डारिस। ददा रतन घला खेत ले लहुटगे अउ नरिहर भेला धर के शीतला मंदिर कोती चल दिस। सिरतोन सबके मन गमकत हाबे उछाह मा, मगन हे आज।
"आ वो दीदी पड़की परेवना ..!''
"आ वो कौवा काकी .....!''
"आ रे झबलु ....!''
"आ रे मुनु बिलई ....!''
"आ ओ गइया मइयां !''
बिहनियां ले अब बिमला अउ गीता दुनो पीढ़ी अब जम्मो जिनावर बर चारा दाना देवत हाबे। उछाह के गोठ ला बतावत हाबे पड़की परेवना अउ सुआ ला।
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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया
आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी
जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़
पिन 493773
मो. क्र. 8120578897
Email ID csahu812@gmail.com
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