Saturday, 3 June 2023

भाव पल्लवन--

 





भाव पल्लवन--



दाई के पोरसे, मघा के बरसे

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शरीर ल चलाये बर भोजन जरूरी होथे।भोजन-पानी ले शरीर ल उर्जा मिलथे। भोजन म जेन पौष्टिक तत्व विटामिन प्रोटीन ,खनिज लवण,कार्बोहाइड्रेट होथें तेकर ले शरीर ह पुष्ट होथे अउ अंग मन के बढ़वार होथे।

    भोजन ले पौष्टिकता, स्वाद अउ मन ल संतुष्टि मिलना चाही तभे वोकर असली फायदा मिलथे।आजकल होटल ढाबा म तको बहुतेच स्वादिष्ट भोजन मिलथे फेर वोमा घर के भोजन जइसे तृप्ति नइ मिलय काबर के घर म बनाये दाई के जेवन म स्नेह,ममता अउ वात्सल्य होथे। वोकर हाथ के राँधे अउ पोरसे रुखा-सुखा भोजन म तको मन ल आनंद अउ तृप्ति मिलथे।महतारी ह जेवन ल अपन परिवार बर मया करके बनाथे।वोमा सब बर कल्याण के भाव रहिथे। भोजन बनइया के भावना के जेवन म अबड़े प्रभाव परथे।बाहिर के भोजन म अइसन बात कहाँ मिलही? बाहिर के होटल-ढाबा के भोजन म तो सिरिफ पइसा कमाये के भावना होथे।

   दाई के बनाये अउ पोरसे भोजन के अबड़े महत्तम होथे ओइसने बरसा ऋतु के मघा नक्षत्र म बरसे पानी के होथे। धान फसल के पोटिरियाये अउ कंशा फेंके के बखत खेत म पानी के खच्चित जरूरत रइथे।किसान ह मघा नक्षत्र ल जोहत रहिथे। मघा नक्षत्र म पानी गिरे ले फसल पोट्ठ होथे। मघा नक्षत्र के पानी ल गंगा जल कस पबरित माने जाथे।माने जाथे के ये पानी म कीरा नइ परय। कोनो साफ बरतन म झोंके मघा नक्षत्र के पानी ल पीये ले पेट के रोग माढ़थे। एकर मतलब हे दाई के पोरसे जेवन कस मघा के पानी ले तन अउ मन स्वस्थ होथे।


चोवाराम वर्मा 'बादल'

हथबंद,छत्तीसगढ़

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