Saturday, 3 June 2023

कतका करॅंव बखान महेंद्र बघेल

 कतका करॅंव बखान 

                        महेंद्र बघेल 


मुअखरा होय चाहे चिट्टी -पाती एक जमाना म कोतवाल, कबूतर, दूत अउ नारद मुनि मन के काम ह एक जगा ले दूसर जगा म संदेश ल बगराय के रहय। आजकल इही बुता के चैम्पियन के रूप म मरदनिया (नउ ठाकुर) मन ल जाने जाथे। हम यहू कहि सकथन के येमन गुगल बाबा के लोकल अवतार ऑंय। गांव म कते दिन काकर घर बरा रोटी अउ काकर घर फरा रोटी चुरे रहिस तेला बताय के हिम्मत रखथें। जुनहा के ढरकती बेरा म एती डकहार मन अपन खाखी रंग ल बचाय खातिर सैंफो-सैंफो करत उप्पर साॅंसा खींचत हें। त ओती नवा-नवा तकनीक ह समाज के सोच-विचार ल बदलके  उलट-पुलट के रख देहे।येकर सबले बड़का उदाहरण मोबाइल आय।येला कब अउ कैसे बउरना हे येहा खुदके समझदारी के उपर हे।

         पहिली मोबाइल ह बटन वाले (कीपेड) रहिस त येकर चाल -चलन ह बने रहिस। जरवत के पुरतीन गोठ-बात होय..,छापा -विडियो देखे के जुगाड़े नइ रहिस तब सबके तरवा ठंडा, परिवार समाज म शांति रहिस। जब ले येहा सेल फोन के पदवी पाय हे दुनिया म क्रांति आ गेहे अउ घर-परिवार म तहलका मच गेहे.., सब बउरा गेहें..,कटाकट अशांति..। घर म जे झन मनखे ते ठन मोबाइल, पैसा वाले मन कर एक के जगा दू अउ तीन ठन मोबाइल।               

                  आजकल लइका मन फिलिम म हिरो-हिरवइन मन ल जेन मोबाइल म गोठियावत देख लेथें उही मोबाइल ल बिसाय बर उम्हिया जथें। नोनी मनके बाते झन पूछ इनकर नखरा ह दू हाथ उपराहाच रहिथे। मोबाइल म गोठियावत बेरा दीपिका, ऐश्वर्या ह का पहिने रहिस, खिनवा-बाली, साड़ी-बलउस, नखपालिस, क्रीम-पावडर सबला एकसॅंघरा बिसाय बर रोम देथें।

           येमन ल सुत उठके सबले पहिली हाथ म मोबाइल चाही.., भला खाय-पीये बर नइ मिलही ते चल जही..,फेर मोबाइल ल संग म रखई ह जादा जरूरी रहिथे।राम नाम के बेरा म सबले पहिली वाट्सेप अउ फेसबुक के संदेश देखई-पढ़ई अउ अंगठा छाप लाईक- कमेंट ले दिन के बोहनी होथे। केहों-केहों करत दूधपिया लइका मन ल घुनघुना-खेलौना ल धरा देबे ते उल्टा बिफर-बिफर के बोमफार रोय ल धर लेथे फेर मोबाइल ल धरा देबे ते रोवई ह तुरते हाॅंसी म बदल जथे। एक जमाना म काम -बूता के चितखान म नान्हे लइका मन ल अफीम चटाके सुताय के चलन रहिस, अब ओकर जगा मोबाइल ल धराय के नवा संस्कार आ गेहे।मने ननपनेच ले लइका मन ल मोबाइल के हल्का-हल्का डोज देना शुरू हो जथे। अब तो मोबाइल ह सबके परम प्यारी हे..,एकर नशा ह सबो नशा ले भारी हे..।

            समय के संग विकास के चकरी ह जमे-जुमाय प्रतिमान मन ल उखान के घलव फेंक देथे।तब कहना पड़थे घरोघर के माटी पूत मन अब मोबाइल पूत होगे हें।येमन सिरिफ नहाय-धोय के बेरा म अउ नींद परे के बाद म मोबाइल ले दुरिहा रहि पाथें।

       एक दिन के बात आय एक ठन जरूरी बूता खातिर करजाटोला के संगवारी उधारसिंग अउ मॅंय दूनो झन शुकवार के बिहनियाच ले नांदगांव जाय बर योजना बनायेन। करजाटोला म उधारसिंग के चालू नाम उधारी लाल रहिस। महूॅं ल उधारी कहे म बने लगे। शुकवार के बिहनियाच ले मॅंय खा-पीके तैयार उधारी ल नांदगांव जाय बर अगोरत रहेंव।बड़ बेर होगे त मॅंय उधारसिंग कर फोन लगायेंव- "कइसे जी.., कहाॅं अमरे हस.., जल्दी आना.., जल्दी जाबो..।" ओकर जुवाब अइस -" घर ले निकलगे हॅंव जी, दस मिनट म पहुॅंचतेच हॅंव।" फेर देखते-देखत आधा घंटा होगे, ओकर कोई दउहा नइ रहय। फेर फोन लगायेंव त आधा रस्ता म अमरगे हॅंव कहिस। दस मिनट के पाछू मोबाइल ल फेर कोचकते रहेंव के उधारी के दरशन होगे।

           बात म पता चलिस के पहली फोन के दरी खावत रहिस अउ दूसरइय्या दरी घर ले निकलत रहिस।

          इही बात ले तुम खुदे समझ सकथो के मनखे मनके मारे ये मोबाइल ह कतना बदनाम होगे हे।मनखे मन खाय बर बैठे रही.., तैयार होगेंव कही, तैयार होवत रही..,निकल गेंव बताही। मोबाइल मने लबारी मारे के धाॅंसू जुगाड़..। मनखे मन जेन काम ल करत हॅंव कहिके बताहीं तब तॅंय समझ जा वोहा ओकर ले पहिली वाले काम म खच्चित बीजी होही ..।

                  नांदगांव के दुकान म उधारसिंग ल एक ठन मोबाइल पसंद आगे। खीसा म पैसा ह कमती रहय तेकर सेती उधारसिंग ह सिधवी गाय कस कलोली करत लरघाय टाइप के मोला देखिस। मॅंय समझ गेंव मामला ह उधारी-बाढ़ी के हे। ओला पूछेंव -" कइसे साहेब, मोबाइल लेय के इच्छा हे का..।" उधार सिंग उधारी बर तो तुकते रहिस.., हाव कहिस। ओकर उधारी के पाॅंच हजार ल मॅंय फोन-पे ले जमा कर देंव।सबो काम -धाम ल निपटाके नास्ता -पानी झोरत सांझ कुन अपन -अपन घर अमर गेन। एती मोरो घर म कई ठन काम परे रहय तभो ले सोगे-सोग म उधारी ल उधारी दे डरेंव। दिन गिनत-गिनत दू-तीन महीना निकलगे, न आरो..,न गोठ-बात..। अतिक दिन होगे ये कइसे मिटका देहे कहिके एक दिन उधारी ल फोन लगायेंव। घनन-घनन घंटी ह बाजिस ..,फेर फोन ल कन्हो नइ उठाइस। एक घड़ी के पाछू अउ फोन घुमायेंव.., घंटी तो बाजिस फेर लगथे उधारी लाल ह बुचके के पूरा तैयारी कर डरे रहिस..।वोहा इज्जत के संग फोन ल उठाइस अउ बोलिस-" हलो-हलो.. नेटवर्क म नइ हस का, अवाज ह कट-कट के आवत हे, बोली -बचन ह कुछ समझे म नइ आवत हे, बाद म लगाबे ।" फोन ल काट दिस..। 

         खीसा ते खीसा.., खाता म फूटी कौड़ी नइ रहय, मॅंय फिफियागे रहॅंव..।

बिहान दिन कंझावत उधारी वसूले बर उधारसिंग के गांव करजाटोला पहुंच गेंव। ओकर घर के बहिरी म सॅंखरी लगे रहय, घंटी के बटन ल चपकेंव त कुई -कांय कुछु नइ करिस। थक-हार के उधारी-उधारी कहिके बड़ बेर ले हूॅंत करायेंव। कोई हूंकिस न भूंकिस..। आखिरी म फोन लगायेंव -" हलो..हलो उधारी भाई, कहाॅं हस जी, मॅंय तुम्हर घर आय हॅंव।"  उधारसिंग ह मॅंय तो अभी नांदगांव आय हॅंव कहि दिस। ओकर अवाज ले खुदे पता चलत रहिस के उधारी ह अपने घर भीतरी ले गोठियावत हे। मॅंय सोच म परगेंव ये मसनहा के अवाज ह इहॉं ले अउ ओकर कंचन काया ह नांदगांव म कइसे पहुंच गिस होही।

        उधारसिंग ले उधारी वसूले के चक्कर म मोला अइसे अनुभो होइस के मही ह उधारी के करजादार तो नइ होगे हॅंव। ले-देके मोबाइल महरानी के किरपा ले साल भर म उधारी ह मिल पइस..। खुशी के मारे मॅंय वाट्सेप म धन्यवाद पठोवत .., बखत -जरूरत म अइसने तोर काम अहूॅं कहिके अपन समाज सेवा के खजरी ल जिंदा रखेंव।

            एक दिन मॅंय घर म नइ रहेंव त गोसइन के मोबाइल म एक ठन काल आइस।घर पहुचेंव तब सदा स्मरणीय मोर गोसइन ह 440 वोल्ट के एक ठन अउ झटका दे दिस.., फेर फुदक-फुदक के बताइस- " आज तो मोर लाटरी लगइय्या हे जी .., बैंक के बेस्ट ग्राहक बर मोर नाम ह फाइनल होय हे, मोर खाता म आज पचास हजार अवइय्या हे। मॅंय ओकर हेलन कस फुदकई  म दिवालिया होय के सेंट ल तुरते सूॅंघ डरेंव। मॅंय पूछेंव फोन करइय्या ल एटीएम नंबर बताय हस का। गोसइन ह फुरफुंदी कस उड़त हाव कहिस। मोर जी ह धक्क ले करिस मॅंय उत्ता -धुर्रा ओकर मोबाइल के इनबॉक्स ल टमड़ेंव। का बतावॅंव.., मोर सपना के महल ह भरभर ले ओदरगे रहिस। आड़ा- तिरछा  समय बर राखे गे सात हजार ल खाता ले गुड बाय कर दे रहिस। कट्ट खाय उही कन माथा धरके बैठ गेंव। ससुर पुत्री गोसइन महारानी ल का कहितेंव रे भई.., बस अतकी कहि सकेंव-" धन-धन हे मोर फुरफुंदी, तोर किता झरगे सब्बो चूंदी।"

           आजकल मनखे नाम के जीव मन मोबाइल के अइसे दिवाना होगे हें के घर-परिवार म येकर बिना नानचुन लेवई ह घलव नइ रही सकें। अपन-अपन ले सबे झन मोबाइल म बीजी रहिथे।लइका मन ल एक गिलास पानी नइ माॅंग सकस..,माॅंगी लेबे त करेंट मारे सही थोकिन रूक तो जा.., कहिके टरका देथें..। जादा तियारबे ते मुॅंहुॅं फूलो देथें.., खाना-पीना छोड़ देथें..। एके ठन कुरिया म मोबाइल म मूड़ी गड़ियाके बैठे इनला कुछु बोले नइ सकस.., दार-भात चुर गेहे,खा ले कहिके मेसेज करना पड़थे.., रोटी दार भात के भाप निकलत फोटू शेयर करना पड़थे।फेर घर म रहे के एके ठन फायदा हे कम से कम लोग-लइका मन के मुखा-दरशन तो होवत रहिथे। बस रिचार्ज करे के टेम म गोठ-बात हो जथे। नान्हे लइका मन कार्टून-गेम.., बड़े लइका मन आनलाईन कोचिंग -पढ़ई के ओखी करत मस्त रहिथें। गोसइन मन ल अपन पति के भला सुध नइ रही फेर मोबाइल म कौन बनेगा करोड़पति ल देखे बर एक गोड़ म खड़े रहिथें।उनला कुछ कहेस मतलब 'सहीं समझे..' कहिके तुरते बोलती बंद कर देथे। पांच मिनट बर मोबाइल ह कन्हो दूसर के हाथ म चल देथे ते इनकर छटपटासी शुरू हो जथे।

           गांव होय चाहे शहर सबे डहर मोबाइल के बड़ोरा चलत हे। लइका मन अपन नदानी म ठग-फुसारी के लपेटा म फॅंसत जात हें। इहाॅं वाट्सेप चैटिंग के नाम म बदमाश अउ मवाली लड़का-लड़की मनके कतको गेंग मन ह सक्रिय हाॅंवय।इनकर आकुश म आके नोनी मन ल अपन इज्जत बचाना मुशकुल होगे हे।एक झन लड़का ह अपन संगवारी ले पैसा हड़पे बर लड़की के नाम म वाट्सेप म मया-मोहब्बत के चैटिंग फेकिस। संगवारी ह ॲंधरौटी मया-मोहब्बत के चक्कर म अइसे फसिस के परबुधिया ह डेढ़ लाख संग अपन जान गॅंवा डरिस।ये घटना ह समाज बर एक ठन सिखौना आय।घरवाले मन अनजान रहिथें के लइका मन कते-कते  साइट अउ एप ल देखके रेडिमेड जवान बनत हे। हाल तो ये हे के मोबाइल म डाटा डारव अउ सरी-दुनिया के दरसन-परसन कर लव।

      अतिक बड़ दुनिया के जम्मो जानकारी ह नानुक मोबाइल म समा गेहे। येकर म बड़े ले बड़े काम ल मिनट भर म निपटाय के गुण हे। येहा परिवार के अपनापन ल छिदिर-बिदिर करत बात -बात म लबारी अउ ठग-फुसारी के जुगाड़ केंद्र घलव बन गेहे। मोबाइल माता के जतका बखान करले कमतीच पड़ही।कुलमिलाके  मोबाइल ले जतना फायदा हे त वतना नकसान घलव हे। 

                   थोकिन सोचके देखव.., सोचे म का जाथे..।अवइय्या दस-बीस साल म मनखे के सोच म ताबड़तोड़ हाइटेक के तड़का लग जाय रही .., मनखे मन ल आखरी समय म मोबाइल के बिना सद्गति नइ मिल पाही। मोबाइल के मयारू बबा मन ल पान परसाद खवाय के बेरा जब ओखर आखरी इच्छा ल पूछे जही - "हाइटेक के जमाना म  तुम्हर आखरी इच्छा का हे बबा।" रहि-रहिके ओकर मुॅंहुॅं ले एके अवाज  निकलही -" मोला मोबाइल म सनी लियोनी के एकाद ठन पिच्चर देखा देतेव बेटा ..।" 

              अउ तुम मोबाइल ल अभिशाप कहिथव। आत्मा शांति करे के अतिक सुग्घर सुख ले बढ़के तुम्हला अउ का सुख चाही।अइसन सुख के आगू म झूठ-लबारी अउ ठग-फुसारी के का औकात हे। तब हमर जैसे कमजोर पोटा के मनखे मन ल कहना पड़थे के जनम अउ मरन के समे मोबाइल म पिच्चर देखाय वाले नवा संस्कार ल ओरिजिनल संस्कार के लिस्ट म जोड़े जाय। फेर भावना आहत गेंग के पदाधिकारी मन के भावना ह थोरको आहत झन होय। तुम सोच नइ सकव अवइय्या समय म मोबाइल के दुनिया म अउ कतका सुख के दरसन करे बर मिलही.. , बस ध्यान लगाके आरो लेवत रहव..,अगोरत रहव..।



महेंद्र बघेल डोंगरगांव

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