Sunday, 9 April 2023

बासमती "-फकीर राम साहू फक्कड़

 " बासमती "-फकीर राम साहू फक्कड़

       हिन्दी फिलम म एक ठन गाना हे 'ये तेरा घर ये मेरा घर ये घर बहुत हसीन है '। अब बताओ भला घर ह कोई बला थोड़ीना आय तेमा हसीन रही।घर ह सुंदर हे कहिबे त एक कन फभथे। खैर अपन अपन बिचार कखरो घर हसीन राहय या जवान। हमर देश ह अचंभा (अचरज) ले भरे पड़े हे।कखरो कर करोड़ों के धन दोगानी हे फेर घर नई हे।कतरो मन नाहय ---------नीचोय काला। मिडिया म ए विषय म जमगरहा डिबेट ( बहस)हो सकथे। हपता पंदराही उंकरो मन के खुराक बन जाही।धन/घर,बेघर/घर। फेर यहू सोला आना संच आय डिबेट म उही मन आही जेकर कर घर होही। जेन मन जादा जोर शोर ले नरिया सकथे। जेन मन कुकर बिल कस रेस टीप खेल सकथे।।इंकर ले मिडिया के की आर पी बाढ़हे चाहे मत बाढ़े मनखे मन के खून जरुर चुर (खौल)जथे। इंकर नरियाय ले जनता के कुछू भला तो हो ही नहीं सके। अब के समे म बिना सुवारथ के कटे अंगरी म शुशू करे ल कहिबे ते नी करे। फेर ये डिबेटीया मन अतिक फिरी रहिथे जियो असन एक घांव रिचार्ज होगे ताहन दिन भर चलत हे ऐ चैनल ले ओ चैनल।यहू मन यु टयूबर कस झोर झोर के नोट छापत रहिथे। संगवारी हो आप मन ल ये कुकर बिल के झगरा निक लागिस होही त हमर चैनल ल सबइसक्राइब करो।

                     विज्ञान म हमर देश बड़ फुन्ना गेहे (तरक्की) ।हमर करा एक ले बड़के एक बंम, बारुद मिसाइल, डिफेंस (सुरछा) सिस्टम घलो हे। जेन हर गोला बारूद ल अपन रडार म पकड़ लेथे। फेर अतका तरक्की काय काम के जब सांगर मोंगर मनखे मन ल नी पकड़ पाय।तेखरे सेती मनखे मन तको इतराथे 'डान को पकडना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है '। कोनो कोनो के हाथ बड़ लाम होथे। जेन हर छोटे मोटे किरा मकोड़ा तक पहुंच जथे फेर बड़े बड़े जानवर मन तक नी पहुंच पाय।ये हर वैज्ञानिक मन बर घला शोध के विषय आय।ऐ विषय म पी •एच •डी •घला करे जा सकथे।

          हमर देश म दयालु दानी मनखे मन के पूरा आ गेहे। कतको झन अपन घर दुवार ल दूसर के नाम घलो कर दे थे।कहिथे हमर घर फलाना के घर।अइसन सब पहिलिच ले करतिस त सरकार ल इंदिरा आवास,अटल आवास, प्रधानमंत्री आवास, योजना के जरूरत नहीं पड़तिस।अइसने मया पलपलावत रहितिस ल परोसी के राचर, गाड़ा के खुंटा कार चोरी होतिस।आज ले कोनो ल घर नी मिले हे त ओला अज्ञानता घलो कही सकथन या फेर राजनीति के शिकार घलो हो सकथे।यहू बात हो सकथे सरवे वाले मन ल गलत जानकारी दे  गे हो ही।जइसे मासुरी चांवल खाथस नही "बासमती ", साइकिल म घुमथस , नही हेलीकॉप्टर म,इंहे के जनम आय नही बिदेश के।तो एमा दूसर के का दोष।

           गांव के टुटपुंजिया नेता मन मास्टर मन ले कम थोड़िना होथे कोन ल कोन ल कतिक नंबर देना हे उंकरे हाथ बात रहिथे।लईका मन के नंबर बाढ़हे चाहे झन (मत)बाढ़हे उंकर अत्ता -भत्ता,चंदोरा -निपोरा जरूर बाढ़ना चाही। नही ते कैकई असन हाथ गोड़ ल लमियाके बइठ जथे अपन हक बर तो नरियायाएच ल पड़थे। इंकर हपता पंदराही लमियाय के बाद घलो लईका मन के डोज, खुराक (कोर्स)समे म पूरा हो जथे।तभे तो हमन ठोसहा जिनीस ल लिटर म बेंच देथन।

          चूना लगाना घलो बहुत बड़े कला आय।पुछी वाले मन ल चूना लगाया के अधिकारेच नइ राहय।ये (अधिकार) हक तो छुट पुट बिना पुछी वाले मन ल मिलथे जेन हर हमर रडार म पकड़ नी आय। जेन मन ल पताला मारग ले अहिरावण ह परदेश पहुंचा देथे। हमर परदेशी नीति घलो बनेच ठोसलगहा हे तेकरे सेती ओमन ल लाय बर घलो खुरचेल ल पड़थे।तेखरे सेती सब हमन ल विश्व गुरु कहिथे।

                     फकीर प्रसाद साहू

                      " फक्कड़ "

                        ग्राम -सुरगी

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