*// बात-बात म बात बाढ़ै,रे कहत तकरार //*
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(लघु नाटक)
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गांव के ठाकुर झग्गर सिंह ह अपन नौकर सुखरू ल बुलाए बर मिसकाल करीस |
मिसकाल ल सुन के, कालर के नाम ल पढ़ के सुखरू के गुस्सा भड़क गे !
*सुखरू*- (थोकुन सोच के मने-मन बुदबुदाईस) - देखत हस ये गौटिया ल एक मिनट फोन करे के औकात नइ हे ! मिसकाल करत हे ! वो जब तक फूल काल नइ करही,तब तक ओकर नं. म बात करबेच नइ करौं |
*झग्गर सिंह*- दुबारा,तिबारा कई बार मिसकाल करीस, तभो ले सुखरू ह अपन मालिक झग्गर सिंह के काल ल देख के चुपचाप मोबाईल ल मढ़ा देवत रहिस अउ झग्गर सिंह ल हर बार गारी देवय- स्साले गौटिया के एक मिनट फोन म बात करे के औकात नइ हे ! धिक्कार हे ओला, बड़का गौटिया कहाथे अउ हमर संग फोन म एक मिनट बात नइ करे सकै ! वो जब तक फूल कालिंग नइ करही, ओकर फोन अटेंड करबेच नइ करौं |
( झग्गर सिंह एक बार फूल कालिंग करीस)
*झग्गर सिंह*- कस रे सुखरू मोर फोन ल काबर नइ उठावस ?
*सुखरू*- मुझे क्या पता , यह फोन किसका है ?
*झग्गर सिंह*- मोर नंबर सेव नइ करे हस का रे ?
*सुखरू*- नंबर सेव किया हूं फिर भी किसी का मिस काल मैं उठाता, समझे !
*झग्गर सिंह*- कस रे,मोरो मिस काल नइ उठावस रे ?
*सुखरू*- नहीं, मैं किसी का मिस कॉल नहीं उठाता समझ गए |
आजकल अनलिमिटेड कॉल एवं अनलिमिटेड मैसेज हर कंपनी देती हैं, फिर भी आप मिस कॉल करते हैं ! क्या यह आपको शोभा देती है ?
*झग्गर सिंह*- अरे बद्तमीज, अपन मालिक संग अईसने बात करना चाही का रे ?
*सुखरू*- मुझे रे, अरे मत बोलिए | मैं नौकर हूं तो बिना काम किए मजदूरी नई देते, मेहनत के बदले मजदूरी देते हैं समझे |
*झग्गर सिंह*- *अबे ! स्साले "चींटी के भी पर निकल आए हैं !'*
*सुखरू*- देखिए मुझे रे बे से बातें मत कीजिए अन्यथा मुझे भी रे बे कहना आता है |
वो जमाना चला गया जब मालगुजारी गौंटी शासन और ठाकुर गिरी का जमाना था | अब तो हम सब नौकर भी पढ़े लिखे हैं एवं प्रजातंत्र है, अब कोई मालिक किसी को रे बे कहेगा तो हम नहीं सुनेंगे बता देते हैं !
*झग्गर सिंह*- स्साले बदतमीजी करते हो ! कल से तुम्हारी नौकरी बंद !
*सुखरू*- ठीक है, केवल तुम्हीं बस नहीं हो इस दुनिया में ! हमारे मेहनत से हम कहीं भी अपना रोज रोटी कमा सकते हैं | मैं जितना दिन काम किया हूं उसका हिसाब कर देना और मेरा मजदूरी तत्काल दे देना समझ गए !
*झग्गर सिंह*- तुम्हारा क्या मजदूरी दूंगा साले, तुम बहसबाजी करते हो और बीच में काम छोड़ना चाहते हो, इसलिए तुम्हारा कोई हिसाब नहीं करूंगा न ही तुम्हें कोई मजदूरी दूंगा समझे |
*सुखरू* मेरे मेहनत का मजदूरी तुम तो क्या तुम्हारे बाप को भी देना पड़ेगा | लेबर कोर्ट एवं मानव अधिकार आयोग में आवेदन देकर मैं अपना मेहनताना लेकर रहूंगा समझ गए |
*झग्गर सिंह*- मोला लेबर कोर्ट अउ मानव अधिकार आयोग के धमकी देवत हस स्साले ! "जल मे रहकर मगर से बैर ! इतना जूता लगाऊंगा, तुम्हारी सब हेकड़ी बंद हो जायेगी !" गांव ,समाज, पौनी पसारी सब बंद कर दूंगा | स्साले बहुंत हेकड़ी करते हो !
*सुखरू*- ए गौंटिया,बार-बार रे ! बे ! स्साले मत कहो स्साले, फोकट मैं मजदूरी नहीं देते, अरे तुम नहीं तो किसी और के यहां नौकरी कर लेंगे स्साले गाली देते हो ! फोन में फूल कॉलिंग तो कर नहीं सकते और गाली देने के लिए फोन करते हो साले कहीं के |
*झग्गर सिंह*- आता हूं साले, तुम्हें सबके सामने जूते मारूंगा | देखता हूं मेरा क्या कर लोगे ?
*सुखरू*- आ जाओ, मैं भी देखता हूं ,मेरा क्या कर लोगे ?
*झग्गर सिंह*- हां, आता हूं-आता हूं , तुम्हें जूते भी मारूंगा और गांव से बेदखल भी कर दूंगा, समझे स्साले कहीं के !!!
*सुखरू* हां, आ जाओ,आ जाओ, मैं भी देखता हूं तुम्हारा कितना औकात है ? मुझे गांव-बस्ती, पौनी-पसारी से कैसे बेदखल कर सकते हो ? तुम्हें इतना भी होश नहीं है कि अब मालगुजारी गौंटी शासन एवं ठाकुरगिरी का जमाना नहीं है अब हम स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक हैं, हम मेहनत से देश भर में कहीं भी अपना जीविकोपार्जन कर सकते हैं बेवकूफ कहीं के | आ जाओ- आ जाओ,मेरा क्या कर सकते हो ? मिस कॉल करने वाले गौटिया-मालगुजार ......................................
(दिनांक -22.05.2023)
आपके अपनेच संगवारी
*गया प्रसाद साहू*
"रतनपुरिहा"
*मुकाम व पोस्ट करगीरोड कोटा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
मो.9165726696
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