Monday, 24 April 2023

पल्लवन-एक हाथ खीरा के सवा हाथ बीज


पल्लवन-एक हाथ खीरा के सवा हाथ बीज

बड़ाई कोन ल नइ सुहाय सुने मा  तो सबो ला बने  लागथे। 

पर वोतके ही बढ़ा चढ़ा के बताय जाय जतका गला के खाल्हे उतर जाये। 


कोनो भी चीज होय, काम होय , एक दू झन अतिश्योक्ति के बीड़ा उठइया मिल ही जथे, बने बात आय अगर मनोरंजन के रूप मा लेथे तब, अगर इही बात कोनो के प्रतिष्ठा के उपर आँच आथे तब गलत बात आय। ढेला हा पर्वत कस झन होय। 

  पाव ला काठा बनाके बनाके नपइया मन के कमी नइहे। 

छट्ठी के दिन लइका ला रेंगत तो झन बताय। 

गिलास मा देके गघरा भर के पानी पुण्य ला बतैया सबो जगह मिल जथे। 

कतको जगह तो पांच पैसा दान के महिमा सुनके कर्ण ला घलो लाज आ जावत होही। 

चार झन के बीच ये एक हाथ खीरा के सवा हाथ बीज बड़ फलथे, फूलथे। 



आशा देशमुख

एनटीपीसी कोरबा

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