भाव पल्लवन--
छोट कुन कहिनी सरी रात उसनिंदा।
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कुछ मनखें अइसे होथें जे मन कोनो बात ला अइसे लमिया डारथें के वोकर मूड़ी-पूछी के पतेच नइ चलय। भूमिका-सूमिका बाँधत-बाँधत अइसन बिलहोरन मन दही के मही कर डरथें।रतिहा कुन कोनो छोटकुन किस्सा ला घेरी भेरी घरिया-घरिया के घंटा-दू घंटा ले पुरोवत रइही ता सुनइया के रात जगवारी नइ होही त का होही? अइसन घोरनहा मनखे मन बात के सार ला बताबे नइ करयँ या फेर बतायेच ला नइ आवय। ये मन के बातचीत हा एकदम निरस हो जथे जबकि दू टप्पा गोठ करइया मनके बात ला लोगन जादा भाथें।
अइसन निरस गोठकाहर मन के गोठ ला सुनके मन हा असकटाये ला धर लेथे।लोगन येमन ला देख के तिरियाये ला धर लेथें काबर के पिचकटहा मनखें मन अपन तो समे ला बर्बाद करबे करथें,भले उन ला लागथे के लमिया-लमिया के समे के भरपूर उपयोग होवत हे फेर दूसर के कीमती समे हा बर्बाद होवत हे तेकर गम नइ पावयँ।
अइसन बोली के बीमारी अज्ञानी मनखे जे हा अपन ला अबड़ ज्ञानी समझथे, कुछ भोको लला नेता अउ कुछ वक्ता, प्रवक्ता ,उद्घोषक मन मा देखे ला मिलथे। ये बीमारी के प्रकोप तेजी ले हनुमान के पूछी कस बाढ़त-बाढ़त कुछ कलम घसटइया मन ऊपर तको हावी होवत हे।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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