Sunday, 25 June 2023

ब्यंग *मान सम्मान अउ हिनमान*.

 ब्यंग 


      *मान सम्मान अउ हिनमान*. 


        एक जमाना मा जेल के सजा काटे मनखे काकरो ले नजर नइ मिला सके। अब जेल ला ससुरार असन सुख पाए के जगा मानथे। जतके जादा सजा भोगी वो ओतके जादा सम्मानित अउ इज्जतदार मनखे। जेकर मा सौ ले आगर केस चलत हे, वोला लाल कला के परछी मा सम्मान मिलना  चाही। फेर अइसन प्रजाति के मनखे एकाद निंहीं हजारों मा मिलही। तब सम्मान पदक बर मेरिट सूची बनाये बर पर सकथे। इँकरे मन के प्रभाव ले लाज सरम मान हिनमान जस अपजस दंतकथा मा जाके खुसरगे। अब तो बात लगे ना बानी लाज सरम घलो मूँड़ी उघार के रेंगत हे। एक वो सुर्पनखा बपुरी दानव कुल के रिहिस तभो नाक कटे के बाद कहां जाके लुकाइस तुलसीदास जी घलो नइ खोज पाइस। अब तो नकटी नकटा मन के दस बेर नाक कटथे तभो सवा हाथ उल्हो डारथे। 

       सबो मनखे के सोच रथे कि कोनो किसम के अपमान हिनमान झन होवय। सोच ला सार्थक करे बर नेक करम नेक बिचार रखना पड़थे। बोल बचन ले ही पता चलना चाही कि मनखे सूगर के मरीज आय। इही मुँहूँ आ कथे इही मुँहूँ जा कथे। फेर बिना हाड़ा के जीभ सलँगेच ला धरथे। दू थपरा मार हर सका जाथे फेर मुँहूँ के मार ले आत्म संताप अउ अपमान के घाव ले मनखे खुदे मर जाथे नइते रंज राखे बदला निकाले बर दाँव खेलत रथे। महाभारत काल मा द्रौपती के जीभ बिछलगे एती करण के जीभ सलँडगे। बस इँहचे ले मान हिनमान के जंग सुरू होगे। काबर कि सवाल सीधा नाक तक चल दिस। धरम युद्ध के वकील अउ जज हर कुरूक्षेत्र के भाँठा मा अट्ठारा अध्याय के दलील पेस करिस अउ अट्ठारा दिन ले पेसी रेंगिन तब हिनमान अपमान के फैसला निपटिस। 

          मनखे ला अपन मान सम्मान इज्जत ला सम्हाल के रखना परथे। काबर कि ये अइसन पूँजी आय जे धन दौलत ले बड़ के रथे। अब तो धन दौलत बर मान सम्मान बेसरमी के दुनिया मा गिरवी रखे जावत हे। बिदेश मा लुगरा के माँग बड़गे हे अउ देश मा जिंस टी शर्ट के। जेन जेठ के नत्ता हे वो अपन मुँड़ी ला खुदे ढाँक लेवय। इही मा ओकर मान रही। हवस के सिकार नबालिक या नारी जात नइ कहिके अखबार वाले मन दलित हरिजन आदिवासी महिला लिखथे। एकर ले आधा नारी जात के सम्मान बाँचे रथे। ये इँकर सोंच हो सकथे। कोनो जिनिस ला नापे बर लीटर मीटर गज फुट आँगुर बित्ता बने हे। फेर हिरदे के दरद खुशी मान सम्मान अउ हिनमान के नापनी नइये। फेर अतका हे जब हिरदे मा घात करथें। मान सम्मान ला गिराय के उदिम कोनों करथें। तब मान हानि के दावा कर सकथस। उँहचो आँखी रहिके अँधरी बने के सीख गंधारी ले लेके तराजूधारी ला खड़ा कर देहे। तब अपन मान ला कहां तक बचा पाबे। इहाँ फूल कुँवर सरापित अहिल्या कस पथरा बनके रहि जाथे। जे हर बिना सराप के मुक्ति बर गोहार लगाय के पहिली खुदे परान तज देथे। धरम युद्ध के जीत बर आधा रात के पिड़िता के लाश जराये जा सकथे तब सरी मँझनिया सीता हरन अउ चीर हरन काबर नइ होही। नारी शक्तिकरन वाले देश मा रोज एक झन निर्भया के बली चढ़थे अदालत के दरवाजा तो सबो बर खुले हे। फेर नकली सबूत झूठा गवाही करमोता भाजी के दाम मा जूरी बँधाय मिलत हे तब गुरतुर डोंड़का ला पंजलहा साबित करे मा कतका देरी लागथे। सौदाई संस्कार ले उपजे जज मन के घर मिठई के बंडल समर्पित होथे तब मजाल हे कि करू ला करू कहि देय। सत्य मेंव जयते के कलेंडर मा फेर बदल करे के रसता अभी घलो हे। फेर लिखइया के आतमा ला ठेस लगे के डर ले संभव नइये। सच्चाई के हाफ मडर करके छोड़े जावत हे। वो एकर सेती कि सत्य जिन्दा रहय फेर हिनमान के दुवारी मा  घिलर घिलरके। जनहित मा आदेस जारी हे कि झूठ बोलव तभो गीता मा हाथ मड़ा के। नइते अदालत के अपमान हो सकथे। चाणक्य नीति ले पारंगत जमाना मा मान सम्मान हित हिनमान के तर्क बर बिदुर नीति के सहारा लेथें। उँहचो बात नइ बने तब बिरबल कस चतुराई ले काम निकालथें। 

      सियान. मन कथे नाक हे तब तक मनखे के साख हे। फेर अब तो नाक काटना अउ कटवाना दुनों मा सम्मान छिपे हे। लुटे सम्मान लहुट के नइ आय कथे। अब तो पइसा के बल मा दुगुना होके आथे। मंदिर के मोहाटी मा बइठे भिखारी ला चरन्नी देके पुन्यातमा बनथें। अउ दानपेटी धारी बड़का भिखारी के कटोरा मा हजार देके आत्म सम्मान बढ़ाथे। धरम रक्षा अउ मान सम्मान के हिफाजत अउ कर्मयोग के उपासना बर आत्मबल के प्रबल होना जरूरी हे। कलयुगी कर्मयोगी कंस रावन दुर्योधन अउ दुस्सासन के नाम घलो सम्मान से लेना परथे। नइते---------। जीयत जागत राम राज मा सब ठीक ठाक रिहिस कि राम के मंदिर अउ मुर्ति काल मा सब ठीक हे चिन्तन के बिषय बन सकथे। शहर नगर कुँआ बावली के नाम जे हावे सत्ताधारी बर दुखदायी हे। एकर ले कोनों दूसर के नाम धरे ले देश के तरक्की के सँगे सँग मान सम्मान मा बढोतरी होथे।इही कारन हे कि नाम बदले के नवाचार शुरू हे। हमर देश मा महान विभूति के कमी नइये। सब ला सम्मान अउ मौका मिलना चाही। काना फूसी के गोठ घलो उड़थे कि हमर नोंट मा गाँधी जी अबड़ दिन ले कब्जा कर डारे हे। अब ये सम्मान कोनों दूसर ला मिलना चाही। काबर कि जेकर सम्मान के पतन होवत हे। ओहू मन राष्ट्रपिता बने के सपना साधेहें। 

          इहाँ रोज जतका उद्घाटन अउ शिलान्यास मा फीता नइ कटे वोकर ले जादा नाक कटथे। जिंकर कटत हे उँकरो पाछू दलील अउ सफाई देके सर्जरी करइया डी लिट वकील के कमती नइये। धोबी बचन के डंक मा अपमान के आखरी नतीजा सीता बर धरती फाटगे। फेर इहाँ नकटी नकटा के मरे बर चुरुवा भर पानी तो का सइघो समुन्दर घलो छोटे पर जथे।आन बान शान बर मरिन ते मन परम बीर चक के हकदार होगे। जीयत मन चापलूसी मा पदम सिरी झोंकत हे। करम प्रधान सम्मान ला छोड़ मँगनी अउ खरीद प्रधान सम्मान के मान हे। चना मुर्रा कस बँटत सम्मान पत्र अउ प्रसस्ति पत्र बंडल बाँध के बोरा मा रखे जावत हे। आने वाला समय बंडल देख के मुल्यांकन करहीं कि हम कतका सम्मान ले जी के मरेंन। मनु अंश मनखे के मानव धरम मदिरा पान ले उबर नइ पावत हे। हिन्दुस्तान मा रहिमान अपन सम्मान के खोज करत हे। राज सिंघासन बर राम के सहारा चाही कि हनुमान के। अवसरवादी मन तय नइ कर पावत हे। आरती अजान मा आस्था ले जादा अस्थि विसर्जन के जोखा जादा दिखथे। काबा कमली वाले के भगत होय। चाहे जटाधारी धनुष धारी के उपासक। सब अपन अपन मान सम्मान बचाये बर कुरूक्षेत्र आउ हल्दी घाटी के परिया बनाय मा लगे हें। भाईजान के भाईचारा मा संका बने रथे। भोला राम मानवता के रँग मा रँगे बर तइयार नइ दिखे। हम वो संस्कारी धरती के जीव आवन जिंहा हपटे पथरा के घलो पाँव पर लेथन। मंदिर मा बिराजे देवी के दरसन नवरात मा भीड़ के मारे नइ हो सके। अखबार मा छपत देवी के फोटू मा मन मड़ा लेथन। भले होटल वाले वोमा भजिया लपेट के देवय। देश अउ तिरंगा के सम्मान फकत छप्पन इंची छाती वाले मन करथे अइसे नइये। छत्तीस वाले मन घलो देश झूकन अउ बिकन देना नइ चाहे। बात अतके हे कि इँकर मन कोनों मन के बात सुनइया नइये। देश मा पत्थरबाजी होगे। झंडा जलाये गिस महान विभूति के मुरती उखाड़े गिस ये खबर ले बिदेश मा हमर नाक कतका लामथे बिदेशी मन ही बता सकथे। मान सम्मान बचाय बर लहू रकत बोहाना परत हे। धरम हर मजाक बनके रहि गेहे। जात हर गारी देय के काम आवत हे। इज्जत अउ सम्मान के रोटी घलो लहू मा सनाय मिलथे। तब हिनमान के पोछा लगाये बर नेकी के फरिया बिदेश ले आन लाईन मँगाना घलो जरूरी हे। 


राजकुमार चौधरी "रौना" 

टेड़ेसरा राजनांदगांव।

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