भाव पल्लवन--
चलनी म दूध दुहै, करम ल दोस दै
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चलनी म दूध दुहे ले वोमा एको बूँद नइ रुकै जम्मों ह छेदा ले निथर के भुँइया म बोहा जथे।अब कोनो ह अइसने करके ये काहय के मोर भाग म दूध नइ लिखाये रहिसे तेकर सेती नइ मिलिच,सब गँवागे त एहा कतका गलत बात ये ? येमा भाग के भला का रोल हे? दूध चाही रहिसे त कसेली म दूहना रहिसे। भाग ल दोस देवइ फालतू ये।
बिना सोचे बिचारे गलत तरीका ले करे कोनो भी काम के फल सहीं रूप म नइ मिलय। मूँड़ पटके म पहाड़ नइ फूटै उल्टा माथा लहू-लुहान हो सकथे।मनखे ह खुद अपन भाग्य गढ़ने वाला होथे। जइसन करम तइसन भाग बनथे।सहीं काम ल, सहीं तरीका ले पूरा करे जाथे त सौभाग्य अउ गलत काम ले दुर्भाग्य।
सौभाग्य बनाये बर पात्रता(योग्यता) के जरूरत होथे।दुनिया भरके अवगुण के छेदा रहे म सफलता नइ मिलय।अपन जिनगी म जेन भी सफल मनखे हें वो मन कठोर मिहनत ले पाछू नइ घुँचे हें। कइसनो संकट आये ले नइ घबराये हें।अलाल मनखे ह अपन कमजोरी ल छुपाये बर भाग के आड़ लेथे। भाग के ओड़हर म सहानुभूति पाये के उदिम करथे।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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