भाव पल्लवन---
हाथ न हथियार, कामा काटे कुसियार।
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खेत मा लगे कुसियार के फसल ला काटे बर धरहा हँसिया या फेर आजकल के हिसाब ले गन्ना फसल काटे के मशीन जइसे साधन होना चाही जेन एके बार मा चक ले भुइयाँ ले लगती गन्ना के पौधा ला काट दय।अइसन करे मा ही सहीं ठंग ले कम समे मा जादा ले जादा ले जादा पौधा ला काट के लाभ प्राप्त करे जा सकथे। कोनो बिना साधन के अँइठ-अँइठ के कुसियार के पौधा ला टोरही त भला कतका पौधा ला टोर पाही? मुरकेट के टोरे मा भारी नुकसान अलग से हे काबर के अइसन टोरे म बाँचे डंठल मा दुबारा पीका नइ फूटै जबकि एक पइत गन्ना के फसल बोंके उही पौधा ले दुबारा,तिबारा फसल ले जाथे---अउ बोंये ला नइ परै।
ये तरह ले कोनों लक्ष्य ला बने ढंग ले पाये बर साधन हा बहुतेच सहायता करथे ।साधन के बहुतेच महत्व होथे।जइसे के कोनो विद्यार्थी ला पढ़ना लिखना हे ता पट्टी पेंसिल ,पेन ,पुस्तक , कापी आदि साधन के होना जरूरी हे तभे वोहा पास हो पाही।
कोनो चीज हा इच्छा करे भर ले नइ मिल जावय।वोकर बर साधना मतलब कठिन मेहनत के संग उचित साधन जुटाये बर लागथे। कोन काम बर कोन साधन चाही,कोन रद्दा मा चलके मंजिल मिल पाही एकर ज्ञान होना जरूरी होथे।
व्यापार मा सफलता पाना हे ता वोकर बर पूँजी(रुपिया-पैसा) रूपी साधन जरूरी हे। कोनो व्यापार करना चाहत हे त वोकर पास शुरुआती लागत लगाय बर धन चाही अउ कहूँ नइये ता बैंक ले लोन लेके जुटाये बर लागही।वोला बाजार के उतार-चढ़ाव ला समझे बर लागही।
कोनो ला खेती-किसानी बने ढंग ले लाभ मिलय तइसन करना हे ता नागर-बक्खर ,खातु-माटी ,बिजहा ,दवई-पानी जइसे साधन के होना जरूरी हे। साधन के बिना साध्य(लक्ष्य ) के मिलना दूभर हो जाथे।
चोवाराम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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