भाव पल्लवन--
जिन खोजा तिन पाइयाँ,गहरे पानी पैठ।
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पार मा बइठ के लहरा ला गिने भर ले तरिया पार नइ हो जवय वोकर बर तँउरे ले परथे।कोनो चीज के इच्छा करे भर ले वो नइ मिल जवय भलुक वोला पाये बर सहीं साधन अउ सहीं रद्दा चुनके कड़ा मिहनत करे बर लागथे। समुंदर के पानी मा ऊपरे-ऊपर तँउरे ले मोती नइ मिल सकय वोकर बर तो जान के बाजी तको लगाके गहरा गोता लगाके तलहटी मा जाये ला परथे अउ सीपी (घोंघी) ला खोज के लाये बर परथे। उहू म ये जी तोड़ मिहनत हा तभे सफल होथे जब कोनो सीपी मा मोती मिलगे। सब्बो सीपी मा मोती मिल जही ये जरूरी नइ राहय। कभू कभू तो दिन भर ये उदिम करके तको हाथ दुच्छा के दुच्छा रहि जथे फेर धुन के पक्का ---मोती के खोज करइया मनखे हार नइ मानय।
सफल होना कठिन नइये ता वोतका असान तको नइये जइसे के कहे-सुने मा लागथे। सफलता बर असफलता ले सिखे बर परथे ।एकर बर कोन गलती होये ले असफलता मिलिच तेला जान-समझ के दूर करे बर लागथे।जेन सफल होना चाहथे वो उही गलती ला घेरी बेरी नइ करत राहय।
सफल होये बर अपन खुद के ऊपर भरोसा तको राखे ला लागथे।काम शुरु होइच नहीं अउ मन ढेरियागे ता असफलता तो मिलबे करही? ऊँचा सपना देखना ठीक होथे फेर हजारों सपना देख के कभू एकर पाछू,कभू वोकर पाछू दँउड़े मा सिद्ध कुछु नइ परय। एक सुर्री होके एके ठन ला पहिली साधे मा कारज सफल होथे।दू डोंगा मा पाँव रखई खतरा मोल लेना होथे।
सफल होये बर चाहे बिजनेस होवय चाहे नौकरी चाकरी वो काम के बारिकी ला जाने-सिखे बर लागथे। जानथे तेने हा ताने सकथे।जेन हा समय ला जतका जादा अच्छा ले अच्छा बउरथे वो हा सफल हो जथे।
चोवाराम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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