पल्लवन-कउॅंआ कान लेगे त कउॅंआ के पीछू झन भाग
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पोखन लाल जायसवाल
देखब म आथे कि कुछ झन मन बहुतेच जल्दी दूसर के गोठ म आ जथें। अपन अक्कल नइ लगायॅं। अइसन म कभू-कभू दर-दर भटकउला होथे। ए बने बात आय कि मनखे ल मनखे ऊपर विश्वास करना चाही। मनखे ऊपर भरोसा राखे च के आय। फेर ॲंखमुंदा भरोसा घलव बने बात नोहय। काबर कि आज काल मनखे ह रंग बदले म टेटका के बाप बन गे हे। टेटका ले दू कदम आघू बढ़ गे हे। अपन हित बर कोनो किसम ले पीछू नइ रहय। मनखे अपन हित साधे बर कोनो ल भी रस्ता ले भटका सकत हे। जेकर ले ओकर रस्ता साफ हो जय। मैदान साफ हो जय। ए मन ल मालूम रहिथें, कोन कान के कच्चा हे। कभू-कभू तो मनखे इरखही म घालन पइदा करथे। घर-परिवार म बनउकी अउ बढ़वार दूनो ल देखे नइ सकय। मन म इरखा होथे। भल ल भल जानबे अउ अइसन मन कब नता-गोत्ता म फूट डाले बर भेंगराजी मार देथें? गम नइ मिले। साव बने मजा घलव लेथें। कतको मन एक-एक ठिन गोठ ल मसाला डार के अइसे परोस देथें कि दू झन हितवा मन एक-दूसर ल देखन नइ भावयॅं।
अइसन म आज के समे ह दिमाग के बत्ती ल उठत-बइठत बार के रखे के समे आय। अपन अउ बिरान के भरोसा ल रखन, फेर काना-फूसी ले थोरिक सावचेत रहन। नइ ते बुधियार मनखे इही कही- बइहा ! पहिली अपन कान ल टमड़ के देख तो ले, हवै धन नइ तेन ल, तब फेर कउॅंआ के पीछू भागबे। अपन समे बरबाद करे अउ हॅंसी उड़वाय के पहिली, का बात आय? एकर परछो कर ले म खुद के भलाई हे। कखरो कहे ल सुन के तुरते विश्वास नइ करना चाही। भगवान ह अक्कल दे हे, त भाग-दउड़ के पहिली वो अक्कल लगाना च चाही।
पोखन लाल जायसवाल
पलारी (पठारीडीह)
जिला बलौदाबाजार भाटापारा छग
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