Saturday, 3 June 2023

छत्तीसगढ़ के साॅंस्कृतिक अउ सामाजिक मूल्य के थाती आय - गजामूॅंग के गीत



 छत्तीसगढ़ के साॅंस्कृतिक अउ सामाजिक मूल्य के थाती आय - गजामूॅंग के गीत

           जिनगी म गीत-संगीत के अलगे आनंद हे। गीत-संगीत के बिगन जिनगी अधूरा जनाथे। संगीत के आनंद घर म बइठ के नइते कोन्हों आयोजन स्थल म बइठ के लिये जा सकथे। फेर ज्यादातर लोगन के जिनगी तो रोजमर्रा के फाॅंदा म फॅंदाय रहिथे। राम अउ माया दूनो सॅंघरा कहाॅं मिलथे? आज के भागभागम म नवा नवा सिस्टम के आय ले रेडियो अउ पोंगा (लाउडस्पीकर) ह तइहा के बात होगे। नइते खेत-खार म कमावत मनखे मन घलव गीत-संगीत के मजा लेवत राहॅंय। लइका मन के पढ़ई के नाॅंव ले घलव बेरा-बेरा म ध्वनि विस्तारक यंत्र ऊपर प्रशासन के कैंची चलत रहिथे। खैर एकर ऊपर गोठ विषयांतर हो जही। ए गड़ायन गोठ हो जही।

            बइला नाॅंगर ल फॉंदे ददरिया झाड़े के दिन टेक्टर के आय ले घलव कोन जनी कोन खूॅंटी म टॅंगा गे हे। रिकार्ड चलाय के रिकार्ड बनत हावय। अब तो जादातर लोगन गुनगुनाय के बजाय मोबाइल म सुने के बुता करथें। फेर एमा वो मजा नइ आय। चार झन हें त चार मोबाइल चालू रेहे ले कोनो, कोनो ल बरोबर सुन नइ पावॅंय। चाहे कुछु होवय गीत-संगीत के क्रेज तो अभियो बने हे। ए बात के तो गारंटी हे। गीत-संगीत ले थकान दुरिहा जथे, बुता ह अजीरन नइ जनाय। गीत-संगीत तो लोक जीवन म रचे-बसे हें। अपन लोकगीत के मजा तो कुछ अउ रहिथे। जेकर सुर नइ राहय वहू मन गुनगुनाय लगथें - तोर मन कइसे लागे राजा....चल संगी देवता ल मनाबो.....मोर संग चलव रे मोर संग.... कतकोन गीत ल। 

            छत्तीसगढ़ अपन लोक संस्कृति अउ परम्परा ले अपन नाॅंव उजागर करे हे। इहाॅं के लोगन के जीवन शैली अइसे हे कि सरी दुनिया कहे लगे हे- छत्तीसगढ़िया सब ले बढ़िया। इहाॅं के लोकगीत अउ लोकसंगीत ददरिया, करमा, पंथी, पंडवानी, बाॅंसगीत, भोजली/जॅंवारा (जसगीत) मन लोकजीवन म रग-रग म रचे-बसे हें। 

            छत्तीसगढ़ म एक ठन परम्परा तइहा ले चले आवत हे। वो आय मितान बदे के। जेन म जाति-धरम अउ गाँव के कोनो बंधन नइ रहे। हिरदे मिलगे तहान ले  लोगन मितान बद लेथें। ए अलगे बात आय कि आज अइसन मितानी के रिवाज ह थोकिन कमतियावत हे। अइसने हे जंवारा, महापरसाद, भोजली अउ गजामूॅंग के नता लोकजीवन म गढ़े गे हे। ए जम्मो नता लहू के नता ले ऊप्पर होथें। अउ ओइसनेच मान घलव पाथें। ए जम्मो नता दू मनखे जंवारा, भोजली, महापरसाद अउ गजामूॅंग भेंट करके बदथें। ए जम्मो जिनिस जन आस्था के प्रतीक आय। एकर अपन एक सांस्कृतिक महत्तम होथे। भगवान ले जुरे आस्था के भाव लोगन ल एक सुतरी म बाॅंध डारथे। ए मया सुतरी म बॅंधाय लोगन एक-दूसर के सुख-दुख ल अपने सहीं मानथें। इहाँ कोनो किसम के फरक नइ करे जाय। न लइका लागे न सियान, न नोनी पिला न बाबू पिला.. बस मन के फरियर मनखे जंवारा, भोजली, महापरसाद अउ गजामूॅंग बद लेथें। जम्मो म साख्य (मितानी के) भाव जगर-मगर होवत रहिथे। गजामूॅंग रजुतिया के दिन रथयात्रा के बेरा म दे गे परसाद आय। इही परसाद ले जुरे मनखे एक-दूसर ल गजामूॅंग कहिके गोठ बात करथें। उॅंकरे गोठ बात के विषय ल समोखत साखी देवत गीत रचे के जेन उदिम मनीराम साहू मितान करिन, ओकरे परसादे म गजामूॅंग के गीत किताब पढ़े ल मिलिस। ए किताब के जम्मो गीत दोहा छंद के विधान ल पूरा करत लिखे गे हे। अइसे तो दोहा छत्तीसगढ़िया मन बर नवा जिनिस नोहय। ए इहाँ के लोकजीवन म समाय हे। देवारी के सुरता करे भर ले दोहा का होथे, लोगन जान जथें। दोहा दू डाॅंड़ के मात्रा म बॅंधाय-छॅंदाय कविता आय। जेन ल लय म गाये जा सकथे। इही गेयता के असर आय कि जनमानस ल तुलसी, कबीर, सूर जइसन कतको कवि मन के दोहा कंठस्थ हे अउ वाचिक परम्परा ले एक पीढ़ी ले दूसर पीढ़ी तक अमर जथे। दूए च डाॅंड़ म अपन पूरा भाव समेट पाना बड़ कठिन बुता आय, अइसन म एक गीत गढ़ना तो अउ कठिन जनाथे। अइसने कठिन अउ श्रमसाध्य बुता ल करे म अव्वल मनीराम साहू 'मितान' मन गजामूॅंग के गीत लिखना चाहिन अउ अपने ले मिले चुनौती ल स्वीकारत ८१ ठन गीत के एक किताब लिख डारिन। 

         मनीराम साहू 'मितान' तिर शब्द भंडार के कोनो कमी नइ हे। आप एक मॅंजे हुए मंचीय कवि आव। हास्य गीत अउ राष्ट्रीय चेतना के सुर म पगाय ओज गीत ले श्रोता मन भाव विभोर हो जथें। आप छंद के सरलग अभ्यास करेव अउ गुरु कृपा अउ असीस ले छत्तीसगढ़ी म दू ठन कालजयी खंड काव्य 'हीरा सोनाखान के' अउ 'महापरसाद' के रचना करे हव। आपके सिरजन म शिल्प अउ भाव दूनो पक्ष अतेक सजोर रहिथे कि आपके रचना साहित्य के हर कसौटी म खरा उतरथे। आपके इही क्षमता छत्तीसगढ़ी साहित्य ल नवा उजास दिही, नवा दिशा अउ ऊॅंचाई दिही। आप ल पढ़ के नवा पीढ़ी प्रेरणा पाहीं। 

            गजामूॅंग के गीत म शामिल गीत के विषय व्यापक हे। आप ल पढ़े के पाछू कतको झिन ल लिखे बर विषय के कमी नइ जनाही। आप पेशा ले मास्टर आव। मास्टरी के नौकरी मतलब सामाजिक सरोकार ले जुड़े नौकरी। अइसन म आपके रचना मन म समाज के विसंगति, समाज म फइले अंधविश्वास ले मुक्ति बर जागरण, भेदभाव अउ सामाजिक उत्थान के रस्ता चतवारत शिक्षा के महत्तम जइसन विषय मिलथें। कवि या रचनाकार मन ल युगदृष्टा माने जाथे। वर्तमान पीढ़ी के समस्या ले अनजान नइ हव। अपन तिर तखार के घटना ले आप सिरजन के विषय लेथव। गॉंव के स्कूल म पोस्टिंग के चलत आप के किसान अउ गाॅंव ले जुड़ाव हे। तभे तो गाँव अउ किसान के पीरा का होथे अउ एकर का निदान हो सकथे?  एकर सुझाव आपके गीत मन म झलकथे। 

          चूॅंकि ए किताब के जम्मो गीत एक मात्र दोहा छंद म हें, त शिल्प के गाड़ी के रेलवाही पटरी ले उतरे के सवालेच नइ हे। एकरे सेती ए किताब के भूमिका लिखत श्री अरुण कुमार निगम ए किताब ल रस, छंद अउ अलंकार के त्रिवेणी संगम बताॅंय हें। 

           कुछ एक जघा के तुकांत बिहाव-गाॅंव, नेक-फेंक, बिगाड़-छाॅंड़, साॅंस-बिश्वास, छेंक-नेक,...गीत के मजा किरकिरा करत हे, बानी लगथे। हो सकत हे, गवई म ए दुरिहा जवत होही। वर्तमान समस्या अउ वैज्ञानिक विषय के रचना लिखे म ॲंग्रेजी के शब्द आना स्वाभाविक आय, एकर ले पाठक ल विषय वस्तु ल समझे म मदद मिलही। इही उदारता ले ही छत्तीसगढ़ी के शब्द भंडार म बढ़ोतरी होही। 

       मनीराम साहू व्यापक सोच के रचनाकार ए, उॅंकर रचना म लोकमंगल के कामना हे, सर्वजन के हित हे। एक रचनाकार के लेखन भले स्वांत: सुखाय होथे, पर उॅंकर लेखन म समाय भाव सर्वजन हिताय हो जथे। तभे तो सिरीफ अपन बर बिनती नइ करॅंय, सबे बर गोहार लगाथें- 

          गौरीशंकर लाल गा, हे गणपति महराज। 

          दे सुधार प्रभु आचरण, नठे सबो के आज।। 

        

        सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया। 

         सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित दु:ख भाग्भवेत्।। 

          जइसन विश्वकल्याण के संदेश देखव -  

         सब ला अइसन बुद्धि दे, इरखा ला दॅंय छोड़।

         झूठ लबारी द्वेष सॅंग, बिसरॅंय ॲंतस खोड़।। 

         रहॅंय सबो सुख शांति ले, चलय मया के राज। 

          आज दुनिया भर म जाति धरम ल लेके बौद्धिक लड़ई छिड़े हे। चतुरा मन इही तावा ल धुॅंकना ले हवा दे के गरम करत अपन रोटी सेंकत रहिथें। बेरा-बेरा म संत-महात्मा अउ समाज सुधारक मन समाज म समता अउ एकता के भाव भरत रहिन अउ जन कल्याण बर आजो भरथें। ए संदेश ल आगू बढ़ाय म मितान जी पिछुवाय कइसे रहि सकथे। रचनाकार घलव तो जन कल्याण ही चाहथें। 

           पढ़के देखव बाइबिल, गीता ग्रंथ कुरान। 

           जग स्वामी तो एक हे, नाॅंव भले हे आन।। 

          आज लोगन परिवार ले दुरिहावत जावत हें, दाई-ददा अउ सियान मन ल घलव दू लोटा पानी देवई ह बोझा सहीं लागत हे। अइसन प्रवृत्ति ल नवा दिशा देवत नैतिकता ल पटरी म लाय के मनीराम साहू के उदिम सराहे के लाइक हे-

           बड़का अउ माँ-बाप ले, हवय कहाँ भगवान। 

           हावॅंय इॅंकरे पाॅंव मा, सुख के सबो खदान।। 

         एक कोति अंधविश्वास, दाइज, नशा, बेटा-बेटी म भेदभाव, परिवार म टूटन जइसन कतको सामाजिक बुराई या समस्या ऊपर गीत लिखे गे हे, उहें दूसर कोति नैतिकता अउ संस्कार के गीत ले मनीराम साहू समाज उत्थान बर अपन सामाजिक सरोकार ल पूरा करथे। 

          पर्यावरण के समस्या दिनोंदिन बाढ़ते जावत हे। वैज्ञानिक अउ मनीषी मन चेतावत हें, फेर मनखे अपन स्वारथ छोड़ नइ सकत हे। बेजा कब्जा, प्रदूषण, ओजोन क्षरण, जलवायु परिवर्तन, झिल्ली के बाढ़त उपयोग, जल-जंगल सबो ल नकसान पहुॅंचावत हे। इही संसो म भिंजे गीत मन नवा चेतवना देवत हें। 

           संवेदना ले भरे मनुख वर्तमान ज्वलंत समस्या ले कब तक चुप रही पाही। कभू न कभू जनहित म आगू आबे करही। मनीराम साहू अपन गीत ले नवा पीढ़ी अउ समाज ल सावचेत करे म अगुवाई करत दिखथे।  

              नवा पीढ़ी के लिखइया मन मनीराम साहू के किताब जरूर पढ़ॅंय। उन ल बहुत अकन सीखे ल मिलही। कला पक्ष अउ भाव पक्ष म संतुलन कइसे बइठाय जाय यहू ए किताब ले सीखे मिलही। इही संतुलन ह किताब ल बहुप्रचारित करही अउ कालजयी घलव बना सकथे। 

             गजामूॅंग के गीत म शामिल गीत मन के भाव अउ विषय वस्तु ले ए कहना कि गजामूॅंग के गीत सांस्कृतिक अउ सामाजिक मूल्य के थाती आय, धरोहर आय, बिरथा नइ होही। काबर कि एमा के गीत मन म एक कोति साॅंस्कृतिक मूल्य के बिंदू समाय हे, त दूसर कोति सामाजिकता के भाव ल सहेजे हुए नजर आथे। 

            एकर परछो देवत शीर्षक गीत के एक पद देखन-

           हम सकेल छरियाय ला, चलबो जोरे खाॅंध। 

           माथ पछीना गारबो, लेबो कनिहा बाॅंध।। 

           दीन हीन उपकार, करबो काज पुनीत।

           गाबो जी मिलके चलव, गजामूॅंग के गीत।। 

             मन लुभावन अउ गॅंवई के आरो देवत कव्हरपेज ले सुसज्जित गीत संग्रह 'गजामूॅंग के गीत' के प्रकाशन बर मनीराम साहू "मितान" जी ल अंतस् ले बधाई। 


संग्रह - गजामूॅंग के गीत

रचनाकार - मनीराम साहू 'मितान'

प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर

प्रकाशन वर्ष - 2023

मूल्य - 100/-

पृष्ठ सं. - 96

कापीराइट - लेखकाधीन


पोखन लाल जायसवाल

पलारी (पठारीडीह) 

जिला - बलौदाबाजार भाटापारा छग. 

मोबाइल- 6261822466


No comments:

Post a Comment