Thursday, 8 June 2023

नुनछुर पानी चन्द्रहास साहू

 नुनछुर पानी

      

                                  चन्द्रहास साहू

                                    मो 8120 578897 


गरमी के घरी अउ कोनो कोती जाय-आय के होगे तब.......? हाय राम दंदरासी लाग जाथे, अतकी ला गुन के। कोन जन सुरुज नारायेण  कतका घाम टेड़रही ते। ये बच्छर चौमासा मा पानी घला जादा नइ गिरे रिहिस।  जाड़ अब्बड़ कंपकपाइस वइसना गरमी हा घलो टघलावत हाबे। 

जवनहा दिलीप आज जगदलपुर ले रायपुर जाये बर ऑटो मा बइठे हाबे। ऑटो भागत हाबे वइसना मन घला दउड़त हाबे। 


ओलकी-कोलकी विकास के घोड़ा दउड़त हाबे कहिथे खुर्सी वाला मन। फेर मोर बस्तर ले रायपुर रेल लाइन नइ बनिस आज तक। ननपन ले जवनहा होगेंव सर्वे भर होवत हावय - बीसो परत ले सर्वे, घेरी-बेरी सर्वे फेर आगू कुछु नही। अउ .... बस वाला मन तो ताकत हाबे बिलई बरोबर। चिथो-चिथो करत हाबे। एक झन लइका अउ गाँव भर टोनही कस। एक झन यात्री अउ अब्बड़ अकन छेकइया।  गारी बखाना अउ मार पीट रोज के बुता आय। एक महाभारत ला जीतबे तब दुसर महाभारत के मुहतुर होथे।

"टिकिट डोकरा ...?''

कंडक्टर के आरो ला सुनके पन्दरा परत ले गुरमेटाये पाँच सौ के नोट निकालिस सलूखा के खीसा ले सियान हा अउ दिस। कंडक्टर बमियागे।

"पचास रुपिया के टिकट बर पाँच सौ निकालबे तब कहाँ के चिल्लहर दुहुँ। उतरे के पहिली ले लेबे टिकट के पाछु मा लिख दे हँव।''

कंडक्टर किहिस अउ आने के टिकट कांटे ला धर लिस। सियान बम्बाये कस ठाड़े रहिगे। बस के सीट भलुक जुच्छा हाबे फेर नइ बइठारे तीर- तखार के जवइया मन ला । दूधपिया लइका धरे महतारी होवय कि सियान-सामरत ठाड़े होके सफर करे ला परथे। अइसना तो नियम बनाये हाबे बस वाला मन।

        .....अउ सियान अपन गाँव भानपुरी मा उतरिस तब अब्बड़ बीख भाखा सुनिस। बीच मा दिलीप हा सियान के पक्ष ला लिस तब साढ़े चार सौ रुपिया ला लहुटाइस कंडेक्टर हा।

             पाछू दरी बस मा सफर करे रिहिन दिलीप हा। उदुप ले सुरता कर डारिस ऑटो मा बइठे-बइठे बस वाला मन के मइलाहा बेवहार ला।

                जगदलपुर के रानीसागर  पारा ले ऑटो मा बइठके बस स्टेशन जावत हाबे जवनहा दिलीप हा।  पाछु दरी तो किरिया खाये रिहिस दिलीप हा बस मा सफर नइ करो अइसे फेर आज तो जाये ला परही। जिनगी सिरजाये के सवाल हाबे। 

         बस स्टेशन के खिड़की मा मुड़ी ला खुसेरके कुछु गोठियाइस अउ ए.सी. बस मा सीट बुक करिस। चेहरा मा चुचवावत पसीना ला पोछिस अउ कोल्ड्रिंक बिसाके गड़गड़-गड़गड़ पी डारिस। चिल्ड पानी बॉटल बिसाके धरिस अउ ओरी-ओरी ठाड़े अपन बस मा चघगे।अपन सीट ला  पोगरा डारिस। पीठ मा लदाये बैग ला बगल के सीट मा मड़ाइस अउ  लोद ले बइठ गे। ससन भर जम्मो कोती ला देखिस। चकाचक करत बस - सुघ्घर मखमली परदा, गद्देदार सीट अउ रिकम-रिकम के मइनखे- वनवासी ले शहरिया तक, बइठे ले ठाड़े होवय जम्मो कोई ला देखिस। ए. सी. के नॉब ला अपन चेहरा कोती करिस अउ बिन संसो के बइठगे।

              ओसरी-पारी अवइया-जवइया मन आये लागिस अउ बस भरगे। कुम्हार पारा चौक मुरिया चौक दलपत सागर चौक जम्मो ला नाहकत अब जगदलपुर ले निकले लागिस बस हा। दिलीप  चतुरा आय सीट मा मड़ाये बैग ला नइ टारे रिहिस। भलुक एक  दू  झन टोंकीस तभो।

"पाछू डाहर देख न भइ !  कोनो सीट होही.....।'' 

दिलीप कनझना के किहिस। 

ओला अगोरा हावय सफर के संगवारी के। अब चेहरा चमके लागिस उदुप ले। होठ मा मुचमुची तौरत हाबे। मने मन गमकत हाबे। सुघ्घर बरन वाली मोटियारी बस मा चढ़िस। खब ले बैग ला सीट ले टार के कोरा मा मड़ा लिस। रूपसुन्दरी मुचकावत तीर मा आइस।  दिलीप के रंग गरब मा भरगे। कोनो जंग जीते के उछाह के रंग दिखत हाबे अब। बइठे के उदिम करिस रूप षोडशी हा। दिलीप के जी धक्क ले लागिस।

"मेडम ! ऐती आ तोर बर सीट पोगरा के राखे हव।''

दिलीप पीछू लहुटके देखिस। अउ मोटियारी अपन सहकर्मी के तीर मा जाके बइठगे। दिलीप के दिल टुटगे। कतका सपना देख डारिस छिन भर मा।          

ए.सी. के हवा  हाथ मा कोल्ड्रिंक  अउ बगल मा मोटियारी ........! मोटियारी संग गोठ-बात हाँसी ठट्ठा.... ।

                 सिरतोन अब साध पूरा होये बरोबर लागिस। अगियावत अंतस मा जुड़ पानी परे कस लागिस जब एक झन आने मोटियारी हा लसरंग ले आके बाजू के जुच्छा सीट मा बइठगे। स्कार्फ ला हेरिस अउ चंदा बरोबर दगदग ले उज्जर चेहरा के पसीना ला पोंछे लागिस। ममहावत लहरावत सिल्की चुन्दी दिलीप ला गुदगुदासी लागिस। आँखी मा काजर अंजाये कजरारी, चाकर माथ, नानकुन करिया टिकली चुटुक ले दिखत रिहिस। हाइट पर्सनालिटी सिरतोन हीरोइन कस। दिलीप कुछु गोठियाये के उदिम करिस फेर मुँहू के गोठ मुँहू मा रहिगे। 

"कहाँ जाबे तेहां। ?''

दिलीप अकबकागे। मोटियारी के गोठ ला सुनके। 

"र ....र ...रायपुर जावत हँव सीजी पीएससी मा इंटरव्यू हाबे मोर । अउ तेहां ?'' 

गरब मा किहिस दिलीप हा।

"मेहां कोण्डागांव जावत हँव। माइके गे रेहेंव। अब ससुराल जावत हँव। ड्यूटी जाये के हावय न ! बेरा मा अमरे ला लागही...!''

मन्दरस कस गुरतुर गोठियाइस मोटियारी हा दिलीप के गोठ सुनके। ससन भर एक बेरा अउ देखिस  दिलीप हा मोटियारी ला। कोनो कोती ले बर-बिहाव वाली नइ दिखत हाबे।

"ड्यूटी......? कोन जॉब करथस ?''

"आँगनबाड़ी केंद्र मा टीचर हँव। नान्हें लइका मन ला पढ़ाथो।''

मोटियारी गरब करत किहिस। दिलीप अरहजगे पानी पीयत रिहिस तब गोठ सुनके। एक बेर अउ देखिस ससन भर दिलीप हा मोटियारी ला।     

उदुप ले डोकरी दाई के सुरता आगे।

परोसी आँगनबाड़ी वाली मेडम ला बखानथे तब कहिथे- तीन हजार  के नौकरी अउ चार हजार के लुगरा। जादा फैशन झन कर। दिलीप अब मोटियारी के लुगरा के मोल-भाव करे लागिस मने मन मा। 

"कोण्डागांव......कोंडागांव !''

कंडेक्टर आरो करिस। अब्बड़ अकन उतरिस अब्बड़ अकन चघिस। मोटियारी  घला उतरगे।

 मोटियारी के उतरना अखरगे दिलीप ला। सूट ले कोंडागांव अमरगे गोठ-बात करत। अब कोन आही सीट मा दिलीप संसो करे लागिस।

                  एक झन सियान आइस अउ दिलीप के बगल के जुच्छा सीट मा बइठगे। भलुक सियान हा सावचेती ले बइठिस फेर दिलीप के उड़ावत गमछा चपकागे। गुर्री-गुर्री देखे लागिस सियान ला दिलीप हा। सियान डर्रागे। सियान के मइलाहा कुरता, मइलाहा पेंट, खाँध के अंगोछा ला देखिस दिलीप हा। भलुक कुर्ता के ऊप्पर सलूखा डारे हाबे तभो ले गरीब दिखत हाबे। 

किसान बरोबर तो नइ लागत हाबे। बनिहार बरोबर नइ दिखे......? मनेमन गुनत हाबे दिलीप हा। कोनो फैक्टरी के मुंशी होही......। नही, कोनो पार्टी के झंडा लगइया पानी पियइया कोनो छुटभैया नेता होही......। आनी-बानी के गोठ फोकटे-फोकट गुनत हाबे दिलीप हा। ......अउ जतका गुनत हाबे ओतकी मन करू होवत हे। अब तो बस्साये लागिस सियान हा।

         बस मा उदुप ले ब्रेक लगिस। बस मा ठाड़े होवइया मन समुंदर के लहरा कस पाछु ले आगू आगे। हाँसी अउ चिचियाई के आरो संग ड्राइवर ला बखानीस घला। बइठइया मन घला उझलगे। सियान के खाँध अउ जवनहा दिलीप के खाँध टकराइस। 

"सोंज बाय नइ बइठस डोकरा नही तो.....?'' दिलीप तो आगू ले अगियावत रिहिस अब आगी उलगत किहिस। 

"सोरी ....! सोरी बेटा...!''

 जुड़ावत किहिस सियान हा।

दिलीप के पारा अउ चढ़गे। तमतमाये लागिस दिलीप हा।

"सोरी के मतलब जानथस फट्ट ले बोल तो देस।''

अब सियान दुनो हाथ जोर डारे रिहिस। अब्बड़ संसो मा दिखत हाबे अउ परेशान घला। देखे मा अब्बड़ पियासे लागत हाबे फेर पुरौती-पुरौती दू घूँट पानी पीये के उदिम करिस  फेर बस के धक्का ले मुँहू के पानी हा छाती ला भिंजो डारिस। अरहज गे सियान हा।

"दोना मा पेज पियईया मन के हाथ मा पानी बॉटल आ जाथे तब अइसना होथे डोकरा।''

दिलीप ताना मारत किहिस। 

सियान कलेचुप रिहिस। अब बॉटल ला हाथ मा धर लिस। न बैग न झोला सिरिफ पानी बॉटल ला धरे हाबे सियान हा।  ......अउ  सलूखा के ऊप्पर खीसा मा छोटकुन मोबाईल। टुईटुई-टुईटुई ... के आरो आइस। अपन  की पेड वाला मोबाइल ला चश्मा चढ़ाके देखिस अउ कुछु टाइप करके सेंड करिस। टुच्च के आरो आइस अउ फेर खीसा मा धर लिस।

खिड़की के ओ पार देखे लागिस अब सियान हा। 

    कोनो गाँव आय मुरिया मारिया आदिवासी भाई-बहिनी मन बाजार हाट करत हाबे। कांदा-कुसा बेचत हाबे अउ सूपा झेंझरी टुकनी-टुकना बिसावत हाबे। महुआ हर्रा सालबीजा धरके आवत-जावत मोटियारी वनवासी मन। सियान के आँखी चमके लागिस।  एक-एक जिनिस ला बारिकी ले अनभो करे लागिस बस मा बइठे-बइठे।

"कहाँ जाबे डोकरा तेहां !''

दिलीप पूछिस

"अ... रायपुर जाहू बेटा !''

सियान बताइस। दिलीप के मन उदास होगे। माथा ला धर लिस। चार-पांच घंटा ले झेले ला लागही डोकरा तोला। दिलीप फुसफुसाइस अउ कनिहा सोझियावत किहिस। 

"महुँ जावत हँव डोकरा रायपुर । सीजी पीएससी  के इंटरव्यू हावय।''

सियान नइ पूछिस तभो ले बताये लागिस दिलीप हा। आज जिमिकांदा के साग नइ खाये हाबे तभो ले वोकर तो मुँहू खजवावत रिहिस अउ सीजी पीएससी  के इंटरव्यू कहिथे तब छाती चाकर हो जाथे। 

"पूरा टॉप ट्वेन्टी मा सोलवा रेंक मा हाबो मेहां।''

"बधाई बेटा ! दूधे खावव दूधे अचोवव।''

सियान के गोठ ला अनसुना कर दिस दिलीप हा। फोन निकालिस अउ अब फोन मा अपन संगवारी संग गोठियाये लागिस। 

    अपन इंटरव्यू के तियारी के गोठ ला बताइस। रायपुर में रहे खाये के गोठ-बात करत सब्जेक्ट के गोठ करिस। इतिहास भूगोल अर्थशास्त्र लोकप्रशासन के अब्बड़ सवाल पूछिस अउ अब्बड़ जवाब घला दिस अपन संगवारी संग दिलीप हा। 

                  अब केशकाल के बारा भांवर ला किंजर डारिस अउ पहाड़ के कोरा मा बइठे कांकेर के भव्य बस स्टेशन ले सवारी उतार-जोर के चारामा के रद्दा मा दउड़े लागिस बस हा। सियान झपकी लेये के उदिम करिस फेर दिलीप के गोठ....? इंटरव्यू तक अमरे के रामकहानी ....? आगू-पाछू के सीट के सवारी घला बरजिस फेर दिलीप तो अपन मा मगन हाबे। जोर-जोर से गोठियावत हाबे। अब्बड़ बेरा ले टोंका-टांकी करे के मन करिस सियान के फेर .....भई गे, राहन दे।  खिड़की के ओ पार देखिस। 

           चार तेंदू देखत चारामा अमरगे। डोंगरी पहाड़ ला नाहकत भव्य मुरिया द्वार ला खुंदिस। जगतरा में अर्जुन के सारथी बने किशन भगवान अउ माँ जगतारिणी देवी ले आसीस लेवत ओना-कोना के भोलेनाथ के गोड़ मा माथ नवावत आगू बाढ़गे। अंगारमोती के कोरा मा गरजत गंगरेल, अउ गदबदावत हरियावत रुख-राई खेत-खार ला नजर भर देखत बिलईमाता के अँगना धरम के नगरी धमतरी अमरगे बस हा अब। 

            बस स्टैंड के वाश रूम गिस तब चपर-चपर कचर-कचर अतरिस दिलीप के। धमतरी के उरीद बरा पोहा अउ जलेबी खाइस। मन अघा गे। सिरतोन अब्बड़ सोर हाबे। अपन सीट मा बइठके अब नींद भांजे लागिस दिलीप हा। 

कुरूद के चंडी मंदिर अउ छत्तीसगढ़ महतारी के  दर्शन करत अब राजधानी कोती आगू बाढ़त हाबे बस हा। 

ट्रिन-ट्रिन सियान के मोबाइल के घन्टी बाजिस।

"हलो ! बेटी ! मेहां रायपुर अमर जाहु आधा पौन घंटा मा। पचपेड़ी नाका मेर आबे लेगे बर ।....अउ बेटी जेवन बना देबे ओ ! अब्बड़ भूख लागत हाबे बेटी !''

"हव पापा !''

ओती ले आरो आइस अउ फोन कटगे टू... टू....। 

     दिलीप के नींद उमछगे। भन्नाये लागिस। 

"डोकरा  नही तो...! अब्बड़ जोर-जोर से गोठियाथस।  इंटरव्यू के तियारी करे बर रात भर जागे हँव। थोकिन सुतत रेहेंव तौनो ला जगा देस तेहां। कोनो सऊर नइ हाबे गोठियाये-बतराये के।''

"सोरी बाबू !''

अब्बड़ रट-फट कहि देव अइसे लागिस फेर सियान जुड़ सांस लेवत किहिस। 

"धन्यवाद मातारानी ! भलुक मोर जम्मो जिनिस ला चोरहा मन चोरा डारिस फेर तोर कृपा ले सुरक्षित आवत- जावत हँव।''

रायपुर के मोहाटी मा शदाणी दरबार मा माथ नवाके फुसफुसाइस सियान हा।

कलर्स मॉल ला नाहकत सब्जी मंडी ला नाहकत पचपेड़ी नाका अमरगे बस हा। एकात दू झन ला छोड़ के जम्मो कोई उतरगे बस ले। बस अंतरराज्यीय बस अड्डा भाठागांव कोती रेंग दिस। दिलीप ऑटो देखत हावय टिकरापारा अपन संगवारी घर जाये बर। 

अउ सियान ....?

सियान के बेटी आगू ले अमरगे रिहिन पचपेड़ी नाका । अपन पापा ला हाथ हला के आरो करिस। सियान अपन बेटी के चमचमावत महंगा वाला फोरव्हीलर मा बइठगे अब। 

बेटी टुपटुप पाँव परिस पापा के अउ पूछिस।

"कइसे पापा  ! का होगे ? सबरदिन उज्जर पहिरइया मोर पापा हा कइसे मइलाहा ओन्हा पहिरे हावय।''

"कुछु नही बेटी ! जगलदपुर मा मोर बैग चोरी होगे। पर्स घला उही मा रिहिस। जम्मो ला चोरा लिस। पेंट के जेब मा बस के पुरती पइसा धरे रेहेंव तब रायपुर अमरत हँव।''

ओकरे सेती कहिथव पापा पर्स मा भलुक पइसा ला धर फेर ऑनलाइन नेट बैंकिंग करे ला सीख।''

"हँव बेटी भलुक तीन महीना  रिटायरमेंट बांचे हाबे तभो ले ऑनलाइन नेट बैंकिंग जम्मो ला सीखहु।।''

"जगदलपुर मा अब आने शहर के चोर गिरोह मन लूट खसोट करत हाबे ओ। मोर सुघ्घर अउ शांत रहवइया जगदलपुर के नाव ला मइलाहा करत हाबे।''

सियान अउ बेटी दुनो कोई गोठ-बात करत अपन घर ऑफिसर्स कॉलोनी कोती चल दिस।

भलुक सांझ होगे रिहिस  फेर चुचवावत पसीना ला पोछत ऑटो मा बइठिस अउ टिकरापारा चल दिस दिलीप हा घला।

                     आज डीही-डोंगर देवी-देवता जम्मो ला सुमरके सीजी पीएससी के इंटरव्यू देवाये बर गिस दिलीप हा। कतको झन मुचकावत इंटरव्यू देवाके निकलत हावय तब कतको झन थोथना ओरमा के। कतको झन के धुकधुकी बाढ़गे हावय। कतको झन पानी पी-पी के अगोरा करत हावय अपन बेरा के। दिलीप तो चार बेरा बाथरूम कोती चल दिस। 

"रोल नम्बर छे सौ चालीस मिस्टर दिलीप कुमार ...।''

प्यून के आरो ला सुनिस अउ अपन फ़ाइल ला धरके इंटरव्यू कुरिया के आगू मा ठाड़े होगे।

"मे आई कम इन सर !''

"यस कम इन ।''

पांच झन इंटरव्यू लेवइया के पैनल रिहिस। तीन झन सर अउ दू झन मैडम। बइठे के इशारा पाके खुर्सी मा बइठिस दिलीप हा पैनालिस्ट के। बड़का खुर्सी वाला ला देखिस ते ठाड़ सुखागे दिलीप हा। गिलास भर पानी ला पी डारिस। 

"एक्सीलेंट मिस्टर दिलीप कुमार जी ! आपका अकैडमिक रिकॉर्ड तो बेहतरीन है। यु हैव पास्ड डिस्टिंक्शन इन एवेरी सब्जेक्ट। आप एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज मे क्यों आना चाहते हो । व्हाट इस योर ड्रीम विजन एंड गोल ?''

इंटरव्यू लेवइया  किहिस। 

दिलीप सुकुरदुम होगे। सवाल पुछइया कोनो नही भलुक बस मा सफर करइया सियान आवय। रुमाल निकाल के पसीना पोछे लागिस। बोक-बाय बइठे देख के आने पैनालिस्ट मेडम पूछिस अब ।

"गरीब शोषित पिछड़े और आम जन मानस के प्रति आपका नजरिया क्या होगा यदि आप सिविल सर्विसेज में आते है तब ?''

"उन सब के सेवा के लिए मैं चौबीस घण्टा हाजिर रहूँगा सर !''

बड़का पैनालिस्ट सियान मुचकावत रिहिस अउ वोकर करू मुचकासी ला देख के दिलीप मुक्का होगे। 

"बेटा ! इंटरव्यू मा आचार-विचार व्यवहार ला परखे जाथे। भलुक तेहां रिटर्न्स एग्जाम मा सुघ्घर परफॉर्मेंस करबे फेर इंटरव्यू लेवइया पारखी नजर हा बोडीलेग्वेज देख के परख डारथे। फील्ड मा रट्टू तोता वाला अधिकारी फेल हो जाथे अउ  संवेदनशील समझदारी ईमानदारी के भाव रखइया अधिकारी अपन बुता ला सुघ्घर करथे। अब तेहां देख ले कतका पानी मा हावस ते.........?''

सियान पैनालिस्ट किहिस। दिलीप के करेजा मा शब्द बाण परगे । झिमझिमासी लागिस थोथना ओरमगे। अर्थशास्त्र इतिहास साहित्य संस्कृति लोकप्रशासन के सवाल पूछिस आने पैनालिस्ट मन फेर दिलीप सुघ्घर उत्तर नइ दे सकिस।

           मुँहू ओथारके कुरिया ले निकलिस दिलीप हा। गोड़-हाथ मा पीरा भरगे। दंदरासी लागत हाबे शब्द के बाण लगे ले। अंतस के पीरा ले निकले नुनछुर पानी के गरम दू बूंद अब टपकिस आँखी ले। सिरतोन इंटरव्यू के मतलब ला जान डारिस अब। अपन बेवहार ला सुघ्घर करे के संकल्प लेवत जगदलपुर वाला बस मा बइठके घर लहुटत हावय अब दिलीप हा। 

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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी

जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़

पिन 493773

मो. क्र. 8120578897

Email ID csahu812@gmail.com

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