बाल कहानी
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डरपोक लड़की
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मूल लेखिका----विमला भंडारी
छत्तीसगढ़ी अनुवाद--- चोवाराम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
डरपोकनिन लड़की
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एक ठन कुरिया के दरवाजा बंद हे। जिहाँ कुलुप अँधियारेच अँधियार हे। रेहाना ह डरपोकनिन लड़की हे।वो ह बंद अँधियार कुरिया म जेमा तिलचट्टा मन के पूरा कालोनी खमखम ले बसे हे, जाये ले डर्राथे तेकर सेती सब झन वोला डरपोकनिन कइथें ।
रेहाना ह तिलचट्टा मन ल कई पइत टकटकी लगा के देखे हे।वोला पता हे के अभी संझा होही तहाँ ले ऊँकर एक संग नाचा पेखन चालू हो जही। कोनो तिलचट्टा संगीत देही त कोनो ह नाचही। रेहाना बर ए ह बड़ डरडरावन होथे। रेहाना बेचारी ह मुश्किल म परगे हे काबर के वोकर अब्बू ह केरा के टोकरी ल इही बंद कुरिया म रखे ल
कहे हे। अब्बू के कहना ल तो मानेच ल परही। रेहाना ह कपाट के सँध म कान लगा के सुने ल धरलिस।
तिलचट्टा मन के नाचा शुरु होगे हे। बाजा- गाजा सुनाई दे ल धरलिस।रेहाना ह कान लगा के सुने ल धरलिस।
थोकुन पाछू चर्र-चर्र करत बंद कुरिया के कपाट खुलिस अउ अँजोर के लकीर भीतर घुसिस।
भागव--भागव-- जान बँचावव --खतरा ।तिलचट्टा मन चिल्लइन अउ अपन अपन बिला म लुकाये ल धरलिन। वो मन ल भागत--सपटत देख के रेहाना ह चिहर डरिस। वोला सुनइस--तिलचट्टा मन काहत राहयँ--भागो- भागो --कोई मनखे भीतर खुसरे हे।
हाँ महूँ ह देखे हँव बड़का टुकनी बोहे हे।
वो टुकनी म खाये के जिनिस हे का?
नइ पता। काकर हिम्मत हे जेन जा के देखय?
ममहाय बर तो बनेच ममहावत हे।
अरे! सब चुपेचाप होके देखव-वो मनखे ह टुकनी ले निकाल के कुछु राखत हावय। एक झन तिलचट्टा कहिस।
रेहाना कलेचुप कुरिया के भीतर जात रहिस। डर्राय,सपटे तिलचट्टा मन फेर खुसुर-फुसुर करे लागिन।
आज हमर नाचा कार्यक्रम ये मनखे के सेती खइता होगे भइया।
बहुतेच बुरा होगे।
उदास तिलचट्टा मन आपस म गोठियाइन-
हमन ल हमरे कालोनी म तको बने-बने नइ राहन देवयँ।
ये मनखे मन के शिकायत होना चाही।
' शिकायत' ल सुनके रेहाना अकबकागे। वो ह टुकनी ल भुँइया म मढ़ावत देखिस-- सबो बिला म कुछु न कुछु गोठबात होवत राहय। टुकनी ल वो उही मेर छोड़ के तुरते लहुटगे अउ कपाट ल लगा दिस। एक झन तिलचट्टा ह अपन साथी मन ल बताइस के कपाट ह बंद होगे हे। रेहाना ह फेर बाहिर ले कान देके सुने ल धरलिस। तिलचट्टा मन काहत राहयँ---
कोनो अइसे बहादुर हे का जेन ह जा के पता लगाके आवय के टुकनी म काय लाये गे रहिस। वो हमर काम के हे धन बेकार के जिनिस हे। कोनो एक झन ल भेजे जाय।
एक झन दुब्बर- पातर फेर टंच तिलचट्टा जेकर नाम हरिमो हे ,वो जाये बर तइयार होगे। वो जतका तेजी ले गिस वोतके तेजी ले टुकनी म चढ़के अउ झाँक के लहुटगे। वो सबला बताइस--वो टोकरी ह कच्चा केरा ले भरे हे।
कच्चा केरा! वाह तैं कइसे कहि सकथस के केरा कच्चा हे?
हरिमो ह अपन मूँड़ के सिंगनल देवइया दुनों एंटीना ल हलावत कहिस--हाँ केरा कच्चा हे। कच्चा केरा हरियर होथे। वो सब हरियर हें। मैं विज्ञान के विद्यार्थी रहे हँव।
वोती रेहाना ल ये सुनके अबड़े अचरिज होगे।
त का वो केरा मन हमर काम के नइये का हरिमो? छोटकू देशाजू ह पूछिस।
नहीं देशाजू! काम के तो हे फेर हमन ल केरा के पाकत ले अगोरे बर परही।
हरिमो का तैं बता सकथस --ये केरा मन ल पाके म के दिन लागही?
अरे मूरख! केरा पेड़ ले टूटगे हें। उन अब कइसे पाकहीं?
त फेर केरा ल पाके के बाद टोरना रहिसे।
रेहाना ह झाँक के देखिस-ये सलाह भोभला तिलचट्टा पपलू ह देवत राहय।
का केरा मन खाये के लइक हे?
का हमला अभी उन ल खाना चाही?
बहुत झन तिलचट्टा मन ल कुछु समझ नइ आवत रहिसे।
चलव सब झन हरिमो के ददा नरिमो करा जाबो । वो ह वनस्पति वैज्ञानिक आय।वो सब जानथे।
अइसे कहिके तिलचट्टा मन के एक दल ल सरपट दूसर जगा जावत ,रेहाना ह देखिस। ये जगा ह थोकुन साफ सुथरा अउ हवादार रहिस जिंहा नरिमो ह बइठे रहिस। वो ह तिलचट्टा मन के बात ल सुनके विचार करके समझावत कहिस-- मैं ह जेन पढ़े लिखे हँव अउ जेन अनुभव हे तेकर अनुसार बतावत हँव तेला ध्यान देके सुनव--
कचलोइहा केरा हरियर होथे। पाके केरा ह पिंवरा होथे। कच्चा केरा सिट्ठा होथे फेर पाके केरा मीठा होथे।
वाह वाह बढ़िया बताये सियान--तिलचट्टा मन खुश होके कहिन। दू -चार झन कहे लागिन- तब तो हमला केरा मन ल पाके बर अगोरना परही।
वो दल के एक झन तिलचट्टा ह अपन मूँड़ के दूनों गोल-गोल आँखी ल घुमावत पूछिस--फेर केरा पाकही कइसे?
नरिमो ह फेर समझावत कहिस-- केरा के फोकला म पर्णहरित होथे जेला क्लोरोफिल तको कहे जाथे । उही पर्णहरित ह पाके म मदद करथे।
नरिमो ह आगू समझावत कहिस-- तु मन ल पता होना चाही के केरा ह पेड़ ले टूटे के बाद तको साँस लेथे। वोकर फोकला म बारीक- बारीक छेदा होथे जेला 'रंध्र' कहिथन।वोकर ले हवा भीतर-बाहिर आथे -जाथे। हवा के संग 'आक्सीजन' भीतर जाथे।इही समे क्लोरोफिल ह अपन काम करथे।सब झन चेत लगा के सुनव।अब मैं एक ठन खास बात बतावत हँव--
क्लोरोफिल के काम होथे केरा ल पकोये बर जरूरी हार्मोन ल धीरे-धीरे केरा के भीतर पहुँचाना ।ये बुता वो लगातार करत रहिथे।जेकर ले वोकर हरियर फोकला ह पतला अउ पिंवरा होवत जाथे।
हाँ ,ये तो सिरतो बात हे।एक झन सियनहा तिलचट्टा ह कहिस। मैं ह कच्चा अउ पक्का दुनों केरा देखे हँव।
नरिमो ह अउ समझावत कहिस--क्लोरोफिल ह केरा म जेन पोषक तत्व डारथे वोकरे ले फर के स्टार्च ह शूगर म बदल जथे जेकर ले सिट्ठा केरा ह मीठ हो जथे।
बहुतेच बढ़िया -बहुतेच बढ़िया--सब नाचे ल धरलिन।
एक झन खोरवा तिलचट्टा ह पूछिस--का अइसने सबो फर मन संग होथे? का हम ला इँखर पाक के मीठ होवत ले अगोरे ल परही ?आमा के जइसे। कच्चा आमा ह
घलो तो पाक के मीठा हो जथे।का सबो फर के संग अइसनेच होथे?
मोर हिसाब से नइ होवय।लिमउ जेला निबू तको कहिथन--वोकर सँग अइसन नइ होवय। हरियर कच्चा नीबू ह पाक के पिंवरा हो जथे। वोकर फोकला तको पातर हो जथे फेर वोकर रस ह तो खट्टेच रहिथे, मीठ नइ होवय। खोरवा तिलचट्टा ह जब अइसन बात कहिस त बाँकी मन नरिमो के मुँह ल ताके ल धरलिन।
नरिमो कहिस-- फर मन के रंग बदले के बात तैं ह सहीं कहे। पेड़ म फरे कई ठन कच्चा फर मन के रंग आने होथे जेन पाक के आने हो जथे। जइसे ब्लेकबेरी ह पहिली लाल होथे तहाँ ले पाक के करिया हो जथे।
बहुतेच बिचित्र दुनिया होथे फर मन के।इँकर रंग अउ स्वाद बदल जथे। इँकर गुन घलो बदल जथे। पाके के बाद फर खाये के लइक तो होबे करथे संगे संग शरीर ल अउ जादा फायदा देवइया हो जथे। लेवव जतका मैं जानत रहेंव वोतका ल तुमन ल बता डरेंव --नरिमो ह कहिस।
रेहाना ल तिलचट्टा मन के गोठ-बात बड़ मनभावन लागिस। ये मन तो बहुत समझदार हें। मैं ये मन ले फोकटइहा डर्राथवँ। वो ह कपाट के सेंध ले कुरिया भीतरी ल झाँक के देखना चाहिस। धीरे-धीरे कपाट ल खोलिस। कपाट के खुलतेच तिलचट्टा मन फेर भागिन। एक ठन भोला-भाला तिलचट्टा ह रेहाना के पाँव म चढ़के, चढ़त -चढ़त फ्राक म आगे।
उई माँ! उई मा!! उई!!! -रेहाना ह चिल्लावत कूदे लागिस।वोकर चिल्लई ल सुनके तिलचट्टा मन डर म एती- वोती लुकाये-सपटे ल धरलिन। रेहाना ल चिहकत देख के वोकर माँ बोलिस--का डरपोकनिन लड़की हे ये ह।
बादल
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