*पानी पीयव छान के गुरु बनावव जान के-पल्लवन
आज कल मनखे बड़ लपटावत हवँय| निच्चट भोकवा मन घलो बने गुरुवापन पा के सिद्ध अउ प्रसिद्ध हो जथें| पियास म मरत मनखे ल कहूँ पानी मिलगे| त ससन भर डोक लेथे| पर ओला देख लेना चाही के जउन पानी पीयत हे वो पीये लाइक तो हवय|
पानी मा स्वाद हे संगे म शरीर बर जरुरी खनिज तत्व मन हवँय के नइ| कहूँ दूषित तो नइ हे नइ तव अतका सुग्घर निरोगी काया हर रोग ले संक्रमित हो जही| कोनो किसम के जहर महुरा , रंग म तो नइ रंगे हे| मनखे जोनी एक बेर मिलथे| तव सेहत उपर गलत असर झन होय| जइसन पीबे पानी तइसन निकलही बानी| संगत के असर दिखबे करथे|
कंछ, निरमल अउ फरियर हे|
नइते वोला छान ले गुण दोष ल देख ले परख ले तव पी|अतीत म बहुत समर्थ गुरु रहिन तव समर्थवान चेला होय हें|
गुरु समर्थराम दास के महान सम्राट वीर शिवाजी, गुरु वशिष्ठ के राजा राम, गुरु रामकृष्ण परम हंस के विवेकानंद|
गुरु मन अब बहु आयम लिए बहुगुणी होगे हे| अभो सबो क्षेत्र बर गुरु चाही| कलागुरु, संगीत गुरु, मोटिवेशनल गुरु, बिजनेंसगुरु, राजनीतिक गुरु, साहित्य गुरु| पर सबले जादा जरुरत हे जिनगी ल गढ़इया गुरु के वो आज नदारत हे| जिनगी ल मोक्ष के मारग दिखाय बर सदगुरु कबीर ,गुरुनानकदेव,,रैदास, गुरुघासी दास जइसे जीव तारनहार गुरु मनके जरुरत हे|
आज कल तो ढोंगी बबा मन के बाढ़ आय हे | आन लाइन चेला चपाटी बनत हें लाखन लाख भगत हें,धरातल म कुछ नइ हे| 'कहाँ पाबे पता न ठिकाना धर रपोट के उठ पराना' वाले मन के मठ चमकत हे|अउ मनखे आँखी - कान मूंद के झपाय परत हें| गुन के न जस के जेन ल देख तेन बस अजस के| धरम उपासना के आड़ म नशाखोरी, मदिरापान, दारू भांग गांजा वाले पाखंडी गुरु मन जादा मेंचमेचावत हें|
पहली दस कोस दुरिहा मा गुरु के घर गाँव राहय|
गुरु रामत राउटी करँय ,घुमँय सत धरम के संदेश देवँय|
गुरु उपदेशना ले मनखे के तन मन पबरित रहय| गुरु बबा मन ज्ञान अमरित ले मनखे ल सिधोवँय| आजो वइसने गुरु मन के जरुरत हे|
तव कहें हें पानी पीयव छान के गुरु बनावव जान के|
अश्वनी कोसरे
कवर्धा कबीरधाम
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