Sunday, 25 June 2023

भाव पल्लवन-- आषाढ़ करै गाँव-गौतरी, कातिक खेलय जुआ। पास-परोसी पूछे लागिन, धान कतका लुआ।



भाव पल्लवन--



आषाढ़ करै गाँव-गौतरी, कातिक खेलय जुआ।

पास-परोसी पूछे लागिन, धान कतका लुआ।

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असाड़ महीना के किसान बर अबड़े महत्तम होथे। वो हा बइसाख-जेठ मा अपन खेत के काँटा-खूँटी ला बिन के, काँद-दूबी बन कचरा ला छोल-चाँच के,खातू-माटी ला पाल के धान के बिजहा ला सकेले असाड़ मा बाँउत के पानी ला जोहत रहिथे। इही समे रोपा बर थरहा देये के जोखा तको मढ़ाथे। 

    पानी गिरिस तहाँ ले एकक दिन वोकर बर अमोल हो जथे। बाँउत के पाग अइस तहाँ ले लकर-धकर बोनी करथे काबर के बोनी सहीं समे म नइ होये ले बिजहा कमसल जामथे अउ खेत मा धान पातर,खमखरहा हो जथे अउ फसल मा कूत बने नइ मिलय---उत्पादन घट जथे।बिजहा बोयें के पाछू वोला एहू चेत रखे बर लागथे के पानी कहूँ जादा दमोर दिच अउ खेत हा टनाटन भरगे ता बिजहा हा सर झन जावय। बिजहा ला सरे ले बँचाये बर रात-बिकाल जाके तको नाखा-मुही ला फोरे बर परथे। खेत मा भरे पानी नइ सँसावय ता गर्दी इँचे ला परथे। धान के जामे के पाछू बारा उदिम करके वोला चरी-चरागन ले बँचाये बर लागथे।

 असाड़ के महिना मा किसान ला थोरको फुरसत नइ मिलय।वोकर एकक घड़ी बड़ कीमती होथे।अइसन बखत जेन किसान एती-वोती बिल्हराय रइथे--- खेती किसानी मा चेत नइ करय अउ गाँव-गौतरी घूमे मा,सगा-सोदर माने मा बिधुन रहिथे वोकर करम फूटे बरोबर हो जथे।

 अइसे तो करमइता किसान हा कभू ठलहा नइ राहय फेर जब कातिक के महिना आथे अउ  जाँगर पेर के कमाये फसल ला लू-टोर सकेल के कोठी मा हाँसी-खुशी भरे के दिन आथे ता अलाली अउ लपरवाही हा बहुतेच नुकसान पँहुचाथे।लुअई पिछुअइच अउ धान कहूँ रनागे ता कंसा मा खेत पटा जथे। आजू-बाजू के धान लुआगे ता चरी के खतरा बाढ़ जथे। इही कातिक के महिना मा देवरिहा जुआँ-चित्ती खेले के कुरीति हा जम के अड्डा जमाये रथे। जे किसान फसल सकलइ बटोरइ ला छोड़ के या सकेल डरे हे ता धान-पान बेंच के ताश मा रमिड़ियागे ता समझौ वोकर सत्यानाश के दिन आगे। वोकर ले अन्नदाई रिसा जथे। वो करमछँड़हा किसान के हाँसी-निंदा तो होके रहिथे।



चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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