Thursday, 8 June 2023

भाव पल्लवन--- जइसन बोंही,तइसन लूही


भाव पल्लवन---


जइसन बोंही,तइसन लूही

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जेन जइसन बोंही,तइसन लूही ये ला कर्म के अटल नियम कहे जाथे। इही बात ला "बोंए पेड़ बबूल के आम कहाँ से होय" तको कहे गे हे ।मतलब साफ हे के बम्हरी के पेड़ मा बम्हरीच फरही वोमा आमा नइ फरै। आमा चाही ता आमा के वृक्ष लगाये बर लागही,वोकर सेवा जतन करे बर परही। बुरा कर्म करे ले दुख अउ अच्छा कर्म करे ले सुख मिलथे। 

    कर्म के सिद्धांत या नियम ला सौ फिसदी वैज्ञानिक सिद्धांत माने जाथे। संसार मा जतका भी दार्शनिक विचारधारा हे वोमा चार्वाक ला छोड़के ,सबो के एही कहना हे। ये तो स्वयं सिद्ध हे के अच्छा कर्म के अच्छा अउ बुरा कर्म के बुरा फल आज नहीं ते कल मिलके रहिथे।

      कर्म के सिद्धांत  अबड़ कठोर होथे। ये मा कोनों अपवाद नइ होवय अउ कोनो ला छूट नइ मिलै।इहाँ माय-मौसी,भाई भतीजावाद तको रंच मात्र नइ चलै।मनखे चाहे गरीब होवय चाहे अमीर, चाहे अज्ञानी होवय चाहे ज्ञानी-- सब बर एके नियम।

    मनुष्य जीवन के सफलता-असफलता,मान-अपमान ,सुख-दुख सब इही करम उपर टिके रहिथे।जइसन करम होथे तइसने भाग बनथे अइसे माने जाथे। भले कभू-कभू ये देखे मा आथे के बुरा कर्म ,लूट-खसोट,भ्रष्टाचार करइया मन दिन दूना रात चौगुना तरक्की करत दिखथें फेर इँकर आखिरी परिणाम तो दुर्गति के रूप मा दिखिच के रइथे।

    ये कर्म के सिद्धांत हा विचित्र होथे। बुरा कर्म के फल भोगे ले, अच्छा कर्म करके नइ बाँचे जा सकै।बुरा कर्म होवय चाहे अच्छा कर्म होवय दूनों के फल अलग-अलग भोगेच ला परही। अँगरा ला धरे मा हाथ जरबे करही अउ पीरा होबे करही--फोरा परबे करही।हाँ बाद मा दवाई लगाके वो फोरा ला मिटाये जा सकथे।

     बिना कर्म करे कोनो मनखे एक सेकंड तको नइ रहे सकय।मनखे ला कर्म के फल ला चेत करत ,सोच-समझ के काम करना चाही। दया-मया,प्रेम, भाईचारा, इंसानियत बाँटे ले बदला मा एही सब खुद ला मिलही ये मा पक्का विश्वास रखना चाही काबर के एही सत्य ये।


चोवाराम वर्मा'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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