Sunday, 16 April 2023

पल्लवन- खेती अपन सेती नइ ते नदियां के रेती


 

पल्लवन- खेती अपन सेती नइ ते नदियां के रेती 


कोनो भी काम ला बने चेत लगाके करना चाही . येकर ले कारज मा जरूर सफलता मिलथे. सही समय मा कोनो काम ला नइ करे ले समय अउ धन हा व्यर्थ चले जाथे. येहा हमर जिनगी के सबो क्षेत्र मा लागू होथे. चाहे शिक्षा के क्षेत्र मा हो, व्यापार कोति हो, खेलकूद, संगीत क्षेत्र,खेती- किसानी या आने काम. सबो काम मा सफल होय बर अब्बड़ मिहनत करे ला लगथे.‌ खूब पसीना बोहाय ला पड़थे तब कहीं जाके मिहनत के फल हा मिलथे.


    हमर देश हा एक कोति ऋषि संस्कृति बर प्रसिद्ध हे ता दूसर कोति इहां के कृषि संस्कृति के गजब सोर हे. किसान ला धरती के भगवान कहे जाथे. किसान अपन मिहनत ले फसल ऊपजाके  अपन घर परिवार ला चलाथे ता दुनियां ला  घलो अन्न उपलब्ध कराथे.  खेती -किसानी मा अब्बड़ मिहनत करे ला पड़थे. येमा कोढ़ियई करे ले खेती सही ढंग ले नइ हो पाय. धान बुवाई  ले कोठी मा धान धरे तक या सोसाइटी/ मंडी तक ले जाय या नंगत श्रम करे ला पड़थे. थोरकुन लापरवाही करे ले फसल के बर्बाद होय

के डर समाय रहिथे. खेती- किसानी मा

दिन मा दू बेरा घूम के आना जरूरी हो जाथे. येखर ले मुंही के देखरेख, कीरा - मकोरा ले बचाव , मवेशी ले फसल के बचाव,खेत के सुरक्षा होत रहिथे. जादा पानी गिर दिस ता फसल के नुकसान होय के डर अउ मुंही फूटगे ता पौधा के मरे के डर बने रहिथे.  फसल कांटे के लाइक होगे ता सही समय मा लुवाई, भारा बंधइ,बियारा तक लाना,खरही गंजइ, पैर डलाई, कोड़ियाई,पैरा निकलाई, ओसाई, कोठी मा रखई या सोसाइटी तक डोहरई , फेर कांटा कराई ये सब काम ला सही बेरा मा करना चाही.नइ  ते समय,धन अउ फसल के नुकसान होथे.  


ये कहावत हा हमर जिनगी हर क्षेत्र मा लागू होथे. बने चेत लगाके मिहनत करे ले काम हा पूरा होथे. कोनो लक्ष्य बनाय हस तेमा सफलता मिलथे अउ बेमन या कोढ़ियई करे ले सब मिहनत बेकार हो जाथे. तेकर सेति कहे गे हावय - "खेती अपन सेती नइ ते नदियां के रेती".


                   ओमप्रकाश साहू" अंकुर"

              

               सुरगी, राजनांदगांव

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